27/08/2025
🌿 कढ़ावनी का दूध – मेरी बचपन की डायरी से 🌿
कभी गाँव के हर आँगन में एक जादू होता था…
उपलों की धीमी आँच पर रखी मिट्टी की कढ़ावनी, जिसमें दूध धीरे-धीरे उबलता और लाल हो जाता।
उस दूध की खुशबू सिर्फ रसोई तक नहीं, बल्कि पूरे घर और आँगन तक फैल जाती थी।
माँ कहती थीं – “बेटा, दोपहर तक धैर्य रखो… असली मज़ा तो तीन बजे मिलेगा।”
और सच में… दोपहर के तीन बजे जैसे ही उस लाल दूध की मोटी मलाई उतारी जाती और गरमागरम रोटी पर रखकर दी जाती – तो लगता जैसे दुनिया की सारी मिठाइयाँ फीकी पड़ गईं।
रोटी पर रखी मलाई को खाते हुए बच्चों की आँखों में जो चमक होती थी, वही असली खुशी थी।
महमान आते तो उनका स्वागत चाय से नहीं, बल्कि यही कहकर होता –
“लो भई, पीयो कढ़ावनी का लाल दूध।”
और सच कहूँ, उस दूध में सिर्फ स्वाद नहीं होता था… उसमें घर का अपनापन, गाँव की मिट्टी की खुशबू और रिश्तों की मिठास भी घुली होती थी।
पर असली खज़ाना तो रात को मिलता था।
जब कढ़ावनी खाली हो जाती और तले में बची रहती मोटी खुरचन।
भाई-बहन चुपके-चुपके बारी-बारी से उँगली फेरकर चखते।
कभी खुरचन को लेकर झगड़ा भी हो जाता, कभी हँसी-मज़ाक।
लेकिन वो खुरचन का स्वाद… सच कहूँ, दुनिया का कोई पकवान, कोई मिठाई उसका मुकाबला नहीं कर सकती थी।
आज सब बदल गया है।
गैस के चूल्हे, फ्रिज का ठंडा दूध, और महमानों के लिए चाय, कोल्ड्रिंक।
पर अफसोस… अब न वो कढ़ावनी का लाल दूध रहा, न दोपहर की मलाई, और न ही रात की खुरचन।
बस रह गईं तो यादें…
बचपन की वो दोपहरें, जब रोटी पर मलाई रखकर खाते-खिलाते वक्त पूरे घर में हँसी गूँजती थी।
वो रातें, जब खुरचन को लेकर झगड़ा होता था और फिर सब मिलकर हँस पड़ते थे।
आज भी आँखें बंद करता हूँ, तो लगता है जैसे उस कढ़ावनी से उठती भाप मुझे फिर से बुला रही हो…
“आ जा बेटा, खा ले अपनी मलाई… चख ले अपनी खुरचन।”
🙏✨
अनमोल रत्न
State News Haryana
✨ State News Haryana | अनमोल रत्न प्रोग्राम ✨
इस बार हमारे अनमोल रत्न में वो मिट्टी का साधारण-सा बर्तन है, जिसने हरियाणा और गाँव-देहात के हर आँगन में पीढ़ियों को पाला-पोसा।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं — कढ़ावनी की।
👉 यही कढ़ावनी थी जिसमें उपलों की धीमी आँच पर दूध लाल होता था,
👉 यही कढ़ावनी थी जिसने हमें दोपहर की मलाई, रात की खुरचन और बचपन का सबसे मीठा स्वाद दिया,
👉 और यही कढ़ावनी थी जो हर मेहमान का स्वागत अपने लाल दूध से करती थी।
आज भले ही गैस चूल्हे, फ्रिज और चाय-कोल्ड्रिंक ने इसकी जगह ले ली हो,
लेकिन सच तो ये है कि कढ़ावनी सिर्फ बर्तन नहीं थी, वो हरियाणा की संस्कृति, मिट्टी की महक और बचपन की यादों का अनमोल रत्न थी।
📌 जुड़े रहिए State News Haryana – अनमोल रत्न प्रोग्राम के साथ और जानिए कैसे हमारी देसी परंपराएँ ही हमारी सबसे बड़ी पूँजी और असली धरोहर हैं।
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