05/07/2024
कौन थे बाघसिंह जी बगड़ावत ?
गुर्जर चौहान वंश में जन्में बाघ सिंह जी बगड़ावत के पिता हरिराम जी एवं इनकी माता का नाम लीलासेवड़ी था । बगड़ावत महाभारत के अनुसार एक बार हरिराम जी एक गांव रात्रि भृमण के लिए निकलते हैं । उनको एक कुटिया से रोने की आवाज आती हैं तो वह अंदर जा कर देखते हैं तो एक बुढ़िया माँ रोती हुई अपने बेटे को बड़े प्यार दुलार के साथ भोजन करवा रही थी। हरिराम जी उससे इस प्रकार रोने का कारण पुछते हैं तो वह बताती हैं कि बेटा हमारे गांव में एक शेर (हटिया राक्षस) ने आंतक फैला रखा हैं,जो रोजाना गांव में से किसी न किसी को उठाकर ले जाता हैं । इसके परेशान हो कर गांव वालों ने फ़ैसला किया हैं कि हर घर से रोजाना एक जना खुद शेर का शिकार बनने चला जायेगा, जो में एक बेटे को तो पहले ही खो चुकी हूं आज इसकी बारी हैं तो हरिराम जी कहते हैं कि आपने मुझे बेटा कहकर बुलाया हैं तो में भी आपका बेटा ही हुआ आज इसकी जगह में जाता हूँ , और हरिराम जी जाते हैं और शेर को मारकर उसकी गर्दन काट लेते हैं और उसको ले कर अपनी तलवार को धोने पुष्कर घाट जाते हैं अब वहीं लीलासेवड़ी भगवान वराह की पूजा करने के लिये स्नान कर रही होती हैं, इसको वरदान था कि यह पूजा करने से पूर्व किसी भी मर्द का चेहरा नहीं देखेगी। अब जैसे ही हरिराम जी तलवार को धोकर म्यान में डालते हैं तो लीलासेवड़ी की नज़र उन पर पड़ती हैं तो हरिराम जी उस शेर के की गर्दन को अपने आगे कर देते हैं जिससे लीलासेवड़ी को चेहरा शेर का और धड़ मनुष्य का दिखाई देता हैं तो वह हरिराम जी के पास जाती हैं और कहती हैं कि आपने यह क्या किया मुझे वरदान था अब मुझे ऐसी ही संतान प्राप्त होगी जिसका धड़ मनुष्य का और शीस शेर का होगा और वह हरिराम जी से शादी का प्रस्ताव रखतीं हैं और हरिराम जी उससे शादी कर लेते हैं अतः भविष्य में जब उनको सन्तान प्राप्त होती हैं तो उसका मुख शेर का और धड़ मनुष्य की होती हैं तो जब वह आस पड़ोस में खेलने जाए तो बच्चे डर जाते तो उसको एक बाग में रख देते हैं और उसकी सेवा में एक पंडित को लगा देते हैं इस प्रकार उस बच्चे का नाम बाघ सिंह पड़ जाता हैं। बाघ सिंह जी बगड़ावत के 12 रानियां होती हैं एवं इनके घर पर चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितीया संवत 914 में सवाई भोज का जन्म होता हैं 🙏🚩
लेख में सुधार आमन्त्रित हैं-
टीम बगड़ावत महाभारत