19/09/2025
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी क्षेत्र से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां जीआईसी खतेड़ा इंटर कॉलेज में हालात ऐसे बने कि एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी यानी स्कूल का चपरासी ही प्रभारी प्रधानाचार्य बना दिया गया।
दरअसल, इस स्कूल में एक स्थायी प्रवक्ता, एक अन्य स्थायी शिक्षक और पाँच अतिथि शिक्षक तैनात हैं। लेकिन शिक्षक आंदोलन और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को निभाने से इनकार करने के कारण किसी ने भी प्रधानाचार्य का प्रभार नहीं लिया। पहले छोटे लाल नामक शिक्षक को प्रभारी बनाया गया, लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी छोड़ दी। इसके बाद दूसरे शिक्षक ने भी पद संभालने से साफ मना कर दिया।
शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार, किसी भी स्कूल का प्रभारी केवल स्थायी कर्मचारी को ही बनाया जा सकता है। चूंकि यहाँ मौजूद स्थायी शिक्षक प्रशासनिक कार्य करने के इच्छुक नहीं थे, इसलिए मजबूरी में चपरासी राजू गिरी को स्कूल प्रभारी नियुक्त कर दिया गया। अब वे घंटी बजाने से लेकर स्कूल के रोज़मर्रा के प्रशासनिक फैसले लेने तक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
इस स्थिति ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि शिक्षक संघ की हड़ताल और प्रशासनिक कार्यों से अलग रहने की नीति की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई। विभाग का तर्क है कि यदि शिक्षकों को जिम्मेदारी नहीं निभानी थी, तो उन्हें पहले ही इसकी सूचना देनी चाहिए थी।
यह मामला न केवल शिक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि नियम और ज़मीनी हालात में कितना बड़ा अंतर है। जिस कर्मचारी का काम स्कूल की सफाई और घंटी बजाना था, वही आज प्रधानाचार्य की कुर्सी पर बैठा है। यह दृश्य पहाड़ की शिक्षा व्यवस्था की वास्तविकता और चुनौतियों को साफ-साफ बयान करता है।