04/11/2023
त्वरित टिप्पणी:
"...आखिर यह तो होना ही था"
🖋️ विनोद कुमार गौड़( Vinod Gaur )
वरिष्ठ पत्रकार
मशहूर शायर बशीर बद्र कहते है -
"कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता"
ये पंक्तियां आज डीडवाना में साकार होती नजर आई।
दो बार के कार्यकाल यानी 10 साल तक केबिनेट मंत्री रहे, 4 बार डीडवाना से बीजेपी के प्रत्याशी रहे और 2 बार विधायक चुने गए यूनुस खान ने 1998 से 2023 तक बीजेपी में रहने के बाद आज पार्टी छोड़ने का ऐलान आखिर कर ही दिया।
पार्टी छोड़ने के अपने फैसले को भी उन्होंने आरएसएस जुड़े रहे महान विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी के एक विचार से जोड़ा।
हालांकि, यह फैसला वो 5 साल पहले भी कर सकते थे, पर उस वक़्त अपनी पार्टी के आदेश को मानकर टोंक में राजनीतिक शहादत देने चुपचाप चले गए।
मुझे याद है, करीब 6-7 महीने पहले एक विवाह समारोह में यूनुस खान से मेरी आखिरी बार करीब 3-4 घण्टे लम्बी मुलाकात हुई थी। तब उन्होंने मशहूर गायक मुकेश के उसी गीत के मुखड़े को का जिक्र किया, जो आज हजारों की भीड़ में दोहराते दिखे - "जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहाँ।" यानी उनका संकेत था -कुछ भी हो जाए, अब वे डीडवाना को नहीं छोड़ेंगे।
भले ही हमारी मुलाकात अनौपचारिक थी, पर मैंने अपने पत्रकार रूप में आते हुए तुरन्त पूछ लिया- 2018 में फिर टोंक क्यों चले गए?
जवाब में पहले केवल मुस्कुराए, फिर धीरे से कहा - पार्टी ने आदेश दिया था, मना करने का कोई ऑप्शन ही नहीं दिया था। आदेश मानकर शहीद होने चला गया, पर इस बार पार्टी को साफ-साफ बता दिया है, लड़ूंगा तो केवल डीडवाना से।
23-24 साल से पत्रकारिता में रहने के बाद इस मुलाकात में मुझे यह तो अंदाज लग गया कि इस बार मंत्री महोदय(पूर्व) शायद कुछ अप्रत्याशित कदम उठा सकते हैं, आखिर वो कदम आज "जनता के फैसले" के बाद उठा ही लिया।
मैंने यूनुस खान को पहले चुनाव (1998) से लगातार हर इलेक्शन में कवरेज के लिए करीब रहकर देखा, जाना और समझा है। बीजेपी को वो यूं ही डीडवाना की जनता के कहने भर से ही नहीं छोड़ सकते।
दरअसल, वे भावनाओं में बहने वाले, आक्रोशित होने वालों में या आवेश में आकर कोई कदम उठाने वाले नहीं हैं।
शुरू की बशीर बद्र की पंक्तियां एक बार फिर से पढ़ लीजिए। सार यही है। क्योंकि BJP में आज सुबह तक वो थे लेकिन पिछले 5 साल से निर्वासित सी जिंदगी बिताने को मजबूर थे। इसलिए यह फैसला लम्बी जद्दोजहद और काफी कशमकश का परिणाम है।
और हां, जनता का प्यार तो उन्हें 1998 में जब पहली बार डीडवाना आये तब भी मिल गया था, बाद के 25 सालों में लगाव बढ़ना लाजिमी ही है।
खैर, आज के बाद ही डीडवाना में असली चुनावी माहौल बनना शुरू हुआ है। आज के यूनुस खान के फैसले के बाद BJP और कांग्रेस के समर्थक अपनी-अपनी गणित के गुणा भाग का उत्तर अपने मन मुताबिक निकाल कर खुशी जता रहे हैं। लेकिन आने वाले सोमवार यानी 6 नवम्बर को नामांकन अवधि पूरी होने के बाद असली तस्वीर नज़र आएगी और उसके बाद 25 नवम्बर तक सारे गुणा-भाग और उनके उत्तर साफ होते जाएंगे।
हमारी ओर से सभी प्रत्याशियों को हार्दिक शुभकामनाएं!
singh jodha
Yoonus Khan
Chetan Dudi
Didwana