01/02/2025
बच्चों में नशे की लत को लेकर अध्यापक ने क्यों सरेआम लगा दी अविभावकों की ही क्लास ..
( सच्चाई जानने के लिए वीडियो को अंत तक जरूर देखें ) 👇
नशे की ओवर डोज ने आनी के एक बच्चे की जान ले ली है। चिट्टा ( हैरोइन ) जैसा नशा समाज को खोखला करता जा रहा है। यानी क्षेत्र में चिट्टे का नशा पांव पसार चुका है। ऐसा सभी दबी जुबान में बोलते थे, लेकिन शुक्रवार को बैहना पंचायत के जागरूक प्रधान की पहल पर लुहरी में निकाली गई जनाक्रोश रैली से लगा कि चिट्टा वाकई आनी क्षेत्र में फैला है।
क्योंकि लोग चीख चीख कर चिट्टे के तस्करों को पकड़ने, चिट्टे को क्षेत्र से जड़ से खत्म करने के नारे लगा रहे थे।
विनोद ठाकुर को साधुवाद जिन्होंने इस रैली का बखूबी नेतृत्व किया और इस मुहिम की पहली सीढ़ी को बखूबी पार किया।
रैली के दौरान कई लोगों ने लुहरी चौक पर जनसभा को सम्बोधित भी किया।
लेकिन लुहरी के ही विद्यालय में पढ़ाने वाले एक अध्यापक ने जब युवाओं, बच्चों में नशे के बढ़ते चलन के पीछे अविभावकों के सामने अविभावकों की कमजोरियों, खामियां गिनाई, काफी हद तक बच्चों के बिगड़ने के पीछे अविभावकों को तर्क दे देकर जिम्मेदार ठहराने की कड़वी सच्चाई जनसभा में बक दी। हमें आईना दिखाया, तो इस कड़वी सच्चाई को सुनकर हम में से बहुतों ने तालियां बजाई तो कुछेक ने उस अध्यापक को गलत ठहराया। क्योंकि सच्चाई असलियत में कड़वी होती है और इस हम सच्चाई को आसानी से स्वीकार भी तो नहीं सकते, यह भी एक कड़वी सच्चाई है हमारी।
आप अगर गौर से सुनें तो अध्यापक ने बच्चों के खेलने पर रोक लगाने को नहीं कहा , बच्चों के दूर जाकर पढ़ाने को गलत नहीं ठहराया, पिकनिक पर भेजने को गलत नहीं कहा है, बल्कि इस सब के दौरान बच्चों पर अविभावकों के नजर न रखने पर, उनके देर देर तक घर मे न रहने पर आपत्ति जताई, हमें सबक दिया कि बच्चा छोटा हो या बड़ा जब भी आपकी नजरों से दूर हो तो किसी न किसी तरह उस पर नजर बनाए रखे, खुद नहीं तो अपने दोस्तों, परिचितों,अध्यापकों को जिम्मेदारी सौंपे, उन के माध्यम से ही सही, पर नजर रखें जरूर।
यहां तक कि उन्होंने वहां मौजूद अविभावकों को पूछा कि आप बताएं कि स्कूलों में होने वाली अध्यापक-अविभावक संघ की बैठक में क्यों नहीं जाते ? क्या वहां अपने बच्चों की गिरती परफॉर्मेंस पर चर्चा नहीं कि जा सकती ? कारण नहीं पूछे जा सकते ? हल नहीं पूछा जा सकता ? हालांकि हम में से बहुतों का मानना है कि ये सब बातें स्कूल में अध्यापक-अविभावक संघ की बैठक में होती तो बेहतर होता।
लेकिन यह नशे के खिलाफ एक आक्रोश रैली, जागरूकता रैली थी, और इस रैली के माध्यम से जहां शासन प्रशासन की खामियां निकालने, उन्हें झकझोरने का काम बाकी सभी ने किया, लेकिन हम अविभावकों की खामियां निकालकर उन्हें झकझोरने का काम उन अध्यापक महोदय ने किया है। और अगर आप आज के माहौल को देखें तो मेरा मानना है कि गुरु जी लुहरी चौक पर लगाई गई ये क्लास हमारी आंखें खोलने को काफी है।
अब यह हमारी समझ पर निर्भर करता है कि इस सच्चाई को स्वीकारना है या उल्टा उस अध्यापक को कोसना है। अगर हम स्वीकारते हैं तो हमारा भला है, कोसते हैं तो हमारा ही नुकसान । लेकिन ठंडे दिमाग से सोचें जरूर की क्या वाकई कहीं ये तथ्य तो नहीं ?
लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक, एक अध्यापक के रूप में सुरेंद्र वर्मा जी आपने अपना कर्तव्य बखूबी निभाया है।
जय हिंद 🇮🇳
( Jitender Gupta Sonu 🙏 )