12/07/2025
# # 🌸 **मोहाली सेंटर की लीला — एक ऐसा चमत्कार जिसके बाद बाबा जी ने खुद वहां सत्संग बंद कर दिए** 🌸
**राधा स्वामी जी, प्यारी साध संगत जी 🙏**
आज जो कथा आप पढ़ने जा रहे हैं, वो सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक ऐसा जीवंत अनुभव है जिसे लाखों लोगों ने अपनी आंखों से देखा, अपने मन से महसूस किया और जिसने गुरु की कृपा को साक्षात प्रत्यक्ष रूप में देखा।
यह कहानी है **मोहाली सत्संग केंद्र** की — उस ऐतिहासिक जगह की जहाँ एक समय पर बाबा जी के सत्संग होते थे और लाखों संगत एकत्र होती थी।
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# # 🏡 **पहले कहां होते थे सत्संग?**
सन 2000 के आसपास की बात है। बाबा जी की कृपा से पूरे पंजाब, हरियाणा और आसपास के क्षेत्रों में साध संगत का विशाल विस्तार हो रहा था। मोहाली, चंडीगढ़ के नजदीक एक शांत इलाका था, और वहां एक सुंदर, खुला सत्संग स्थल बनाया गया था।
हर रविवार और विशेष पर्वों पर वहां **3 से 4 लाख तक की संगत** एकत्र होती थी।
संगत ट्रैक्टर, बसों, स्कूटरों और पैदल दूर-दूर से आती थी। इतना विशाल समागम होता था कि लोकल प्रशासन तक को यातायात व्यवस्था में मदद करनी पड़ती थी।
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# # 🌅 **सत्संग की महिमा और संगत का प्रेम**
मोहाली सत्संग केंद्र पर संगत इतनी प्रेम से आती थी कि सुबह 3 बजे से ही लोग लाइनों में लग जाते थे। सेवादार भाई-बहन सेवा में डटे रहते, भोजन शालाओं में लंगर चलता, और पूरा वातावरण "राधा स्वामी" की गूंज से भर जाता।
लेकिन इसी प्रेम, इसी श्रद्धा के बीच एक दिन ऐसी लीला घटी जिसने सबको भीतर तक झकझोर दिया।
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# # 🕯 **13 अप्रैल का वो ऐतिहासिक दिन – जब मालिक ने अपनी रहमत दिखाई**
यह बात है **13 अप्रैल** की, जब वैशाखी के अवसर पर विशेष सत्संग हुआ करता था। संगतों की भीड़ उमड़ी हुई थी। हजारों गाड़ियां, लाखों लोग — और वातावरण एकदम आध्यात्मिक।
इसी भीड़ में एक साध संगत परिवार अपने **डेढ़ साल के मासूम बच्चे** को लेकर पीजीआई चंडीगढ़ पहुंचा था। बच्चा कुछ दिनों से बीमार था और अब हालात गंभीर थे।
डॉक्टरों ने जाँच के बाद दुखद बात कह दी —
**"बच्चा अब इस संसार में नहीं रहा।"**
माँ-बाप के लिए तो जैसे दुनिया रुक गई थी। लेकिन उन्होंने क्रोध या ग़म में बहने की बजाय **श्रद्धा से सिर झुका दिया** —
> “मालिक, जैसा तूने चाहा, वैसे ही स्वीकार है।”
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# # 🙏 **शव को लेकर सत्संग में पहुँचना — सबसे गहन श्रद्धा का प्रतीक**
अब इस परिवार ने सोचा —
“जब मालिक ने हमें बुलाया है, और हम मोहाली के इतने पास हैं, तो क्यों न आज के दिन उसकी कृपा में जाकर सत्संग सुनें। अंतिम दर्शन तो मालिक के ही होने चाहिए।”
उन्होंने अपने मृत बच्चे को सफेद कपड़े में लपेटकर कार की पिछली सीट पर रखा, और खुद सत्संग घर की ओर चल दिए।
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# # 🔔 **और फिर हुआ चमत्कार!**
जैसे ही सत्संग शुरू हुआ, लगभग 30 मिनट बाद **सेवादारों की ओर से अनाउंसमेंट** होती है —
> “कार नंबर \[XYZ] में एक बच्चा अकेला है, जो जोर-जोर से रो रहा है। कृपया माता-पिता तुरन्त पहुंचे।”
लोग चौंक गए।
"अगर बच्चा कार में रो रहा है तो फिर क्या वह जीवित है?"
दूसरी बार फिर घोषणा हुई।
अब माता-पिता भागते हुए कार की ओर पहुंचे। संगत का समुद्र था, रास्ता मुश्किल से बन रहा था। जैसे-तैसे पहुंचे — देखा तो **बच्चा सच में रो रहा था, सांसें चल रही थीं, शरीर गर्म था।**
❗ **जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था — वह बच्चा जीवित था!**
यह कोई सपना नहीं था।
यह कोई कल्पना नहीं थी।
यह स्वयं **गुरु की लीला थी**।
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# # 💧 **पूरा सत्संग पंडाल रो उठा**
लोगों की आंखों से आंसू बहने लगे।
हर कोई मालिक की दया देख रहा था।
कई लोगों ने हाथ जोड़कर कहा —
> "आज हमने भगवान को अपनी आंखों से देखा।"
बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। जांच में पाया गया — **सब कुछ सामान्य था।**
उस दिन सत्संग के बाद बाबा जी ने बहुत गहरी बात कही:
> **“जब तुम पूरी श्रद्धा से मेरे हवाले करते हो, तो मैं कभी तुम्हें खाली हाथ नहीं लौटाता।”**
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# # ⚠️ **और फिर बाबा जी ने निर्णय लिया — मोहाली में अब कभी सत्संग नहीं होगा**
इतने बड़े चमत्कार के बाद, यह सभी सोच रहे थे कि अब मोहाली सत्संग केंद्र को और बड़ा बनाया जाएगा। लेकिन बाबा जी ने अगली बात में कहा —
> “अब इस जगह पर सत्संग नहीं होगा। यह अंतिम सत्संग है।”
संगत हैरान रह गई।
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# # 💭 **क्यों बंद कर दिए गए मोहाली के सत्संग?**
# # # कारण 1:
लोकल प्रशासन को हर बार ट्रैफिक, सिक्योरिटी और लॉजिस्टिक की समस्याएं होती थीं। पूरा मोहाली शहर जाम हो जाता था।
# # # कारण 2:
स्थानीय लोगों को परेशानी होती थी — शोर, ट्रैफिक, साफ-सफाई की दिक्कतें।
# # # कारण 3:
बाबा जी ने एक बार कहा था —
> "जहां सेवा, प्रेम और विनम्रता खत्म होने लगे, वहां संगत को हटाना ही बेहतर है।"
# # # कारण 4:
**वह चमत्कार इतना विशाल और अतिंद्रिय था** कि शायद मालिक ने स्वयं उस भूमि को अब विश्राम देना उचित समझा।
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# # 🌻 **अब क्या हुआ?**
उसके बाद चंडीगढ़, अमृतसर, लुधियाना और सिरसा आदि स्थानों में नए केंद्रों का विकास हुआ। संगतें नियंत्रित ढंग से बांटी गईं, ताकि सभी जगह सेवा सुचारु रूप से चलती रहे।
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# # ✨ **संदेश — चमत्कार नहीं, श्रद्धा देखता है मालिक**
इस पूरी घटना से एक बात स्पष्ट है —
**गुरु हमें हर पल देख रहे हैं।**
जब हम श्रद्धा से समर्पण करते हैं, तो कुछ खोता नहीं — वो तो और बढ़कर मिलता है।
🕊 **जो मर चुका था, वो जी उठा — सिर्फ एक बात पर — श्रद्धा और समर्पण।**
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# # 📜 **अंत में एक पंक्ति जो हर मन को छू जाए:**
> "मालिक कभी चमत्कार करके नहीं दिखाता, वो तो बस देखता है — क्या तूने खुद को सच में उसके हवाले किया है?"
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# # # 📩 अगर यह सच्ची सत्संग कथा आपके मन को छू गई हो, तो कृपया "राधा स्वामी" लिखकर अपने प्रेम को साझा करें, और इस पोस्ट को अपने मित्रों और परिवार संगतों तक पहुँचाएं।
**क्योंकि शायद उनकी जिंदगी में भी एक ऐसे चमत्कार की राह अभी भी बाकी हो।**
**राधा स्वामी जी**🙏🙏