18/11/2025
शिल्प और लोक कला के अद्भुत रंगों ने भरा अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अपना रंग
देश की संस्कृति और शिल्प कला का केन्द्र बना अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का मंच, शिल्प और सरस मेला बना पर्यटकों की पहली पंसद, प्रशासन द्वारा महोत्सव के दौरान किए गए है पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के प्रबंध
कुरुक्षेत्र, कर्ण। अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव का मंच देश की संस्कृति और शिल्पकला का मुख्य केन्द्र बन चुका है। इस महोत्सव के मंच पर विभिन्न राज्यों की शिल्पकला और लोक संस्कृति को सहजता से देखा जा सकता है। देश-प्रदेश की इस अदभुत शिल्प और लोक कला के रंगों ने महोत्सव में अपना रंग बिखेरना शुरु कर दिया है। इस अनोखे संगम से ब्रहमसरोवर की फिजा भी महक उठी है। यह महक देश के कोने-कोने तक पहुंच चुकी है और इस महक से रोजाना हजारों लोग ब्रहमसरोवर के तट पर खिंचे चले आ रहे है। अहम पहलू यह है कि अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव के दौरान 48 कोस के 182 तीर्थों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 के शिल्प और सरस मेले का चौथा दिन है और रोजाना पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ब्रह्मसरोवर के घाटों पर उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र की तरफ से बेहतरीन कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जा रही है। इन प्रस्तुतियों में किसी घाट पर पंजाबी संस्कृति, कहीं पर हरियाणवी और कहीं पर हिमाचल तो कहीं पर राजस्थान की लोक संस्कृति को देखने का अवसर मिल रहा है। इस लोक संस्कृति का आनंद लेने के साथ-साथ लोग ब्रह्मसरोवर के चारों तरफ एनजेडसीसी और डीआरडीए की तरफ से लगे सरस और शिल्प मेले में अनोखी शिल्पकला को भी खूब निहार रहे है। इस वर्ष लगभग 800 स्टॉल लगाए गए है। इसमें राष्ट्रीय, राज्य अवार्डी शिल्पकार भी शामिल है।
एनजेडसीसी के अधिकारी भूपेंद्र सिंह का कहना है कि एनजेडसीसी की तरफ से पंजाब का लड्डू, हिमाचल का किल्लू-नाटी, जम्मू कश्मीर का राउफ, उत्तराखंड का छपेली नृत्य से पर्यटकों का मनोरंजन कर रहे है। इसके अलावा महोत्सव में पंजाब से बाजीगर, राजस्थान से बहरुपिए और कच्ची घोड़ी के कलाकारों ने लोगों का मनोरंजन करना शुरु कर दिया है। हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल के साथ-साथ कई अन्य राज्यों की लोक संस्कृति इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में देखने को मिल रही है जब इन लोक कलाकारों द्वारा ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर अपनी प्रस्तुति दी जाती है तो वहां पर देखने वाले पर्यटक अपने पैरों पर थिरकने को मजबूर हो जाते है। ऐसी अदभुत संगीतमय लोक संस्कृति, इस महोत्सव में आने वाले सभी पर्यटकों के मन का रिझाने का काम कर रही है।
उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का शिल्प और सरस मेला जहां 5 दिसंबर तक चलेगा, वहीं इस महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 24 नवंबर से 1 दिसंबर 2025 तक चलेंगे। इन मुख्य कार्यक्रमों में अंतर्राष्ट्रीय गीता सेमिनार, दीपोत्सव, वैश्विक गीता पाठ, संत सम्मेलन, विभिन्न विभागों की प्रदर्शनियां मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहेंगी। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 के मुख्य कार्यक्रम ब्रह्मसरोवर पुरुषोत्तमपुरा बाग में होंगे। इस मुख्य मंच पर सुबह और सायं के समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी। इस महोत्सव में सांध्यकालीन कार्यक्रम करीब 6 बजे शुरु होंगे। प्रशासन की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए है।
शिल्पकारों की शिल्प कला से सजा ब्रह्मसरोवर का पावन तट
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव जहां विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुका है, वहीं दूसरी ओर इस महोत्सव में दूसरे राज्यों से आए शिल्पकार अपनी कला का अदभुत प्रदर्शन कर रहे है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए शिल्पकारों की ऐसी हस्त शिल्पकला जोकि अपने आप में जीवित होने की गाथा को ब्यां कर रही है। ऐसी अद्भुत हाथों की कारागिरी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है और पर्यटक जमकर इसकी खरीदारी कर रहे है।
शिल्पकारों ने बातचीत करते हुए बताया कि वे इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हर वर्ष आते है। इस बार भी वे अपने साथ टेराकोटा मिट्टी से बनी हुई अद्भुत और दिल को मोहने वाली फ्लावर पोर्ट, सुराही, प्रतिमाएं के साथ-साथ घर की सज्जा सजावट का अन्य सामान साथ लेकर आ है। वे इस सामान को टेराकोटा मिट्टी से बनाते है तथा यह मिट्टी मेवात व नूंह से मंगवाई जाती है तथा इस मिट्टी को पहले छाना जाती है उसके बाद उसे चॉक पर घुमा कर अपनी अदभुत हस्तशिल्प कला से नए-नए व सुंदर से सुंदर ऐसी प्रतिमाएं बनाते है जो कि अपने आप में जीवित होने की गाथा खुद बे खुद ब्यां करती है। उन्होंने बताया कि टेराकोटा से बनने वाली इन प्रतिमाओं को चॉक पर बनाने के बाद इनको पकाया जाता है, उसके बाद इसकी फिनिशिंग का कार्य किया जाता है और उसके बाद इसमें रंग बिरंगे रंगों से सजाकर अद्भुत स्वरूप दिया जाता है। पर्यटक इनकी जमकर खरीदारी कर रहे है।
केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में 5 दिसंबर 2025 तक लगने वाले इस सरस और शिल्प मेले में शिल्पकारों की हस्त शिल्पकला से ब्रह्मसरोवर के पावन तट सज चुके है और इस रंग बिरंगी हस्तशिल्प कला ने महोत्सव की फिजा का रंग बदलने का काम किया है। जहां एक ओर दूसरे राज्यों से आए कलाकार अपने प्रदेशों की संस्कृति को हर्षोल्लास से दिखाकार पर्यटकों के मन को मोह रहे है वहीं दूसरी ओर हाथों की ऐसी अदभुत शिल्प कला महोत्सव में रंग भरने का काम कर रही है।
सालों से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में लाखों रुपए के शॉल बेच चुके है पर्यटकों को
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पिछले कई सालों में लाखों रुपए के शॉल व कश्मीरी सूट पर्यटकों को बेच चुके है। इस शिल्पकला को कुरुक्षेत्र गीता महोत्सव में आने वाले पर्यटक बहुत अधिक पंसद करते है। इस महोत्सव में गत्त वर्ष लाखों रुपए के शॉल और कश्मीरी सूट की सेल हुई थी। अहम पहलू यह है कि उनकी कश्मीरी शॉल व सूटों के महोत्सव में काफी कद्रदान है, जो हर वर्ष उनसे कश्मीरी शॉल व गर्म सूट खरीद कर लेकर जाते है।
शिल्पकार अख्तर ने महोत्सव-2025 में स्टॉल नंबर 303 और 771 में शॉल और कश्मीरी सूट को स्टॉल लगाया है। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता की पश्मीना शाल को बनाने में काफी समय लग जाता है। इस शाल की कीमत लाखों रुपए में होती है। इस शाल को वैरायटी के हिसाब से 5 या 6 माह में भी तैयार किया जा सकता है। इस स्टॉल पर शिल्पकार ने कश्मीरी शाल, लोई, कम्बल, सूट, फैरन आदि उत्पादों को कुरुक्षेत्र और आस-पास के पर्यटकों के लिए रखा है। इस महोत्सव में सालों से पर्यटकों की कश्मीरी शाल की पेशकस को पूरा करने का प्रयास कर रहे है। यहां महोत्सव में आने के लिए हमेशा उत्साहित रहते है। उन्होंने विशेष बातचीत करते हुए कहा कि पुस्तों से उनका परिवार कश्मीरी शाल बनाने का काम कर रहा है। इस महोत्सव में पश्मीना की कश्मीरी शाल जिसकी कीमत 1 हजार रुपए से लेकर 25 हजार रुपए तक है, लेकर आए है।
उन्होंने कहा कि अगर सही मायने में पश्मीने की शॉल की बात करे तो उच्च गुणवत्ता की कश्मीरी शाल बनाने में सालों का समय लग जाता है। इस शॉल को डोगरा, सिख और मुगल काल में भी पसंद किया गया है। उस समय पसमीना का बडा शाल पहना जाता था और राजा महाराजा इस शाल को बडे ही शौंक के साथ पहनते थे। इस शिल्पकला को बढ़ावा देेने के लिए सरकार की तरफ से भी मदद मिलती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के प्रोग्राम को भी आगे बढाने का काम कर रहे है।
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