
13/07/2025
ईश्वर सिंह IPS — एक प्रेरणास्पद जीवन यात्रा
(The historical village Amin(Abhimanyupur)
जन्म व प्रारंभिक जीवन:
ईश्वर सिंह का जन्म हरियाणा के कुरुक्षेत्र ज़िले के छोटे से गाँव अमीन( अभिमन्युपुर) में हुआ था। वे बहुजन समाज के एक ग़रीब परिवार से थे। जीवन के शुरुआती दिनों में अभाव, संघर्ष और सामाजिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। सीमित संसाधनों के बीच शिक्षा प्राप्त करना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उनकी मेहनत और आत्मबल ने उन्हें असाधारण ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
⸻
शिक्षा: एक मजबूत नींव का निर्माण
प्रारंभिक शिक्षा:
ईश्वर सिंह की शिक्षा की शुरुआत उनके अपने गाँव अमीन के सरकारी विद्यालय से हुई। ग्रामीण परिवेश, सीमित संसाधन, और सामाजिक चुनौतियाँ — इन सभी के बावजूद उन्होंने शिक्षा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया।
माध्यमिक शिक्षा:
प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, कुरुक्षेत्र से हाई स्कूल और सीनियर सेकेंडरी (12वीं) की पढ़ाई पूरी की। यह वह समय था जब उनके भीतर आगे बढ़ने की ललक और आत्मविश्वास पनप रहा था। हर परीक्षा, हर प्रतिस्पर्धा में उनका संकल्प और स्पष्ट दृष्टिकोण झलकने लगा।
उच्च शिक्षा:
अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर ईश्वर सिंह ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), कुरुक्षेत्र — जो पहले Regional Engineering College (REC) के नाम से जाना जाता था — से इंजीनियरिंग में स्नातक (B.Tech) की डिग्री प्राप्त की। यह संस्थान देश के प्रमुख तकनीकी संस्थानों में से एक है, और यहाँ तक पहुँचना उनके लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। उन्होंने यह साबित कर दिया कि एक गांव का लड़का, अगर सच्ची मेहनत करे, तो वो किसी भी मंच पर अपनी प्रतिभा दिखा सकता है।
⸻
सिविल सेवा में प्रवेश:
तकनीकी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने एक नया सपना देखा — भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रवेश का। वर्ष 1993 में उन्होंने इस सपने को साकार किया जब वे IPS अधिकारी के रूप में चयनित हुए। यह न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे अमीन गाँव के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण था।
⸻
पुलिस सेवा का सफर:
प्रारंभिक पोस्टिंग (ASP):
1993 में उनकी पहली नियुक्ति सुल्तानपुर लोधी में Assistant Superintendent of Police (ASP) के रूप में हुई। इसके बाद उनका सफर वरिष्ठ पदों तक आज भी जारी है।
वरिष्ठ पदों पर सेवाएँ:
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP):
उन्होंने होशियारपुर, बरनाला, नवांशहर, खन्ना, बठिंडा, गुरदासपुर और जालंधर जैसे संवेदनशील जिलों में SSP के रूप में सेवा दी।
उप पुलिस महानिरीक्षक (DIG):
लुधियाना, जालंधर, और जालंधर ज़ोन-2 में DIG के रूप में कार्य किया।
पुलिस कमिश्नर:
लुधियाना और जालंधर में पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्त रहे। आईजी (IG), पटियाला ज़ोन-1:
क्षेत्रीय स्तर पर कानून-व्यवस्था की निगरानी की।
⸻
प्रमुख भूमिकाएँ और सराहनीय योगदान:
2015 – नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, पंजाब के निदेशक:
पंजाब में नशाखोरी के खिलाफ निर्णायक युद्ध छेड़ा। इस कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक के लिए नामांकित किया गया।
2018 – ADGP, लॉ एंड ऑर्डर:
राज्यभर में कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने की ज़िम्मेदारी निभाई।
2021 – ADGP, प्रशासन:
पंजाब पुलिस के प्रशासनिक कार्यों का संचालन किया।
2022 – चीफ विजिलेंस ऑफिसर, पंजाब पुलिस:
भ्रष्टाचार-निरोधी कार्रवाइयों की निगरानी की।
⸻
सम्मान और पुरस्कार:
2009 – गणतंत्र दिवस मेधावी सेवा पुलिस पदक
50वीं स्वतंत्रता वर्षगाँठ पदक
2014 – राज्य स्तरीय सामुदायिक पुलिसिंग पुरस्कार (15 अगस्त)
राष्ट्रपति पुलिस पदक हेतु नामांकन (2015 – नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो में सेवा हेतु)
⸻
नेतृत्व व प्रभाव:
ईश्वर सिंह को उनके नेतृत्व गुणों और कनिष्ठ अधिकारियों को मार्गदर्शन देने के लिए जाना जाता है। उनकी कार्यशैली में अनुशासन, पारदर्शिता और जन-समर्थता का विशेष ध्यान रहता है। नशे के विरुद्ध लड़ाई और सामुदायिक पुलिसिंग में उनका योगदान उन्हें एक संवेदनशील और प्रतिबद्ध अधिकारी के रूप में स्थापित करता है।
⸻
वर्तमान स्थिति (मार्च 2025 तक):
हाल के सार्वजनिक रिकार्ड्स के अनुसार, ईश्वर सिंह अभी भी पंजाब पुलिस में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं। 1993 बैच के IPS अधिकारी होने के नाते, संभवतः स्पेशल DGP स्तर पर कार्यरत हैं।
————
निष्कर्ष:
ईश्वर सिंह की जीवनगाथा एक संदेश है — कि जन्म और परिस्थितियाँ हमारी नियति को निर्धारित नहीं करतीं, बल्कि हमारा आत्मबल, मेहनत और संकल्प करता है। गाँव अमीन से निकलकर NIT और फिर IPS तक का सफर न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे गाँव,समाज और ग्रामीण युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
वे आज भी भारतीय पुलिस सेवा में कार्यरत हैं और अपने समर्पण से समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला रहे हैं। उनका जीवन बताता है कि “संघर्ष से भागो मत, बल्कि उसका सामना करो – तभी इतिहास बनता है।”
Plz Like share comment