18/11/2025
*सेवा व सामाजिक समर्पण के लिए जाने जाते हैं कैप्टेन शिवराम सिंह ख्यालिया*
*पत्रकार बाबूलाल सैनी*
लक्ष्मणगढ़ 18 नवंबर। समीपवर्ती नरोदडा गांव के रहने वाले कैप्टेन शिवराम सिंह ख्यालिया सीमाओं पर मातृभूमि की रक्षा,समाज में एकता व प्रेरणा का संदेश देने के साथ साथ सेवा व परोपकार के लिए भी जाने जाते हैं। गौरवशाली सैनिक परिवार में 01 अक्टूबर 1965 को जन्मे शिवराम सिंह ने अपने जीवन में अनुशासन, समर्पण और देशभक्ति को अपना आदर्श बनाया है। उनका मानना है कि देश सेवा केवल वर्दी में नहीं, बल्कि समर्पण में होती है । सैनिक परंपरा इनके रक्त में रची बसी है। इनके पिताश्री गोपाल सिंह ख्यालिया व ताऊजी चेतराम सिंह ख्यालिया दोनों भारतीय सेना में थे। यही प्रेरणा आगे चलकर परिवार की नई पीढ़ी ने भी अपनाई और इसको निरंतर आगे बढ़ाया । तीन भाइयों व एक बहिन में सबसे बड़े शिवराम सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव में जबकि हायर सेकेण्डरी श्री रघुनाथ विद्यालय से तथा सेठ जीआर चमडिया कालेज फतेहपुर से स्नातक की डिग्री हासिल की ।
स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए तथा 34 वर्षों तक देश की रक्षा में अपना अमूल्य योगदान दिया। इस दौरान वर्ष 1989 में मिलट्री कालेज ऑफ मेटीरियल मैनजमेंट जबलपुर से एम्युनिशन टेक्निशियन में डिप्लोमा प्राप्त किया और आर्मी के एक्स ग्रुप में चयनित हुए। तथा मात्र 11 वर्ष के सेवाकाल में ही जूनियर कमीश्ड ऑफिसर्स के पद पर पदोन्नति प्राप्त की जो एक असाधारण उपलब्धि है। इस दौरान कारगिल युद्ध, आपरेशन पराक्रम, आपरेशन राइनो (उत्तर-पूर्व भारत), आपरेशन और्चिड, आपरेशन रक्षक (जम्मू-कश्मीर 14वर्ष सर्विस) में भाग लेकर वीरता का परिचय दिया। करगिल युद्ध के दौरान कारगिल सेक्टर में तैनात रहे और उत्कृष्ट कार्य करते हुए राष्ट्र की रक्षा में योगदान दिया। इस दौरान इनकी वीरता और समर्पण को देखते हुए वर्ष 2014 में उन्हें जीओसी इन सी कमीशन्ड मेडल से सम्मानित किया तथा इसके अतिरिक्त विभिन्न सैन्य कमांडरों ने अनेक प्रशंसा पत्र और मेडल्स से भी नवाजा गया।इस दौरान कैप्टेन ख्यालिया ने स्वीडन की बोफोर्स एम्युनिशन रिपेयर टीम के साथ 2 वर्षों तक विशेष मिशन पर काम करने का गौरव प्राप्त किया। उन्होंने पिस्टल, राइफल, मोर्टार, आर्टिलरी, आर्म्ड, बोफोर्स ,पिनाका, और ब्रह्मोस जैसी विभिन्न प्रणालियों से एम्युनिशन इंस्पेक्शन, रिपेयर, और मैटिनेंसं में महारथ हासिल की । ऑपरेशन पराक्रम के दौरान बीकानेर में 300 ट्रक गोला बारूद में आग लगने की स्थिति में उन्हें क्लियरेंस ऑपरेशन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी गई। उन्होंने असाधारण सूझबूझ और साहस के साथ कार्य करते हुए बिना किसी मानवीय हानि के मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने पर जीओसी साउथ वेस्टर्न कमांड द्वारा विशेष प्रशंसा पत्र प्रदान किया।ख्यालिया की उत्कृष्ट सेवाओं और देशभक्ति को देखते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कैप्टेन की मानद उपाधि से अलंकृत किया। 2019 में सेवानिवृत्त होने के बाद कैप्टेन ख्यालिया ने समाज सेवा व पूर्व सैनिकों के कल्याण में जूट गये। तथा पूर्व सैनिक वेल्फेयर समिति का गठन कर उसे रजिस्ट्रर्ड कराया । समिति के माध्यम से पूर्व सैनिकों के लिए काम करने लगे तथा लक्षमनगढ में वार मेमोरियल बनाने में पूर्व सैनिक साथियों के साथ जूटे जिसका सोमवार को भूमि पूजन व शिलान्यास समारोह आयोजित हुआ।