25/10/2025
सुरक्षा एजेंसियों ने हाल के दिनों में जिस दक्षता और तत्परता के साथ आतंकवाद पर प्रहार किया है, वह देश के मजबूत सुरक्षा ढाँचे और खुफिया नेटवर्क की क्षमता का प्रमाण है। दिल्ली से लेकर गुजरात और तमिलनाडु तक, आतंक के जाल को तोड़ने में एजेंसियों ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है।
(20 अक्टूबर 2025) गुजरात ने अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) से जुड़े चार आतंकियों को गिरफ्तार किया।
(22 अक्टूबर 2025) तीन दशक तक फरार रहने के बाद अबूबकर सिद्दीकी नामक आतंकी को आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार किया गया। वह 1990 के दशक में तमिलनाडु में हुए कई बम विस्फोटों का मुख्य आरोपी था।
(24 अक्टूबर 2025) दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने दो आतंकियों को गिरफ्तार किया जो इस्लामिक स्टेट (ISIS) से प्रेरित थे। दोनों की योजना थी कि दीवाली एवं छट पूजा के दौरान दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके में आत्मघाती हमला (su***de bomber) किया जाए। जांच में सामने आया कि वे सीरिया स्थित हैंडलर के संपर्क में थे।
पुलिस ने उनसे विस्फोटक सामग्री, डिजिटल चैट और कट्टरपंथी प्रचार सामग्री बरामद की।
आखिर हिन्दू त्योहारों पर ही ऐसे अटैक्स की योजना क्यों बनती है , विचारणीय बिंदु है।
बात केवल यहां तक नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार 2017-25 के बीच लगभग 142 स्लीपर मॉड्यूल को निष्क्रिय किया गया, जिनमें से 131 सक्रिय थे। साथ ही 11 मॉड्यूल आतंक-वित्त पोषण से जुड़े पाए गए जिन्हें अच्छा खासा माल भेजा जा रहा था।
भारत सरकार ने भारत में अब कुल 67 समूह बैन किए गए हैं — जिनमें से 45 को “terrorist organisations” यानी पहली अनुसूची (First Schedule) के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है व 22 को “unlawful associations” के रूप में माना गया। ज्यादातर मुस्लिम कट्टरपंथी समूह हैं जो भीख का कटोरा लेकर भारत को बर्बाद करने का सपना देख रहे हैं।
हम यह सब बातें यहां पर क्यों कर रहे हैं ?
क्योंकि आज देश को आंतरिक सुरक्षा एक बहुत बड़ा काम है। हमारे जवान सीमाओं पर दुश्मनों से लड़ते हैं,
लेकिन देश के भीतर…स्लीपर सेल, कट्टरवाद, नशा, साइबर अपराध और नकली खबरें हमारे समाज की जड़ों को खोखला कर रही हैं।
अबु मुहम्मद isis आतंकी को पहले ही 2024 में पकड़ा जा चुका था लेकिन कोर्ट कोठे ने बेल देकर इन्हें बड़ा कांड करने का लाइसेंस दे दिया ।
सुप्रीम कोठा इन आतंकियों को बेल क्या देश जलने के लिए दे रहा है ?
एक जवान अपनी जान जोखिम में डालकर ऐसे अपराधियों को पकड़ता है और ये फुद्दू जज AC के नीचे बैठकर घूसखोरी करके छोड़ देते हैं। सेकुलर कीड़े को मासूम लोगों की मौत और दर्द देखकर जरा भी शर्म नहीं आती।
उन वकीलों को भी डूब मरना चाहिए जो ऐसे आतंकियों का केस लेते है , ऐसे म्लेच्छों की अच्छे से सुताई करना चाहिए ।
19 एवं 20 वर्ष के पकड़े गए मुहरिब और मुहम्मद जिन्हें कॉलेज में पढ़कर , अपना भविष्य बनाना चाहिए आज खुलेआम लोगों को मारने के लिए तड़प रहे हैं। जो चार्टेड अकाउंटेंट , इंजीनियरिंग जैसे प्रोफेशनल कोर्सेज पढ़ने के बाद भी जिहादी मानसिकता के गुलाम बनकर अपने ही देश को जलाने को जन्नत का रास्ता मान रहे है उनकी ऐसी मानसिकता पर थू है। एक बार नहीं हजार बार थू है।
और हां , अगर ऐसे critical cases का ऐसे ही मजाक बनाती है तो आतंकियों को वही ठोक देना ही सही है।
युद्ध बाहर नहीं — अब भीतर चल रहा है।
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योगी की कलम से