21/10/2025
यही वो सुशांत सिंह राजपूत थे ,बिहार की धरती से निकला एक चमकता हुआ सितारा, जिसने बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई थी। उनके अभिनय में सादगी थी, जज़्बा था, और उस मिट्टी की खुशबू थी जिससे हर बिहारी खुद को जोड़ पाता था। लेकिन उनकी रहस्यमय मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया विशेषकर बिहार में तो मानो शोक की लहर दौड़ गई थी।
उस समय बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय थे , वही अधिकारी जिन्होंने इस मामले को केवल एक घटना नहीं, बल्कि न्याय के सवाल के रूप में देखा। जब महाराष्ट्र पुलिस ने सहयोग से इंकार किया, तब गुप्तेश्वर पाण्डेय ने बिना झुके, बिना डरे बिहार पुलिस की टीम गठित कर मुंबई भेजी। यह बिहार के गौरव और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक था। महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस ने भले ही उस जांच को रोकने की कोशिश की, पर गुप्तेश्वर पाण्डेय ने बिहार की अस्मिता की लड़ाई लड़ी और देशभर में चर्चा का केंद्र बने।
दुर्भाग्य यह रहा कि डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय के पद छोड़ने के बाद यह मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया। न्याय की वह लौ, जिसे उन्होंने जलाया था, सियासत और चुप्पी के साए में मद्धम पड़ गई।
आज विडंबना देखिए ,एक ओर सुशांत के बहनोई को हरियाणा पुलिस का डीजीपी बनाया गया है, और दूसरी ओर उनकी बहन को भाकपा माले द्वारा पटना के दीघा से बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट दिया है। लेकिन असली सवाल वही है —
क्या सुशांत को कभी न्याय मिलेगा?
क्या वह जज़्बा, जो गुप्तेश्वर पाण्डेय ने दिखाया था, किसी और में है?
बिहार कभी नहीं भूलेगा कि जब बाकी सब चुप थे, तब डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय ही थे जिन्होंने बिहार की ओर से न्याय की आवाज़ उठाई थी।