Son of Purvanchal

Son of Purvanchal भर,राजभर,भारशिव,नागवंशी,शैववंशी

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02/09/2025

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बिहार दरभंगा गज़ेटियर भर /भारशिव/भर राजपूत के तौर पर दर्ज किया बहुत अफसोस की बात है कि राजाओं का नाम गायब हैं जब कि भरो ...
16/08/2025

बिहार दरभंगा गज़ेटियर
भर /भारशिव/भर राजपूत के तौर पर दर्ज किया बहुत अफसोस की बात है कि राजाओं का नाम गायब हैं जब कि भरो ने दरभंगा पर 1559ई तक शासन किया भाई सब गोल माल है कहीं
हल्दीव के राजा कि तरह अपनी बंशावली तो बदल नहीं लिए ॥🙇🙇🙇🙇

“समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।”आप सभी को 79वें स्वतंत्रता दिवस की शुभक...
15/08/2025

“समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।”

आप सभी को 79वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
जय हिंद! 🇮🇳

 #दशाश्वमेधघाट और  #राजभरसमाज .....🌹🌹आज सुबह सुबह हमे  #दशाश्वमेध नामक एकांकी का स्मरण हो आया। शायद इस नाटक के लेखक पण्ड...
13/08/2025

#दशाश्वमेधघाट और #राजभरसमाज .....🌹🌹
आज सुबह सुबह हमे #दशाश्वमेध नामक एकांकी का स्मरण हो आया। शायद इस नाटक के लेखक पण्डित #लक्ष्मीनारायण_मिश्र जी थे। यह नाटक हमारे विद्यार्थी काल में जूनियर कक्षा के हिन्दी भाषा के पाठ्यक्रम में शामिल था। इस नाटक के नायक #नागराज #वीरसेन थे। नागवंशी क्षत्रिय ..... जो भगवान शिव के परम भक्त होने के कारण #भारशिव कहलाये, और बाद में उन्हें #भर/ #राजभर उपनाम से पुकारा जाने लगा। नाटक हमने 1974 के पूर्व एक विद्यार्थी के रूप में पढ़ा था। कुछ कथानक स्मरण हैं जैसे नायक का नाम नागराज वीरसेन एक कुशल पराक्रमी योद्धा थे। नागवंशी क्षत्रियों का प्रभाव मिर्जापुर वाराणसी गाजीपुर सहित पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों में व्याप्त था। ये भारशिव भर नागवंशी क्षत्रिय तब कन्नौज के राजा कनिष्क के शासन के अधीन थे। किन्तु इन्हें गुलामी पसन्द नही थी। तभी इस वंश में वीरसेन ने जन्म लिया। उसने पूर्वांचलीय समाज को संगठित किया। और कन्नौज राज की अधीनता को चुनौती दिया। फलस्वरूप युद्ध हुआ और नागवंशी क्षत्रिय यानि भारशिव भर विजयी हुए युद्ध में। इसी स्मृति में नागराज वीरसेन ने दशाश्वमेध घाट पर अश्वमेध यज्ञ करवाया। नागराज वीरसेन इतने सुन्दर थे कि कन्नौज की राजकुमारी .... शायद #कौमुदी नाम था, उनके ऊपर मुग्ध थी। और अन्ततः दोनों का विवाह भी हुआ। कालान्तर में भारशिव भर समाज कुशल नेतृत्व के अभाव में शिक्षा से दूर हो गया, फिर पिछड़ गया। आज वही #भर समाज पिछड़े वर्ग में शामिल है। जिन्हें उनके अयोग्य नेता आज भी बरगला रहे हैं। काश! भारशिव भर समाज में कोई #वीरसेन जैसा महावीर कुशल राजनेता पुनः जन्म लेता ॥🙇🙇🙇

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#हजारों_वर्षों_के_बाद_पढ़ाया_जाएगा_उत्तरप्रदेश_में
ाजभर_क्षत्रियो_का_इतिहास
ासन_कर_रहे_भरों_की_रियासतों_को
#इस्लाम_के_पैगंबर_के_रिश्तेदार_भी_राजभरों_के_दुश्मन_क्यों
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 #समाजिक_चिंतन आख़िर  क्यों ???? 🙇🙇🙇🙇 #इस्लाम_के_पैगंबर_के_रिश्तेदार_भी_राजभरों_के_दुश्मन_क्यों  ???? #इस्लाम_के_पैगंबर ...
13/08/2025

#समाजिक_चिंतन आख़िर क्यों ???? 🙇🙇🙇🙇

#इस्लाम_के_पैगंबर_के_रिश्तेदार_भी_राजभरों_के_दुश्मन_क्यों ????

#इस्लाम_के_पैगंबर के पहले खलीफा, #अबूबकर_सिद्दीकी के वंशज हैं: उनका परिवार " #शेख_सिद्दीकी" है। राजा के पूर्वज #बगदाद से भारत आए थे जब #गौरी वंश के राजा शासन कर रहे थे और उत्तर-पश्चिमी प्रांत के एक कस्बे अमरोहा में बस गए थे। चार पीढ़ियों तक वे उक्त इलाके के काज़ी रहे; बाद में, लगभग 1226 ई. में, #काजी_नसरुत_उल्लाह, उर्फ #शेख_नूतन, राजकुमार #नसीरुद्दीन के साथ #अवध आए और इस प्रांत पर उनके #प्रसिद्ध_आक्रमण में शामिल हुए, और उस समय ासन_कर_रहे_भरों_की_रियासतों_को उखाड़ फेंका। #दिल्ली_के_बादशाह_ने_उनकी_सेवाओं की सराहना की और उन्हें महमूदाबाद, बेलहेड़ा, पैंतीपुर और भुटवा मऊ के ताल्लुकों के प्रमुख भाग वाले गाँव, बिश्मपुर, महमदपुर, सिरौली, बाबूपुर और कुटरी, अछैचा, राल भारी और मितोंरा, नियामुतपुर, भिउरी और सुद्रावन की ज़मींदारियाँ प्रदान कीं, जो आज भी उनके वंशजों के कब्जे में हैं। शेख नसरुत-उल्लाह की बेलहेड़ा में मृत्यु हो गई और उनके बाद उनके पुत्र शेख निज़ाम ने गद्दी संभाली, और उनकी मृत्यु के बाद उनके सबसे बड़े पुत्र गुलाम मुस्तफा ने गद्दी संभाली।

नोट 👉 जो लोग आज बड़े बड़े सुरमा बन रहे हैं तब कहां थे जब यह अभियान चल रहा था। अवध के असली शासक और रियासत #भरों की ही थी बाकि तो नकली खाल पहने भेड़िए आज भी हमें आंख दिखाते हैं, अपनी अतीत को पहचाने वर्तमान और भविष्य को संवारे यह आपके हाथ में हैं 🙏🙏






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