24/11/2025
🙏🏽 मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई सर का विदाई भाषण
निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई सर ने अपने विदाई समारोह में संतोष और कृतज्ञता की भावना व्यक्त की। उन्होंने अपने भाषण में कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं, जिनमें से कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
🇮🇳 देश सेवा और संवैधानिक मूल्य
* देश की सेवा: उन्होंने कहा कि उन्होंने जज के पद को कभी सत्ता की कुर्सी नहीं, बल्कि देश की सेवा करने के अवसर के रूप में देखा।
* संवैधानिक सिद्धांत: उन्होंने हमेशा संविधान के चार मूलभूत सिद्धांतों – न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व – के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का प्रयास किया।
* पर्यावरण और न्याय: उन्होंने पर्यावरण, पारिस्थितिकी और वन्यजीव संरक्षण से जुड़े मामलों पर न्याय देने में विशेष संतोष व्यक्त किया, क्योंकि ये विषय उनके दिल के करीब थे।
* संतोष और कृतज्ञता: उन्होंने कहा कि वह इस एहसास के साथ विदा ले रहे हैं कि उन्होंने इस देश के लिए वह सब कुछ किया जो वह कर सकते थे, और इस संस्था के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहेंगे।
🧑🎓 संस्थान और डॉ. अम्बेडकर
* न्याय का छात्र: उन्होंने कहा, "मैं कानून के छात्र के रूप में आया था, और आज, जब मैं पद छोड़ रहा हूँ, तो न्याय के छात्र के तौर पर विदा ले रहा हूँ।"
* संविधान और डॉ. अम्बेडकर: उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वह केवल डॉ. बी.आर. अम्बेडकर और भारतीय संविधान की बदौलत ही इस उच्च पद तक पहुँच पाए हैं।
* सामूहिकता पर ज़ोर: उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट एक महान संस्था है और यह तभी कार्य कर सकती है जब न्यायाधीश, बार (वकील), रजिस्ट्री और कर्मचारी सहित सभी हितधारक मिलकर काम करें।
🌟 धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिगत आस्था
* धर्मनिरपेक्षता: उन्होंने खुद को वास्तव में धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति बताया, जो हिंदू, सिख, इस्लाम और ईसाई धर्म सहित सभी धर्मों में विश्वास करता है।
* पिता की सीख: उन्होंने बताया कि यह सीख उन्हें अपने पिता से मिली, जो स्वयं धर्मनिरपेक्ष और डॉ. अम्बेडकर के अनुयायी थे।
सर गवई ने यह भी उल्लेख किया कि उनकी इच्छा थी कि उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट को एक महिला जज मिल पाती, लेकिन हाई कोर्ट में 16 महिला जजों की सिफारिश की थी