06/12/2023
सामाजिक अंकेक्षण दल द्वारा किया गया मनरेगा संचालित योजनाओं का निरीक्षण......
आइए समझते हैं आखिर होता क्या है इसमें....
नमस्कार मित्रों
जैसा कि हम जानते हैं सरकार द्वारा विकास को लेकर कई तरह की योजनाओं को चलाया जाता है, और समय समय पर अलग अलग व्यवस्थाओं द्वारा इसका निरीक्षण और भौतिक सत्यापन किया जाता है, जिसमें कई अधिकारी कर्मचारी पर शुल्क से लेकर निलंबन तक कि नियम है। इसी क्रम में मनरेगा योजना से बनाई गई अनेक योजना जिसमें तालाब, डोभा, विरसा हरित ग्राम योजना, दीदी बड़ी, गाय शेड इत्यादि शामिल हैं जिसका निर्माण पिछले तीन से चार वर्षों में जो भी काम हुआ जिसमें मुखिया, ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक, पंचायत सचिव सहित प्रखंड स्तर पर कई अधिकारी इसके देख रेख में होते हैं। इसके बावजूद जब सामाजिक अंकेक्षण दल द्वारा 5 दिनों तक भौतिक सत्यापन किया गया जिसमें मजदूर, योजना और स्थल पर जांच की गई तो पाया जाता है कि, कुछ योजना तो जमीन तक आया ही नही बल्कि कागजात में सिमट कर रह गया, कुछ का एमबी ही नही बना, कुछ में भुगतान ही नही है इत्यादि इत्यादि। इसके बाद अंत में एक जनसुनवाई रखी जाती है और उसमें एक टीम का गठन होता है जो उस गड़बड़ी स्व जुड़े मामलों में अपनी निर्णय देती है जैसे कि कब तक सुधार होगा या कितना दंड शुल्क किसपर होगा।.. बस यहीं से पुनः प्रारम्भ होता है एक नया भ्रष्टाचार... जो जूरी टीम का चयन होता है उसमें बड़ी चालाकी से मृतप्राय लोग होते हैं जिनके मुह से कुछ निकलेगा नही, इसी बीच जो करप्सन से जुड़े लोग पीछे से अपना मन्तव्य दे देकर मामला को अपनी पक्ष में रख लेंगे। इसके बाद कुछ मामला को प्रखण्ड स्तर के लिए भेजा जाता है और वहां तक जाते जाते पुनः वही हाल बना दिया जाता है कि गलती करने वाले के ऊपर कोई बड़ा नुकसान हो ही न.....हालांकि अब बहुत हद तक जनता जाग रही है किंतु अब सरकार और सरकार के अधिकारी का रूप बदल गया है। तो मेरा मानना है कि कोई नियम और कार्यवाहियों के लिए जब इतनी ताम झाम किया जाता है तो फिर अंतिम में आखिर इतना कमजोर क्यों किया जाता है। सिर्फ आम जनता का समय जाया हो और रिजल्ट बस ढाक के तीन पात। मेरे लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। आगे भी अलग अलग मुद्दों पर लिखने के लिए और आपके लिए प्रस्तुत कर सकूं इसके लिए आपका लाइक कमेंट और शेयर चाहिए.... अगर अच्छा लगा तो