26/09/2025
दिनांक 26 सितम्बर, 2025
उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा दिनांक 25 एवं 26 सितम्बर, 2025 को आयोजित राज्य नाट्य समारोह की द्वितीय संध्या को नाटक ‘दूसरा न कोई’ का मंचन किया गया। इस अवसर पर माननीया उपाध्यक्ष महिला आयोग श्रीमती अपर्णा यादव, अकादमी अध्यक्ष प्रो0 जयन्त खोत, अकादमी उपाध्यक्ष श्रीमती विभा सिंह तथा अन्य सम्मानित अतिथि सभागार में उपस्थित रहे।
इस आयोजन में सर्वप्रथम अकादमी के माननीय अध्यक्ष प्रो0 जयन्त खोत तथा उपाध्यक्ष श्रीमती विभा सिंह द्वारा श्रीमती अपर्णा यादव जी का स्वागत किया इसके पश्चात् मुख्य अतिथि एवं गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
दीप प्रज्जवलन के उपरान्त अकादमी के अध्यक्ष प्रो0 जयन्त खोत द्वारा मुख्य अतिथि को शॉल एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया तथा माननीय उपाध्यक्ष श्रीमती विभा सिंह द्वारा नाटक ‘दूसरा न कोई’ की लेखिका डॉ0 अंजना पुरी का पुष्पगुच्छ एवं शॉल देकर सम्मानित किया।
अकादमी की मा0 उपाध्यक्ष श्रीमती विभा सिंह द्वारा मा. मुख्य अतिथि तथा सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा अकादमी का सदा प्रयास रहता है कि अपने कार्यक्रमों में कुछ नया करने का प्रयास किया जाए। इसलिए इस वर्ष नाट्य समारोहों की रूपरेखा में थोड़ा सा परिवर्तन किया गया है। विगत वर्ष तक तीनों सम्भागीय नाट्य समारोहों की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति को लेकर तीन से चार दिवसीय राज्य नाट्य समारोह का आयोजन कराया जाता था। लेकिन इस वर्ष से सम्भागीय नाट्य समारोह की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति को तीन दिवसीय प्रादेशिक नाट्य समारोह में शामिल किया गया तथा प्रादेशिक नाट्य समारोह की प्रस्तुति को राज्य नाट्य समारोह में शामिल किया गया। राज्य नाट्य समारोह में प्रादेशिक नाट्य समारोह की एक सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति के साथ ही साथ मध्य प्रदेश भोपाल से रंग विदूषक, संस्था की नाट्य प्रस्तुति ‘दूसरा न कोई’ को आमन्त्रित किया गया है। अर्थात् राज्य नाट्य समारोह में किसी अन्य प्रदेश के दो या तीन हिन्दी नाटकों को आमन्त्रित किया जाएगा जिससे प्रदेश के नाटकों के साथ ही साथ अन्य प्रदेशों की उत्कृष्ट नाट्य प्रस्तुतियों से दर्शक लाभान्वित हो सकें।
तत्पश्चात रंग विदूषक, भोपाल द्वारा कन्हैयाला के निर्देशन में तैयार प्रस्तुति ‘‘दूसरा न कोई’’ का मंचन किया गया।
रंग विदूषक ने अपनी स्थापना के समय से ही, हमेशा लीक से हटकर काम करने की कोशिश की है। रंग विदूषक का विदूषक अपने आस-पास की घटनाओं की कहानी को एक अनोखे अंदाज में बताता है। यह किरदार दर्शकों को गहरी नींद से जगाता है और अनसुनी, अनकही बातों को कहने का माध्यम बनता है, और इस तरह अनदेखी बातों को सामने लाता है। विदूषक दर्शकों के बीच नैतिक और अनैतिक के बीच संतुलन बनाता है, और उनमें एक स्वस्थ संघर्ष पैदा करता है। विदूषक सर्वाेपरि है। रंग विदूषक 1984 में एक शाम का समूह के रूप में शुरू हुआ, जिसने अपने नए दृष्टिकोण और प्रयोगों में भाग लेने के लिए सभी क्षेत्रों के लोगों को आकर्षित किया। यह विचारों के आदान-प्रदान और अनौपचारिक बातचीत के लिए एक जगह बन गया। सामाजिक परिवेश और आसपास के राजनीतिक माहौल में बदलाव ने अभिव्यक्ति के लिए एक माध्यम खोजने की आवश्यकता पैदा कर दी। इसके लिए विदूषक को चुना गया। जो कुछ उत्साही लोगों का एक छोटा समूह था, जो अपनी शामें रचनात्मकता के लिए समर्पित करते थे, वह बन गया बांसि कौल का रंग विदूषक। यह औपचारिक रूप से एक संस्था बन गया, जिसमें संस्थापक सदस्य, कार्यकारी और सामान्य परिषद सदस्य थे। रंग विदूषक ने वर्षों में कलाकारों, नर्तकों, कोरियोग्राफर, कवियों, नाटककारों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को आकर्षित किया है और कलाकारों का एक जीवंत समूह बन गया है। रंग विदूषक ने परफॉर्मेंस और नॉन-परफॉर्मेंस कला रूपों, लोक खेलों, बच्चों के खेल, तुकबंदी और पहेलियों, बोलियों की मधुरता, लोक गायकों के लोकगीतों, अखाड़ेबाजी की ताकत और नाटक की लचीलेपन जैसे सिद्धांतों के आधार पर एक प्रशिक्षण पद्धति विकसित की है। इस पद्धति के माध्यम से इसने एक ऐसी बॉडी लैंग्वेज विकसित की है जो भाषाई बाधाओं को पार करती है। इससे एक अलग परफॉर्मेंस स्टाइल का जन्म हुआ है और इसने समूह को अपनी पहचान दी है। रंग विदूषक अब एक पूर्णकालिक कोर ग्रुप के रूप में है, जो मूवमेंट, रंग और रूप के साथ प्रयोग करता है। समूह का कार्यस्थल क्लॉउन-थिएटर के लिए एक प्रयोगशाला बन गया है। जिस शाम के ग्रुप से रंग विदूषक की शुरुआत हुई थी और आज का कोर-ग्रुप इस प्रयोगशाला की जगह में एक साथ रहते हैं। एक शक्तिशाली नदी की तरह, रंग विदूषक अपने घुमावदार रास्ते में असंख्य छोटी-छोटी धाराओं से मिलता है। वह इन धाराओं के साथ खेलता है। पलक झपकते ही वह उनसे छिप जाता है और फिर अचानक वापस आ जाता है। इसलिए, रंग विदूषक असंख्य थिएटर ग्रुप, विभिन्न सामाजिक तबकों के बच्चे, शिक्षक, अभिनेता, निर्देशक, नाटककार, शिल्पकार, कलाकार और विशेषज्ञ जैसे अपने सहयोगियों के साथ मिलकर थिएटर नामक विशाल अथाह महासागर से जुड़ता है। इसने ऐसे कलाकारों को प्रशिक्षित किया है जिन्होंने अपने तरीके से अपना अलग रास्ता बनाया है। वे शिक्षकों और कलाकारों के रूप में समूह में वापस आए हैं और अपने क्षेत्रों में अपने ग्रुप और रंग विदूषक के बीच नेटवर्किंग बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसका उद्देश्य अपने ग्रुप को थिएटर की मुख्यधारा में लाना है।
रंग विदूषक ने देश भर में सैकड़ों कार्यशालाएं आयोजित की हैं, अक्सर सामाजिक रूप से वंचित लोगों के लिए। इसने जेलों की अंधेरी खामोशी में भी कार्यशालाएं आयोजित कीं, ताकि विचाराधीन कैदियों के जीवन में कुछ हंसी और खुशी वापस लाई जा सके। रंग विदूषक ने समाज के असंख्य बच्चों के साथ परफॉर्मेंस और कार्यशालाओं के माध्यम से संबंध स्थापित करने के लिए अथक प्रयास किया है। कैदियों के बच्चों के साथ कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं, जो खुद अपराधी नहीं हैं, लेकिन अपने परिवार के इतिहास के कारण समाज में कलंक झेलते हैं। वंचित परिवारों से आने वाले और हाशिए पर रहने वाले बच्चे भी इस समूह की गतिविधियों का हिस्सा रहे हैं। पुलिसकर्मियों के बच्चे भी समूह की कार्यशालाओं में शामिल रहे हैं। हमेशा से प्रयास यह रहा है कि इन बच्चों को थिएटर कला के माध्यम से मुख्यधारा में लाया जाए। लगातार शोध और प्रयोग ने समूह के सदस्यों को हमेशा काम की प्रक्रिया पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया है।
मंच पर कलाकार
विमलेश पटेल रावदूदा गांव का निवासी, नितिन पांडेय, ब्राह्मण, संकित सेजवार साधु, गांव का निवासी/सहायक, शैफ आलम चेला, सपेरा/गांव का निवासी, पूजा मिश्रा मीरा की सखी/माँ, हीर मीरा उडाबाई/सखी, मुस्कान शर्मा मीरा की सखी/बच्ची मीरा, वर्षा पांडेय मीरा की सखी, सौरभ विक्रमजीत गांव का निवासी, प्रमय दुबे पुरोहित, गांव का निवासी/सैनिक, राजेश ब्राह्मण, हर्ष दाउंड ब्राह्मण, प्रियांशू दूल्हा गांव का निवासी/सैनिक, राहुल राठौर भोजराज रतन सिंह/गुसाईं, सोनाली कैथवास कृष्ण, कान्हाई लाल कैथवास चेला, नाटक का निर्देशक, सत्यम तिवारी गांव का निवासी/सैनिक
मंच परे
अंजना पुरी, पटकथा लेखक, संगीतकार, राम सिंह पटेल सहायक निर्देशक, लाइट डिजाइनर, अमर सिंह हारमोनियम, वीरेंद्र जानी
कार्यक्रम का संचालन डॉ0 अनीता सहगल द्वारा किया गया।