16/06/2025
बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के चश्मे को लेकर बवाल बचा है!
अजीब विडम्बना है, जिस देश में इंस्टाग्राम के रीलबाज लाखों रुपए के जूते पहनते हैं, देश-विदेश की यात्राएँ करते हैं और लक्जरी लाइफस्टाइल का प्रदर्शन करते हैं - वहाँ एक भगवाधारी बाबा ने चश्मा पहन लिया तो ये विवाद का विषय बन गया?
यही बागेश्वर धाम वाले बाबा ₹200 करोड़ में बुंदेलखंड जैसे एक पिछड़े क्षेत्र में कैंसर अस्पताल बनवा रहे हैं - लेकिन बवाल उनके चश्मा पहनने पर? 25 एकड़ भूमि में स्थित ये मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल भले ही एक ब्राह्मण द्वारा बनवाया जा रहा है, लेकिन इसमें इलाज कराने वालों में अधिकतर दलित-पिछड़े होंगे। एक सनातनी महंत या ये योगदान ख़ुद को दलितों का ठेकेदार बताने वालों को असहज करता है। एक जर्मन कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर जर्मनी में अपना सबकुछ बेच-बाचकर छतरपुर में रह रहा है, सिर्फ़ और सिर्फ़ बागेश्वर धाम में ग़रीबों का इलाज करने के लिए।
वो 'चश्मा' लेकर आएँगे। आप 'कैंसर अस्पताल' पर अड़े रहिए। हमारी परंपरा में ऋषि-मुनियों को राज्य द्वारा दान में भूमि, गौवें और मुद्राएँ दिए जाने की परंपरा रही है। आज के साधु-संत सबकुछ अकेले कर रहे हैं। उन्हें कुछ एक ढेला भी दे रहा है? कुछ हिन्दू हैं जो उन्हें मानते हैं और इसीलिए समय-समय पर अपनी तरफ से श्रम व धन के माध्यम से सेवा करते रहते हैं। जब उन्हें आपत्ति नहीं है, तो किसी हिन्दू विरोधी को आपत्ति क्यों हो?
ये ऐसा ही है कि 5000 करोड़ रुपए इकट्ठा करके राम मंदिर बनवाया हिन्दुओं ने, और उस मंदिर की सबसे अधिक चिंता रहती है उन हिन्दू विरोधियों को जिनका पूरा जीवन ही राम मंदिर का विरोध करते-करते बीत गया।
बागेश्वर धाम सरकार बाबा नीम करौली बागेश्वर धाम सरकार