09/06/2025
🌟 कहानी: पत्थर तोड़ने वाला
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में रघु नाम का एक मजदूर रहता था। वह हर दिन बड़े-बड़े पत्थर तोड़ता था और मुश्किल से दो वक़्त की रोटी कमा पाता था। गर्मी, ठंड, बारिश – किसी चीज़ से फर्क नहीं पड़ता था। वह हर हाल में काम करता था।
एक दिन बहुत थक कर वह पेड़ के नीचे बैठा और आसमान की ओर देखकर बोला –
"हे भगवान! क्या मेरी ज़िंदगी में कभी कुछ बदल सकता है? क्या मैं कभी कुछ बड़ा बन सकता हूँ?"
अचानक एक दिव्य आवाज़ आई –
"जैसे पत्थर को तोड़ने के लिए सौ चोटें लगती हैं और फिर एक चोट में वह टूटता है, वैसे ही जीवन में भी निरंतर मेहनत ही सफलता की चाबी है। हार मत मानो।"
रघु को यह बात भीतर तक छू गई।
उस दिन से रघु पत्थर नहीं, अपने भविष्य को तराशने लगा। उसने थोड़ा-थोड़ा पढ़ना शुरू किया। दिन में पत्थर तोड़ता और रात में पढ़ता। सालों बाद वह गाँव का पहला पढ़ा-लिखा इंजीनियर बना और पहाड़ों को काटकर गाँव में पानी की पाइपलाइन ले आया।
लोग हैरान थे – वही रघु, जो कभी पत्थर तोड़ता था, आज गाँव को जीवन दे रहा था।
💡 सीख:
जीवन में बदलाव एक दिन में नहीं आता, लेकिन अगर तुम हर दिन एक कदम आगे बढ़ते रहो, तो एक दिन पत्थर भी टूट जाएगा और रास्ता भी बन जाएगा