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सत्तर हज़ार साल पहले… धरती का पहला महायुद्ध हुआ था— जो था पृथ्वी के बाहर से आने वाली दो एलियन प्रजातियों के बीच, जिसमें ...
03/05/2025

सत्तर हज़ार साल पहले… धरती का पहला महायुद्ध हुआ था— जो था पृथ्वी के बाहर से आने वाली दो एलियन प्रजातियों के बीच, जिसमें उन्होंने धरती पर पनप रही और विकसित हो चुकी हमंस और सैटंस की प्रजातियों को भी उस जंग में शामिल कर लिया था। ओरियन की टाईमलाईन से तीस हज़ार साल पहले की कहानी।

कहानी इक्वोडियंस द्वारा पृथ्वी पर जीवन के सृजन की, जीवन को डिजाइन करने और उसे परिष्कृत करने की और फिर अपनी गाइडेंस में उसे विकसित करने की। कहानी सैटंस की विकास यात्रा की, जो उन्होंने स्थाई बस्ती बसाने से ले कर पहला बड़ा राज्य बनाने तक तय की थी। कहानी हमंस की, जिन्होंने जंगल से निकल कर बाहरी दुनिया देखी, ग़ुलाम बने, शोषण और अत्याचार झेला और फिर एक दिन उसके खिलाफ़ खड़ी भी हुए।

कहानी उस दौर की, जहां एक साथ रह रहे, पनप रहे हमंस और सैटंस धीरे-धीरे उस मोड़ पर पहुंच जाते हैं— कि जहां उनका एक साथ सर्वाइव कर पाना असंभव हो जाता है और वे दुश्मन की तरह एक दूसरे के सामने आ खड़े होते हैं… एक दूसरे को मिटाने के लिये। जिसका अंतिम फैसला उस अलगाव के रूप में सामने आता है जिसने भविष्य में उनके एक दूसरे से बिलकुल अलग, पनपने और विकसित होने की नींव रखी।

विलाद की कहानी ओरियन में वर्णित उस दौर की है, जब शैतानों का भेजा वह बायोशिप धरती पर आया था और फिर एक तरफ़ उसे रोकने आसमान से इक्वोडियंस के रूप में फरिश्ते आये थे तो दूसरी तरफ़ उसे एक्टिवेट करने हेलब्रीड्स के रूप में शैतान… और सैटंस के इतिहास में दर्ज वह महायुद्ध हुआ था जो फ़रिश्तों और शैतानों के मध्य हुआ था और जिसमें इक्वोडियंस ने सैटंस और हमंस को भी अपने साथ शामिल किया था।

कहानी बताती है कि पृथ्वी पर जीवन किस तरह परिष्कृत हुआ था, कैसे बुद्धिमान प्रजातियां अस्तित्त्व में आई थीं, कैसे उनका विकास हुआ था, कैसे उनके बीच आपसी संघर्षों का दौर शुरू हुआ था और कैसे सर्वाइवल के पैमाने पर कमज़ोर रही प्रजातियां एक के बाद एक कर के विलुप्त होती चली गई थीं। कैसे उसी दौर में सत्तर हज़ार साल बाद के उस भविष्य की नींव पड़ी थी, जिसने आगे पूरी पृथ्वी को ही ट्रांसफार्म कर दिया था।

विलाद की कहानी प्रमुखता से दो तरह के संघर्षों को उकेरती है। एक संघर्ष है इक्वोडियंस के सहयोग के चलते अपनी विकास यात्रा में आगे चल रहे सैटंस और उनके बीच जानवरों की तरह पनप रहे हमंस के बीच का— जो धीरे-धीरे अपनी आत्म-चेतना को जगाते हैं, अपने आत्मविश्वास को अर्जित करते हैं और फिर एक दिन अपने हक़ के लिये खड़े हो जाते हैं सैटंस के सामने। जहां पहले से ही उनके लिये वे बाग़ी सैटंस हालात को मुश्किल बनाये थे— जो उन्हें कीड़े-मकोड़े से ज्यादा समझने को तैयार नहीं थे।

वहीं दूसरा संघर्ष है पृथ्वी के बाहर से आने वाली दोनों एलियन प्रजातियों के बीच का… जिसमें जहां शैतान कहे जाने वाले हेलब्रीड्स कई इंसानों को अपना मोहरा बना कर उस बायोशिप की खोज में लगे थे, जो उनकी प्रापर्टी था और उस भविष्य के ट्रांसफार्मेशन का ज़िम्मेदार था और फ़रिश्ते कहे जाने वाले इक्वोडियंस पूरी धरती पर भटकते अपने लोगों को तलाशने और मेडिटेरेनियन के आसपास पनप रहे सैटंस और हमंस को एक करने में लगे थे— कि वे हेलब्रीड्स के खिलाफ़ पृथ्वी के अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी जंग में उन्हें अपना सहयोगी बना सकें।

कहानी का अंतिम मरहला वह नर्क है जो हेलब्रीड्स ने मध्य धरती पर विकसित कर रखा है— और जहां वे सभी को बुला कर अपने सर्वाइवल का युद्ध लड़ना चाहते हैं। यह वह जगह थी, जहां पहुंच कर कथा नायक का ड्रैगन तक बेबस हो कर रह जाता है और धरती का कोई भी जीव एक-एक सांस के लिये संघर्ष करता है। क्या उस नर्क में पहुंच कर इक्वोडियंस, सैटंस और हमंस उनसे लड़ पायेंगे? क्या वे उन शैतानों को रोक पायेंगे— जो किसी भी तरह उसी बायोशिप को एक्टिवेट करना चाहते हैं? अंतिम रूप से क्या होगा इन संघर्षों का परिणाम?

यह एक पंद्रह भाग लंबी कहानी है— जिसकी शुरुआत एक ऐसी घटना से होती है, जो हर किसी का दिमाग़ नचा कर रख देती है। एथेंस के लो...
06/04/2025

यह एक पंद्रह भाग लंबी कहानी है— जिसकी शुरुआत एक ऐसी घटना से होती है, जो हर किसी का दिमाग़ नचा कर रख देती है। एथेंस के लोगों को क्रिसमस की अगली सुबह बीच चौराहे पर एक ऐसा कटा हुआ पंजा मिलता है, जो ज़िंदा था— लेकिन इस दुनिया के किसी जीव का नहीं था और उसका आकार बताता था कि वह किसी जायंट का था, जो इस दुनिया का नहीं हो सकता।

घटना के कुछ वक़्त बाद ही कहानी के नायक को अपनी दादी से और अपने घर से कुछ ऐसे सबूत मिलते हैं, जिनसे पता चलता है कि उसके दादा के पिता को उसके जन्मने से ले कर जवान होने तक की सारी घटनाओं का पता था और जो उसके लिये कुछ ज़रूरी इंसट्रक्शंस छोड़ गये थे— जिनमें से एक था बेलिज्रेंट ब्लूज़ के दिये एक ऑनलाइन टास्क को पूरा करना और उनसे जुड़ना।

यहीं से इस पंद्रह भाग लंबी कहानी की शुरुआत होती है और उन्हें पृथ्वी की एक्चुअल टाईमलाईन दिखाई जाती है, जो उनके समय से काफ़ी आगे की थी और उन्हें पता चलता है कि भविष्य में पृथ्वी पूरी तरह ट्रांसफार्म हो गई थी, जहां पृथ्वी का मौजूदा सभी तरह का जीवन एक्सटिंक्ट हो चुका था। पृथ्वी के उस निश्चित भविष्य को बदलने और इसके ज़िम्मेदार रहे अतीत में आये एक एरर को फिक्स करने के लिये इक्कीसव लोगों को एक मिशन मिलता है— अतीत में चालीस हज़ार साल पहले के समय में जाने का और उस प्राब्लम की जड़ को ढूंढ कर उसे ख़त्म करने का… जिसने बाद में दुनिया ही बदल दी थी।

इस मुख्य मिशन पर भेजने से पहले उन्हें शारीरिक-मानसिक रूप से तैयार करने के लिये दो दूसरे टास्क भी दिये जाते हैं— जिनमें एक टास्क होता है पांच सौ साल पहले के कैनरी आइलैंड पर स्पेनियों के हमले से ठीक पहले सर्वाइव करना और दूसरा टास्क होता है करीब नब्बे साल पहले हिटलर के उभार के वक़्त के आस्ट्रिया में जा कर एक ऐसी गुत्थी को सुलझाना, जिससे भविष्य के कुछ राज़ भी जुड़े थे और जिससे जुड़ा था कहानी के नायक ख़ुद ओरियन का वजूद।

एक लंबे और जानलेवा संघर्ष के लिये तैयार हो कर जब वे चालीस हज़ार साल पहले के दौर में पहुंचते हैं तो अपनी तलाश के सिलसिले में उन्हें, अतीत में विलुप्त हो चुकी और इतिहास से मिट चुकी, मेडिटेरेनियन और अटलांटिक के आसपास पनप रही दो अलग-अलग प्रजातियों हमंस और सैटंस के बीच खपना पड़ता है— जिनके विकास की स्टेज अलग-अलग थी। भूमध्यसागर के आसपास पनप रहे हमंस जहां अभी बाद के इंसानी इतिहास के हिसाब से चौदहवीं-पंद्रहवीं शताब्दी के दौर में जी रहे थे तो अटलांटिक के आसपास पनपते सैटंस उन्नीसवीं शताब्दी के दौर वाले विकास तक पहुंच चुके थे।

दोनों सभ्यताओं के अपने-अपने संघर्ष थे— अपनी-अपनी लड़ाईयां थीं, जिनमें अनचाहे ही भविष्य से गये उन सभी लोगों को जूझना पड़ता है… क्योंकि तब के लोगों में स्थापित होने और बिना ज्यादा ख़तरा उठाये अपने मिशन को पूरा करने की यह पहली और ज़रूरी शर्त थी। वहां उस दौर में उनका सामना होता है उन तमाम जीवों से, जिन्हें वे दुनिया भर की अलग-अलग माइथालाॅजी के ज़रिये जानते तो थे, मगर जिन्हें वे मानव मन की कल्पना भर समझते थे। वहां वे यह समझ पाते हैं कि वे कभी अतीत में रहे वास्तविक जीव थे, लेकिन बाद में विलुप्त हो गये थे और जिनकी कहानियां भर बाद के लोगों तक पहुंची थीं।

वहां उन्हें यह भी पता चलता है कि भविष्य की जिस समस्या की जड़ें वे उस दौर में ढूंढने पहुंचे थे, वे अतीत में और हज़ारों साल पीछे थीं— जहां उसी बात के पीछे एक महायुद्ध तक हो चुका था, जिसने उस दौर की पृथ्वी की लगभग आबादी ख़त्म कर दी थी। वहां तब के लोगों के बीच जूझते उन्हें और भी तमाम ऐसे राज पता चलते हैं, जो उनका दिमाग़ हिला कर रख देते हैं और उन्हें कई ऐसी बातें पता चलती हैं— जिन्हें अपने आधुनिक दौर के ज्ञान-विज्ञान के भरोसे वे बस कल्पना भर समझते थे।

फिर उनकी मुश्किल तब दोगुनी हो जाती है, जब पता चलता है कि जिस भविष्य बदलने वे आये थे, उसे रोकने ख़ुद उस भविष्य के जीव भी वहीं पहुंच गये थे और तब उन्हें धरती के दूसरे महायुद्ध में शामिल होना पड़ता है— जहां लाशों के अंबार खड़े हो जाते हैं।

एक ऐसी दुनिया की कहानी… जो पृथ्वी का चालीस हज़ार साल पहले का अतीत थी। जहां इंसान जैसी प्रजाति भी सभ्य हो कर राज्य बनाने की हालत में पहुंच चकी थी तो इंसान से बिलकुल अलग एक दूसरी प्रजाति सैटंस भी मौजूद थी— जो देश और शहर बनाने तक की विकास यात्रा तय कर चुके थे और जिन्हें उसी दौर में विलुप्त होने के चालीस हज़ार साल बाद एलियंस के तौर पर जाना गया था। जहां अनुनाकी थे, जहां नेफिलिम थे, जहां साइक्लाॅप्स थे… और जहां ड्रैगन भी थे।

चालीस हज़ार साल पहले की रोमांचक यात्रा… विलुप्त हो चुकी, अतीत से मिट चुकी सभ्यताओं की कहानी।

साउथ चायना सी में मौजूद था एक लग्ज़री क्रूज़— जो अति विशिष्ट लोगों की मौज-मस्ती के लिये रिजर्व था और जहां साउथ चायना सी ...
16/02/2025

साउथ चायना सी में मौजूद था एक लग्ज़री क्रूज़— जो अति विशिष्ट लोगों की मौज-मस्ती के लिये रिजर्व था और जहां साउथ चायना सी से सम्बंधित देशों के ही नहीं, भारत समेत बीस देशों के कुछ खास लोग भी मौजूद थे… अचानक एक रात हाईजैक कर लिया जाता है।

जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, इस हाईजैकिंग के उद्देश्य को ले कर लोगों की धारणाएं बदलती जाती हैं… कभी लगता है कि इस हाईजैकिंग का उद्देश्य धन उगाही था, कभी लगता है कि इसकी वजह वर्चस्व की वह राजनीति थी, जो साउथ चायना सी में चीन और अमेरिका के बीच चल रही थी। कभी इसका ज़िम्मेदार चीन लगता है तो कभी अमेरिका।

तो आख़िर क्या था इस हाईजैकिंग का उद्देश्य? और अगर यह वाक़ई साउथ चायना सी की राजनीति से जुड़ा था तो इसके पीछे असल में कौन था? भारत इस जगह बाहरी खिलाड़ी था और उसके भेजे एजेंट्स का काम केवल अपने लोगों की सुरक्षित वापसी था, लेकिन क्या ऐसा हो पाया?

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नार्वे के उत्तर में… जहां बर्फ़ के बीच कैम्पिंग कर रहे डेविड की गोद में एक आदमी हार्ट अटैक का शिकार हो कर मर जाता है— और...
09/02/2025

नार्वे के उत्तर में… जहां बर्फ़ के बीच कैम्पिंग कर रहे डेविड की गोद में एक आदमी हार्ट अटैक का शिकार हो कर मर जाता है— और पीछे छोड़ जाता है एक चाबी और दो शब्द… ओरका केरास्टा! अब यह उसकी ज़िम्मेदारी थी कि वह मृतक के जायज़ वारिस तक उसकी यह छोड़ी हुई चीज़ें पहुंचाए— जो उनके लिये काफ़ी अहम हो सकती थीं।

लेकिन यह वारिस जो भी थे, वे ट्रोम्सो में नहीं, बल्कि ओस्लो में थे और जहां पहुंच कर उसके लिये यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि मृतक मोर्टेन सोल्हेम के उस ‘छोड़े हुए’ का जायज़ हक़दार था कौन? एक तरफ़ थी मोर्टेन की बीवी, जो उससे नफ़रत करती थी और वह मेंटली चैलेंज्ड बेटा जो किसी विरासत को संभालने के लायक नहीं था।

और दूसरी तरफ़ थे एक के बाद एक कर के सामने आये वे आठ लोग, जो ख़ुद को मोर्टेन का मैनेजर और पार्टनर बताते थे और उसकी विरासत का दावा करते थे— लेकिन वे आपस में एक दूसरे के दुश्मन थे और एक दूसरे को ख़त्म कर देना चाहते थे… और जब सही वारिस चुनने की जद्दोजहद में डेविड उस चाबी और उन दो शब्दों के राज़ तक पहुंचता है तो सामने आता है एक घिनौना सच!

वह अफ़गानिस्तान का एक सरहदी कस्बा था— जहां अचानक ढेर से जानवरों ने हमला कर दिया और दसियों लाशें गिरा दीं, जहां मरने के प...
08/12/2024

वह अफ़गानिस्तान का एक सरहदी कस्बा था— जहां अचानक ढेर से जानवरों ने हमला कर दिया और दसियों लाशें गिरा दीं, जहां मरने के पंद्रह दिन बाद सारी लाशें अपनी क़ब्रों से ग़ायब हो गईं, जहां मरने के तेईस दिन बाद सात मुर्दे ज़िंदा हो कर वापस लौटे और अपने-अपने परिवार पर क़हर बन कर टूट पड़े, जहां क़ब्रों से गायब होने के सवा दो साल बाद सारी लाशें वापस कस्बे में बिखरी पाई गईं और जो सामने आते ही धूं-धूं कर के जल गईं, जहां आधी रात को कुछ मुर्दे घुड़सवार सैर पर निकलते थे…

इन हादसों की तह तक पहुंचने में जब अफ़गान हुकूमत हर तरह से नाकाम रहती है तो हार मान कर इन घटनाओं का मुअम्मा हल करने के लिये पड़ोसी देशों की ख़ुफ़िया एजेंसियों की मदद लेना गवारा करती है और तब ‘इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया’ की तरफ़ से एक मिशन लांच होता है— द अफ़ग़ान हाउंड… जिसका दारोमदार निहाल के कंधों पर होता है। क्या वह इन पुरअसरार हादसों का मुअम्मा हल कर पायेगा? क्या यह हादसे आसेबी थे, या किसी किस्म की रहस्यमयी गतिविधियां, जिनके पीछे कोई गहरा राज़ छुपा हुआ था?

क्राईम फिक्शन हैशटैग के अंतर्गत डेविड फ्रांसिस सीरीज का यह चौथा प्रकाशित उपन्यास है— लेकिन क्रम में यह तीसरा है तो कवर प...
03/11/2024

क्राईम फिक्शन हैशटैग के अंतर्गत डेविड फ्रांसिस सीरीज का यह चौथा प्रकाशित उपन्यास है— लेकिन क्रम में यह तीसरा है तो कवर पर सीरियल नंबर उसी हिसाब से दिया गया है। यह ‘काया पलट’ से डेढ़ सयानी तक दस कहानियों का एक रोमांचक सफ़र है, जहां धीरे-धीरे एक एक चरित्र का विकास होता है और वह अपने शिखर को हासिल करता है। शृंखला शायद उसके बाद भी जारी रहे, मगर अभी इस सीरीज का यह पहला सेट दस कहानियों तक का सफ़र ऑलरेडी तय कर चुका है, जिनमें धीरे-धीरे क्रम के हिसाब से कहानियां प्रकाशित की जा रही हैं।

अब चूंकि यह सीरीज डेविड फ्रांसिस के किरदार पर आधारित है तो कुछ बातें उसके बारे में जान लेनी ज़रूरी हैं… यह एक मिश्रित नस्ल का युवक है, जिसके पिता आइसलैंड से थे और माँ महाराष्ट्रियन थीं। बचपन से ही जासूसी कहानियां पढ़ने और जासूसी फिल्में देखने का ऐसा चस्का लगा कि फिर सर पर वैसा ही कैरेक्टर हो जाने का खब्त ही सवार हो गया और इस बात के पीछे उसने बचपन से ही हर तरह का प्रशिक्षण लिया और स्वंय को मानसिक रूप से तैयार किया। कुदरत ने भी उसका साथ दिया और ऐसे ख़तरनाक रास्ते पर चलने के लिये उसे जो आज़ादी चाहिये थी, वह माता-पिता के एक रोड एक्सीडेंट में मारे जाने के बाद मिल गई— और वह जेम्स बाॅण्ड बनने निकल खड़ा हुआ।

अब डेविड फ्रांसिस नाम का यह शख़्स अपने को आज़माने चल पड़ा है, जो हर बंधन से मुक्त है, और पागलपन की हद तक जिसके तीन ही शौक हैं— भ्रमण, लड़की और अपराधियों से पंगे… जिसे दुनिया के हर हिस्से को देखना है, और जिसे वर्स्ट से वर्स्ट लोकेशन में भी प्राकृतिक सौंदर्य ढूंढ लेने की ज़िद रहती है। जो दुनिया की हर रंग, हर नस्ल और हर हिस्से में पाई जाने वाली लड़की को भोग लेने की तमन्ना रखता है— ठरकी है, मगर किसी को भी प्यार से जीतना पसंद करता है। हर कहीं दूसरों के फटे में टांग अड़ाना और अपराधियों की ओखली ढूंढ कर अपना सर दे देने की सनक ख़तरनाक स्तर तक सवार रहती है।

इसके व्यक्तित्व का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि इसने अपने मन में ही अपने एक प्रतिरूप को स्थापित कर रखा है, जिसे यह ‘अंदर वाले डेविड’ या ‘मिनी मी’ कह कर सम्बोधित करता है और न सिर्फ़ उससे विचार-विमर्श करता रहता है, बल्कि जो वह सीधे नहीं हो पाता— वह मिनी मी के रूप में हो जाना चाहता है और अपनी हर फीलिंग को उसके मुंह से हर तरह के शब्दों में बयान कर लेता है। दोनों में अक्सर नोक-झोंक भी होती है। एक तरह से यह मेंटल डिसऑर्डर लग सकता है, लेकिन डेविड के लिये यह संबल का एक कारक है।

जहां तक इस कहानी ‘डार्क साइड’ की बात है, यह कहानी बेशुमार पैसे और प्रसिद्धि वाली चकाचौंध भरी फिल्मी दुनिया से जुड़े एक स्याह पहलू पर आधारित है। इस डार्क साइड में न सिर्फ़ ब्लैक मनी का दखल है, शोषण एक आम समस्या है वहीं दिनों-दिन मज़बूत हो रही उस एडल्ट कंटेंट परोसने वाली पैरेलल इंडस्ट्री को भी उकेरा गया है जो बहुत तेज़ी से अपनी जगह बनाने में लगी हुई है।

प्रस्तुत कहानी में डेविड को जिन तीन लड़कियों का साथ मिला है, उनमें तीनों ही इस स्याह पक्ष से जुड़े लोगों की बेटी हैं, बीवी हैं या हिरोइन हैं— कहानी की शुरुआत जिस हिरोईन के अपहरण की नाकाम कोशिश से होती है, वह डेविड के लिये अंत तक एक पहेली बनी रहती है। जिसे ले कर वह यह फैसला नहीं कर पाता कि वह विक्टिम है या ख़ुद इस खेल की शातिर खिलाड़ी है। जो उसे इस्तेमाल करती है, मगर इस्तेमाल की वैलिड वजह भी देती है।

जिन दो दूसरे लोगों को वह सीधे तौर पर इस सिलसिले में खलनायक के तौर पर स्थापित करता है, उन्हीं में से एक की बीवी से उसे इस तमाशे को समझने में मदद मिलती है तो दूसरे की बेटी न सिर्फ़ क़दम-क़दम पर उसका साथ देती है— बल्कि उसके लिये ख़ुद ही ट्रबल शूटर बन जाती है। वह इस बड़ी सी स्याह दुनिया में एक बहुत मामूली इंसान था— जो इस आग में हाथ डाल तो देता है मगर एक ही किस्से में कई बार मौत के मुंह तक पहुंच जाता है। सवाल यह था कि क्या वह इस पहलू को उजागर कर पायेगा?

हमेशा की तरह डेविड और एक मुसीबत में फंसी लड़की का काॅम्बीनेशन— जो पैदा करता है एक रोमांच, जहां थ्रिल भी है और सस्पेंस भी...
01/10/2024

हमेशा की तरह डेविड और एक मुसीबत में फंसी लड़की का काॅम्बीनेशन— जो पैदा करता है एक रोमांच, जहां थ्रिल भी है और सस्पेंस भी।

जूही एक ऐसी लड़की थी, जिसे कुछ दिनों से उठाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन इसे ले कर उसे कोई अंदाज़ा नहीं था कि इसके पीछे कौन हो सकता है— क्योंकि न वह मनाली में रह रही थी और न वहां उसकी किसी से ऐसी दुश्मनी ही थी, न ही उसका ऐसा कोई आशिक था जो इस तरह उसे हासिल कर लेना चाहता हो।

ऐसे में उसकी मुलाकात डेविड से होती है, जो अपनी आदत से मजबूर उस डैमसेल को इस डिस्ट्रेस से निकालने की कोशिश करता है लेकिन बुरी तरह नाकाम रहता है— और इस डैमसेल को उसकी आँखों के सामने ही उठा लिया जाता है। अब उसके सर पर जूही की सुरक्षित वापसी एक कर्ज़ हो गई थी, जिसे उतारे बिना वह मनाली नहीं छोड़ सकता था।

जब वह इस केस में गहरे तक उतरता है तो कई गहरे राज़ खुलते हैं और जूही की किडनैपिंग का असल मकसद उसके सामने आता है। कौन थे उसे उठाने वाले और क्या था उसे उठाने का मकसद? क्या उन अपराधियों के बीच से वह उसे सुरक्षित निकाल पाता है? जानने के लिये पढ़िये… ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस!

क्राईम फिक्शन एक सदाबहार श्रेणी है जिसका आकर्षण कभी भी ख़त्म नहीं हुआ— आम तौर पर अलग-अलग विषयों पर फिक्शन लिखने वाले भी ...
01/09/2024

क्राईम फिक्शन एक सदाबहार श्रेणी है जिसका आकर्षण कभी भी ख़त्म नहीं हुआ— आम तौर पर अलग-अलग विषयों पर फिक्शन लिखने वाले भी इस श्रेणी में हाथ ज़रूर आज़माते हैं। इस श्रेणी में किसी निरंतरता से मुक्त किरदार भी हो सकते हैं और वे भी जो एक सीरीज का निर्माण करते हैं और हर अगले भाग में एक नई कहानी जिनके आसपास घूमती है। प्रस्तुत उपन्यास ऐसी ही एक शृंखला की दूसरी कड़ी है, जिसमें एक मिशन है, और उस मिशन के इर्द-गिर्द सिमटी लीनियर रूट पर चलती एक कहानी है।

विशेषतः क्राईम फिक्शन के नाम पर मैंने दो तरह की शृंखलाएं आरम्भ की हैं, जिन्हें पहचान के लिये 'क्राईम फिक्शन' और 'स्पाईवर्स' के रूप में दो अलग-अलग हैशटैग के साथ चिन्हित किया गया है। क्राईम फिक्शन डेविड फ्रांसिस के रूप में एक अकेले किरदार से सम्बंधित सीरीज है— जो एक खास तरह के मनोविज्ञान की उपज है। वह यायावर है, जो दुनिया के चप्पे-चप्पे को देख लेना चाहता है। वह ठरकी है जो दुनिया की हर नस्ल और हर रंग की लड़की को भोग लेना चाहता है… और वह सनकी है, जो दुनिया के हर अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचा देना चाहता है।

लेकिन उसका तरीका थोड़ा अनोखा है… वह अपनी पसंद की किसी जगह पहुंच कर, वहां कोई ऐसी हसीना ढूंढता है जो मुसीबत की मारी हो और उसे मुसीबत से निकालने में लग जाता है, जो अक्सर उसके लिये ही मुसीबत का कारण बन जाती है— इस सिलसिले में जो कहानी जन्मती है, वह क्राईम फिक्शन हैशटैग के अंतर्गत प्रकाशित होती है। यह किरदार अभी ढलने की प्रक्रिया में है और इस प्रक्रिया के तहत इसकी पहली कहानी ‘काया पलट’ के रूप में प्रकाशित हुई है— तो दूसरी कहानी ‘ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस’ भी इस कहानी ‘मिशन ओसावा’ के साथ ही प्रकाशित हुई है।

क्राईम फिक्शन के अंतर्गत जो दूसरी शृंखला है, वह ‘स्पाईवर्स’ के हैशटैग के साथ प्रकाशित होती है— जिसमें ‘कोड ब्लैक पर्ल’ के बाद ‘मिशन ओसावा’ दूसरा उपन्यास है। जहां डेविड सीरीज केवल एक किरदार पर आधारित है, वहीं स्पाईवर्स की कहानियां एक एजेंसी पर आधारित हैं— जिसे ‘राॅ’ की एडीशनल डेस्क के रूप में परिभाषित किया गया है और जो बेसिकली विदेश विभाग से जुड़े मसलों में अपने स्पेशल एजेंट्स के साथ परफार्म करने के लिये डिजाइन की गई है, लेकिन तार किसी बाहरी साजिश से जुड़े हों और ज़मीन देश की ही इस्तेमाल की जा रही हो, तो भी वे डील कर सकते हैं।

इस एजेंसी में मुख्यतः आरव, निहाल और संग्राम के रूप में तीन मेल एजेंट्स तो रूबी, सबीना और रोजीना के रूप में तीन फीमेल एजेंट्स हैं— जिनके अपने मिज़ाज हैं और काम करने के अपने तरीके… इन्हें अलग-अलग मिशन दिये जाते हैं जहां इन्हें फिलहाल एक जोड़े के रूप में परफार्म करना होता है— जिसमें इन्हें ग्रेड बी के कुछ एजेंट्स से भी मदद मिलती है।

जैसे ‘मिशन ओसावा’ दरअसल एक नाॅन-स्टेट एक्टर की कहानी है, जिसे भारतीय सीमा में डिस्टर्बेंस पैदा करने के लिये कश्मीर में लांच किया गया है— अब इस शख़्स को ढूंढना, उसे पकड़ना या ख़त्म कर देना उन चार लोगों का मिशन है, जिन्हें इस काम के लिये अलग-अलग रूट से कश्मीर भेजा गया है। कहानी में लीड कैरेक्टर आरव आकाश और रूबी भाटिया हैं… साथ ही इन्हें विराट और रंजीत नाम के ग्रेड बी के दो एजेंट्स का सहयोग भी मिलता है।

आरव एजेंसी के बाकी दो मेन एजेंट्स संग्राम और निहाल से अलग मिज़ाज का है… वह दिमाग़ से बेहद शातिर है, लेकिन एक नंबर का मसखरा है और ज्यादातर मौकों और जगहों पर ख़ुद को किसी मूर्ख के तौर पर पेश करने से उसे एतराज़ नहीं। उसे किसी भी हाल में अपना काम निकालना होता है और उसे यह तरीका इसलिये बेस्ट लगता है क्योंकि यह उसके स्वभाव में शामिल है। हां, उसकी एक गंदी आदत यह भी है कि वह किसी टास्क को पूरा करने में लांग रूट के बजाय शार्टकट तलाशता है और इस चक्कर में कई बार गड़बड़ भी होती है। एजेंसी की दूसरी लड़कियों से इतर रूबी भी उसी के जैसे मसखरे स्वभाव की है— लेकिन उसे ख़ुद को मूर्ख दिखाने से सख्त परहेज रहता है।

एक महत्वपूर्ण बात और… कहानियां कई तरह की हो सकती हैं, लेकिन या तो उनमें सस्पेंस होगा, या ढेर से ट्विस्ट एंड टर्न्स होंगे— जो पाठक को अंत तक बांधे रख सकें… या फिर वह बिना ऐसे ट्विस्ट या टर्न के सीधी, सपाट होगी, जहां कहानी का ट्रीटमेंट और उसकी घटनाएं ही मुख्य होंगी— जो बजाय उलझावों के अपने संवादों, वर्णित दृश्यों, गति और घटनाओं के सहारे शुद्ध मनोरंजन उत्पन्न करती है, जो पाठक को बांध के रखता है। इस हिसाब से क्राईम फिक्शन के अंतर्गत लिखी डेविड सीरीज की कहानियां पहली श्रेणी में आती हैं तो स्पाईवर्स के अंतर्गत लिखी ‘इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया’ से जुड़ी कहानियां दूसरी श्रेणी में।

अगर ढेर से सस्पेंस, ट्विस्ट और टर्न की अपेक्षा के साथ ‘स्पाईवर्स’ के हैशटैग वाली कहानी पढ़ेंगे तो निराशा हाथ लगेगी। उस अपेक्षा से दिमाग़ को मुक्त कर के शुद्ध मनोरंजन के उद्देश्य से पढ़ेंगे तो आपको यक़ीनन पसंद आयेंगी। इस विषय में एक अहम बात यह भी ध्यान रखनी ज़रूरी है कि स्पाईवर्स हैशटैग से जुड़ी यह कहानियां वैश्विक परिदृश्य के हिसाब से वर्ल्ड पाॅलिटिक्स और डिप्लोमेसी आदि से सम्बंधित होती हैं— तो उस विषय में अगर आपको थोड़ी-बहुत पहले से जानकारी है तो आप ज्यादा बेहतर ढंग से रिलेट कर पायेंगे। या चाहें तो पढ़ने के साथ ही गूगल की मदद से भी थोड़ा-बहुत समझ सकते हैं।

प्रस्तुत कहानी में भी इन बातों को इस्तेमाल में लिया गया है— कहानी का बेस ही वर्तमान वैश्विक परिदृश्य है कि किस तरह चौधराहट को लेकर चालें चली जा रही हैं, किन बातों से बार्डर डिस्टर्ब किये जा रहे हैं और कैसे अनदेखी सत्ताएं किसी देश की कंट्रोलिंग बाॅडी को पीछे से ऑपरेट करती हैं। मिशन ओसावा जिस किरदार को ले कर है— वह एक खास मकसद से भेजा गया ऐसा ही एक टूल है, जिससे इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया को निपटना है। अब इस सिलसिले में लद्दाख से कश्मीर तक क्या-क्या होता है… जानने के लिये पढ़िये स्पाईवर्स हैशटैग के अंतर्गत लिखी गई आरव आकाश सीरीज की ‘मिशन ओसावा’!

क्राईम फिक्शन के हैशटैग के अंतर्गत डेविड फ्रांसिस सीरीज़ का ‘डेढ़ सयानी’ के बाद यह दूसरा उपन्यास है— लेकिन क्रम में इसे ...
03/08/2024

क्राईम फिक्शन के हैशटैग के अंतर्गत डेविड फ्रांसिस सीरीज़ का ‘डेढ़ सयानी’ के बाद यह दूसरा उपन्यास है— लेकिन क्रम में इसे पहले नंबर पर रखा जायेगा, क्योंकि डेविड के जीवन का पहला लिखने योग्य पंगा इसी कहानी में सामने आता है। यूं समझिये कि ‘डेढ़ सयानी’ प्रकाशित भले पहले हुई हो, लेकिन वह कहानी बाद की है, जिसे अगले एडिशन में सही क्रम दिया जायेगा… इसी वजह से इसे इस सीरीज़ का पहला क्रमांक दिया गया है, जो चीज़ पाठकों को कन्फ्यूज कर सकती है। डेढ़ सयानी का क्रम उन कहानियों के बाद आयेगा, जो डेविड ने अब याद करनी और लिखनी शुरू की हैं।

यह एक तरह से डेविड की अतीत यात्रा है— वह पैसिफिक के एक आईलैंड पर बैठ कर अपने उस अतीत को याद कर रहा है, जो लिखने योग्य है। इस अतीत में ही उसके चरित्र का विकास है। उसके साधारण से श्रेष्ठ बनने का सफ़र है। एक आम आदमी से जेम्स बॉण्ड बनने की पड़ावों से भरी प्रक्रिया है। जो आदमी वर्तमान में दस गुंडों को अकेले और निहत्थे पीटने की क्षमता रखता हो— उसके अपने से कम दो मामूली लड़कों से पिट जाने की दास्तान है। इस यात्रा में डेविड के अतीत से जुड़ी नौ कहानियां सामने आयेंगी— जिन्होंने इस कैरेक्टर को दशा और दिशा दी है।

जिन पाठकों ने ‘डेढ़ सयानी’ नहीं पढ़ी, उन्हें इस कैरेक्टर के बारे में बता दूं कि यह एक योरोपियन पिता और भारतीय माँ से उत्पन्न संतान है, जो आर्थिक रूप से काफ़ी सम्पन्न है। किसी तरह जिसे बचपन से ही जासूसी किताबों और फिल्मों का चस्का लग गया और उसकी फितरत में वैसा ही कोई कैरेक्टर बनने की जो ललक पैदा हुई तो उसके व्यक्तित्व का विकास भी उसी मिज़ाज के अनुरूप होने लगा। इस आकर्षण के चलते ही जिसने शुरू से ही हर तरह की ट्रेनिंग ली, और हर तरह के तकनीकी ज्ञान में भी दक्षता हासिल की। फिर जब जवान होने और पढ़ाई पूरी होने के साथ ही माता-पिता एक रोड एक्सीडेंट में एक्सपायर हो गये, तो वह भी मुक्त हो कर अपने जेम्स बॉण्ड बनने के सफ़र पर निकल पड़ा।

लेकिन व्यवहारिक रूप से ऐसा कुछ हो पाना आसान नहीं होता। क़दम-क़दम पर पेश होने वाली मुसीबतें असल स्किल और जीजिविषा का सख़्त इम्तिहान लेती हैं— यह अलग बात है कि इन मुसीबतों से हार मान कर पीछे हटने के बजाय वह आगे बढ़ता जाता है और उसकी शख्सियत निखरती जाती है। ख़ुद को बारहा ख़तरे में डाल कर, निश्चित दिखती मौत के मुंह से अपने को वापस खींच कर, अंततः वह वैसा बनने में कामयाबी पाता है, जो वह होना चाहता था। ख़ुद को जासूसी दुनिया के किसी फिक्शनल किरदार की तरह ड्वेलप करना और दुनिया भर के अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की सोच रखना उसका एक खब्त था— लेकिन यही अकेला खब्त नहीं था।

उसे प्रकृति से भी कम लगाव नहीं था, वह ज़र्रे-ज़र्रे में एक अप्रतिम सौंदर्य ढूंढने का जज़्बा रखता था। उसे सब्ज़ जंगलों से प्यार था, उसे सूखे रेगिस्तानों से प्यार था, उसे गहरे समंदरों से प्यार था, उसे गर्व से सीना ताने खड़े पहाड़ों से प्यार था। वह पूरी दुनिया को घूम लेना और देख लेना चाहता था— चप्पे-चप्पे को महसूस करना चाहता था और सृष्टि रचियता की उस कारीगरी को निहारना चाहता था, जो हर जगह थी… ज़मीन के हर हिस्से में थी।

लेकिन यह दो शौक ही नहीं थे, जो उसके सर पर खब्त की तरह सवार थे, बल्कि जितनी दिलचस्पी उसे इन दोनों चीज़ों में थी, लड़कियों में उससे कम दिलचस्पी नहीं थी। औरत के मामले में उसका अपना दर्शन था— वह ज़मीन के हर हिस्से में पाई जाने वाली, हर रंग और नस्ल की औरत को भोग लेना चाहता था लेकिन ऐसे किसी रिश्ते में बंधना उसे स्वीकार नहीं था, जो उससे ज़िम्मेदारी की डिमांड करता हो। लड़कियां उसकी कमज़ोरी थीं और उसने जवान होने के बाद से ही ‘आई कांट सी ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस’ के सिद्धांत को अपना रखा था— उसकी ज़िंदगी के ज्यादातर पंगे तो इसी सिद्धांत के चलते थे।

तो यह कैरेक्टर ड्वेलप होने के साथ वह सब पाता है, जो इसने पाना चाहा था, लेकिन जहां से इसकी यह फसादी यात्रा शुरू होती है— वहां इसके साथ कुछ चमत्कार जैसा घटा था… जब सात अक्तूबर की रात दिल्ली से मुंबई पहुंच कर वह अपने घर में सोता है और उठता है तो पाता है कि तारीख़ पंद्रह अक्तूबर हो चुकी थी, वह अपनी वास्तविक उम्र से पच्चीस-तीस साल बड़ा और अधेड़ हो चुका था, उसका शरीर भी काफ़ी हद तक बदल चुका था, मुंबई के बजाय अब वह न्यूयार्क में किसी जगह था, अपने घर के बजाय एक आलीशान घर में था और सबसे बड़ी बात कि अब वह डेविड भी नहीं रहा था, बल्कि न्यूयार्क के टॉप लिस्टेड अमीरों में से एक अमीर राईन स्मिथ बन चुका था।

अब ऐसा कैसे हुआ… सोते-सोते उसका शरीर, उसकी उम्र, उसकी जगह, उसकी हैसियत कैसे बदल गई— इस गुत्थी को सुलझाने का नाम ही ‘काया पलट’ है।

क्राईम फिक्शन की श्रेणी में क्राईम फिक्शन और स्पाई वर्स के हैशटैग के अंतर्गत लिखा गया यह मेरा दूसरा उपन्यास है। इन हैशटै...
01/07/2024

क्राईम फिक्शन की श्रेणी में क्राईम फिक्शन और स्पाई वर्स के हैशटैग के अंतर्गत लिखा गया यह मेरा दूसरा उपन्यास है। इन हैशटैग की आवश्यकता इसलिये पड़ी कि मेरे लिखे तमाम उपन्यासों के बीच इन्हें एक अलग पहचान मिल सके। अमूमन मेरी कोई कहानी एक से ज्यादा भागों वाली हो सकती है, जैसे ‘आतशीं’, ‘वो लड़की भोली भाली सी’ दो-दो भागों में प्रकाशित हुई दीं, ‘मिरोव’ तीन भाग में थी— लेकिन अपने आप में पूर्ण हो कर भी वह एक बड़े कांसेप्ट का महज़ एक हिस्सा भर है, जिसमें तीन और कहानियां हैं और वह टोटल कांसेप्ट पच्चीस भागों का है, जो ‘अर्ल्ज़वर्स’ के हैशटैग से प्रकाशित होगा।

लेकिन इनमें से कोई भी कहानी सीरीज़ नहीं है— हर बार अलग कहानी के साथ किसी किरदार को रिपीट किया जाना उसे सीरीज के रूप में कैटेगराइज्ड कर देता है— तो क्राईम फिक्शन या स्पाई वर्स के हैशटैग उसी कैटेगरी को दरशाने के लिये हैं, जिसके अंतर्गत दो तरह की शृंखलाएं शुरू की गई हैं। निश्चित ही इनमें सेम कैरेक्टर्स के साथ अलग-अलग ढेरों कहानियां कहीं जायेंगी, जिन्हें इन्हीं हैशटैग के साथ पहचाना जा सकता है, साथ ही मुख्य किरदार का नाम और उस सीरीज़ का क्रम नंबर भी कवर पर मेंशन किया जायेगा।

इनमें क्राईम फिक्शन हैशटैग के अंतर्गत एक सीरीज़ डेविड फ्रांसिस नाम के किरदार की है, जो हर बंधन से मुक्त है, और जिसके तीन ही शौक हैं— भ्रमण, लड़की और अपराधियों से पंगे… जिसे दुनिया के हर हिस्से को देखना है, और जिसे वर्स्ट से वर्स्ट लोकेशन में भी प्राकृतिक सौंदर्य ढूंढ लेने की ज़िद रहती है। जो दुनिया की हर रंग, हर नस्ल और हर हिस्से में पाई जाने वाली लड़की को भोग लेने की तमन्ना रखता है— ठरकी है, मगर किसी को भी प्यार से जीतना पसंद करता है। हर कहीं दूसरों के फटे में टांग अड़ाना और अपराधियों की ओखली ढूंढ कर अपना सर दे देने की सनक ख़तरनाक स्तर तक सवार रहती है।

स्पाई वर्स के अंतर्गत दूसरी शृंखला इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया नाम की एक एजेंसी से जुड़े एजेंट्स की है, जो राॅ की एक एडीशनल डेस्क है और एक्सपेरिमेंटल स्टार्ट है जो अभी आकार ले रही है। एजेंसी में संग्राम, आरव और निहाल के रूप में तीन मुख्य मेल एजेंट्स हैं, तो रोज़ीना, रूबी और सबीना के रूप में तीन फीमेल एजेंट्स— जिन्हें सपोर्टिंग स्टाफ़ के साथ मिल कर अलग-अलग मिशनों को पूरा करना होता है। संवेदनशील मसलों से जुड़े यह मिशन देश के अंदर भी हो सकते हैं और बाहर भी।

जैसे प्रस्तुत कहानी ‘कोड ब्लैक पर्ल’ किसी खास तरह की चोरी की है, जिसे अंजाम देता है रिचर्ड किसिंजर नाम का एक डबल एजेंट— जो उस चोरी से जुड़े प्रोग्राम को लीड कर रहा था। इस चोरी के कवर अप के लिये इसे कुछ और तरह से पेश किया जाता है और किसिंजर एक खास योजना के तहत तुर्किये होते हुए फिनलैंड भाग जाता है। उसके पीछे लग कर संग्राम और रोज़ीना भी फिनलैंड तो पहुंच जाते हैं लेकिन यह सभी लोग वहां की लोकल खींच-तान में ऐसे उलझ जाते हैं कि अपने मेन मिशन से ही भटक जाते हैं।

तो क्या थी आखिर चोरी? और क्या था उस चोरी का असली उद्देश्य? जो उन्हें सामने दिख रहा था, वह मेन खिलाड़ी नहीं था बल्कि मोहरा भर था— तो असली खिलाड़ी कौन था? और किसिंजर के पीछे लगे संग्राम और रोज़ीना, अपने पहले स्वतंत्र मिशन में कितना कामयाब हो पाते हैं उसके खिलाफ़? जानने के लिये पढ़िये— कोड ब्लैक पर्ल!

~Ashfaq Ahmad

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बतौर लेखक मैंने सिंगल कहानियों वाली क़िताबें भी लिखी हैं, कई भागों वाली कहानियां भी लिखी हैं और कई कहानियों वाली किताबें...
30/04/2024

बतौर लेखक मैंने सिंगल कहानियों वाली क़िताबें भी लिखी हैं, कई भागों वाली कहानियां भी लिखी हैं और कई कहानियों वाली किताबें भी लिखी हैं— जिन्हें साधारण भाषा में कहानी-संग्रह, संकलन, स्टोरी कलेक्शन के रूप में जानते हैं। ऐसा एक कहानी संग्रह गिद्धभोज तीन साल पहले प्रकाशित हो चुका है जिसमें अलग-अलग मूड की क़रीब पच्चीस कहानियां थीं। उसके बाद इधर हाल में ही चार अलग-अलग ऐसे कहानी-संग्रह तैयार किये हैं, जिनमें अलग-अलग एक ही मूड की कहानियां हैं।

कहानियों की संख्या छः से ग्यारह तक है, किताबों की औसत मोटाई 230 पेजेस की है, तो संग्रह की सभी कहानियां उतने ही पन्नों में सिमटी हैं।

इनमें पहला कलेक्शन सामाजिक मुद्दों से जुड़ी कहानियों का है, नाम है 'कहानी जंक्शन'। इसमें आठ कहानियां हैं। पहली कहानी ‘बाग़ी लड़कियां’ दो ऐसी लड़कियों की दास्तान है जो अपनी शर्तों पर जीना चाहती हैं। दूसरी कहानी ‘कहानी जंक्शन’ अलग-अलग वर्ग, समाज से जुड़ी तीन महिलाओं की कहानी है, जिनके पास अपने इशूज थे जो उन्हें परेशान किये थे। तीसरी कहानी ‘अधूरी’ अपने अधूरेपन के साथ एक अभिशप्त सा जीवन जीती युवती की कहानी है। चौथी कहानी ‘उजले जीवन की स्याह सांझ’ छोटे शहरों में रहने वाले एलीट क्लास के एक रिटायर्ड शख्स की कहानी है जो अपने जीवन के उत्तरार्ध में जीने का नया तरीका सीखता है।

‘अंधेरे से उजाले की ओर’ पांचवी कहानी है, जो अपंगता के साथ जीते और अवसाद में जाते एक युवक के उस अंधेरे से निकलने की कहानी है। छठी कहानी ‘कनेक्शन’ अपने जीवन के अलग-अलग चरण में अकेलेपन को भोगते दो ऐसे लोगों की कहानी है, जो नेट के सहारे एक दूसरे से जुड़ जाते हैं। ‘मधुरिमा’ सातवीं कहानी है जो एक पचास के आसपास की औरत की दास्तान कहती है, जो अपनी सभी ज़िम्मेदारियों से मुक्त हो कर अपनी ज़िंदगी को अपने तरीके से जी लेना चाहती है। ‘मज़हबी कुफ्र’ इस संग्रह की आठवीं और अंतिम कहानी है जो धर्म के मर्म को सामने रखती है।

दूसरा कहानी-संग्रह 'आसेब' है, जो हाॅरर श्रेणी के अंतर्गत लिखा गया है और सभी छः कहानियां इसी मूड के साथ कही गई हैं। इस संग्रह की पहली कहानी एक ऐसे शख्स की है जो लोगों की उम्र चुरा लेता है और इस तरह वह ख़ुद को अमर बनाये हुए था। ‘आसेब’ इस संग्रह की दूसरी कहानी है जो एक भीरू युवक की है, जो ख़ुद को दिखावे के चक्कर में बहादुर बना कर पेश करता है और ख़ुद को एक बड़ी मुसीबत में फंसा लेता है। तीसरी कहानी ‘डार्क टूरिज्म’ एडवेंचर के शौकीन एक ग्रुप की कहानी है जो पैरानार्मल एक्टिविटीज को अनुभव करने एक हांटेड प्लेस पर पहुंच जाता है और एक अलग रियलिटी में फंस जाता है।

चौथी कहानी ‘नाईट वाकर’ एक भटकती आत्मा की दास्तान है, जो हर कुछ दिन या साल बाद अपना जिस्म बदल लेती थी। इस संग्रह की पांचवी कहानी ‘वो कौन थी’ एक पहेली है जहां एक पुलिस वाले को एक लड़की अपनी ही लाश तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी निभाती है। ‘रोज़वेल मेंशन’ इस कलेक्शन की छठी और आख़िरी कहानी है जो एक ऐसे युवक की दास्तान है, जो अपनी ग़लत ज़िद के चलते एक दूसरी रियलिटी में हमेशा के लिये क़ैद हो जाता है।

‘इश्क़ अनलिमिटेड’ तीसरा कहानी संग्रह है जो कि नाम से ही ज़ाहिर है कि रोमांटिक कहानियों से सम्बन्धित है। इस संकलन में सबसे ज्यादा ग्यारह कहानियां हैं। पहली कहानी ‘इश्क़ अनलिमिटेड’ एक ऐसे प्रेमी जोड़े की कहानी है जहां लड़की बाईस साल तक लड़के का इंतज़ार करती है और लड़का मरने के बाद भी लौट के आता है। दूसरी कहानी ‘इश्क़ दोबारा’ बिछड़ने के बाईस साल बाद एक शादी में टकराये कपल की कहानी है। तीसरी ‘संय्या बेईमान’ ठुकराये गये दिलजले आशिक की दास्तान है, जो ग़लत रास्ते पर बढ़ जाता है। चौथी ‘सात दिन का इश्क़’ भ्रम के शिकार हो कर प्यार में पड़े और विपरीत सच्चाइयों का सामना होने पर हिम्मत हार जाने वाले प्रेमी जोड़े की कहानी है। पांचवीं कहानी ‘प्रेम में पड़ी लड़की’ मोबाइल गेम के चक्कर में एक लड़के को दिल दे बैठी लड़की की कहानी है, जो बस किसी तरह घर से भाग कर अपने प्रेमी के पास पहुंच जाना चाहती है।

छठी ‘वह पहला सा इश्क़’ एक ज़माने बाद टकरा गये पुराने प्यार के वापस शुरू होने की कहानी है। सातवीं कहानी ‘तुम वो तो नहीं’ एक साहित्यप्रेमी युवक की कहानी है, जिसे एक किताब पढ़ती लड़की से इश्क़ हो जाता है। ‘लिखे जो खत तुझे’ संग्रह की आठवीं कहानी है, जो लिखे गये शब्दों के सहारे लेखक को दिल दे बैठी लड़की की दास्तान है, जो हकीक़त में लेखक को अपनी कल्पनाओं से उलट पाती है। नवीं कहानी ‘कसक’ है, जो बिछड़ गये इश्क़ की दास्तान है, जहां घर वापसी करते लड़के को अब पराई हो चुकी लड़की रास्ते में मिल जाती है। ‘बंसी वाला इश्क़’ संकलन की दसवीं उस लड़की की कहानी है जो सिर्फ़ किसी के बांसुरी वादन पर ही उसे दिल दे बैठी थी, जबकि वह कहीं से भी उसके लायक नहीं था। ‘ऑनलाइन इश्क़’ संकलन की ग्यारहवीं और आख़िरी कहानी है जो नेट पर पनपे और अपने अंत तक पहुंचे इश्क़ की दास्तान है।

चौथा कहानी संग्रह ‘फसादी रात’ है— जो थ्रिल, सस्पेंस और एडवेंचर से भरी छ: कहानियों को समेटे है। पहली कहानी ‘सपनों का रहस्य’ है। यह ऐसे युवक की कहानी है जिसे एकाएक ऐसे सपने आने शुरू हो जाते हैं जो उसके बजाय किसी और की ज़िंदगी के थे और इन सपनों के सहारे ही कुछ ऐसी हत्याओं के राज़ खुल पाते हैं जो दुर्घटना या प्राकृतिक मौत के रूप में दर्ज की गई थीं। दूसरी कहानी ‘फरेबी’ तीन ऐसे किरदारों की कहानी है जो दिखने में तो शिकार की तरह ट्रीट हो रहे थे लेकिन असल में सब ही शिकारी थे। तीसरी कहानी ‘शिकार’ महमहत्वकांक्षा की मारी ऐसी लड़की की कहानी है जो अपने ही अपहरण की साज़िश रचती है।

चौथी कहानी ‘खूनी खेल’ एक अस्थाई तौर पर अपनी याद्दाश्त खो चुके युवक की दास्तान है और अनजाने में ही वह एक खूनी खेल का हिस्सा बन जाता है, जहां एक के बाद एक कई लोग मारे जाते हैं। ‘फसादी रात’ इस संकलन की पांचवी कहानी है, जो उस युवक की दास्तान है जो स्वतःस्फूर्त दिखती घटनाओं का शिकार हो कर खूनी बन जाता है और उसे देश छोड़ कर भागना पड़ जाता है, जबकि हकीक़तन उन घटनाओं का सच कुछ और ही था। ‘विषकन्या’ इस संकलन की छठी और आख़िरी कहानी है जो अतीत से निकली है और एक साधारण सी वेश्या से रानी बनने तक का सफ़र तय करने वाली लड़की की कहानी है।

~ अशफाक अहमद

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