अधूरा इश्क अधूरे अल्फाज़

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नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं जय माता दी 🙏🚩
03/10/2024

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
जय माता दी 🙏🚩

I've received 400 reactions to my posts in the past 30 days. Thanks for your support. 🙏🤗🎉
06/09/2024

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05/09/2024

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Anabelle Servin Fuentes, Enday Letlet Pepito, Meela Gold, Vivek Saini, Abhishek Bajpai, Kuldeepraghav, Mohit Kumar Kasiybal, Israel Alba, सलमान खान, Ankul Thkur

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गरीब किसान के खेत में बिना बोये लौकी की बेल उग आई बेल बड़ी होने पर उसमे तीन लौकियाँ लगी। उसने सोचा, उन्हें बाजार में बेच...
31/08/2024

गरीब किसान के खेत में बिना बोये लौकी की बेल उग आई बेल बड़ी होने पर उसमे तीन लौकियाँ लगी। उसने सोचा, उन्हें बाजार में बेचकर घर के लिए कुछ सामान ले आएगा. अतः वो तीन लौकियाँ लेकर गाँव के बाजार में गया और बेचने के यत्न से एक किनारे बैठ गया।

गांव के प्रधान आये, पूछा , " लौकी कितने की है?"

" मालिक, दस रुपये की। " उसने दीनता से कहा। लौकी बड़ी थी। प्रधान ने एक लौकी उठा ली और ये कहकर चलता बना," बाद में ले लेना। "

इसी प्रकार थाने का मुंशी आया और दूसरी लौकी लेकर चलता बना। किसान बेचारा पछता कर रह गया। अब एक लौकी बची थी। भगवन से प्रार्थना कर रहा था कि ये तो बिक जाये, ताकि कुछ और नहीं तो बच्चों के लिए पतासे और लइया ही लेता जायेगा।

तभी उधर से दरोगा साहब गुज़रे। नज़र इकलौती लौकी पर पड़ी देखकर कडककर पूछा , " कितने की दी ?"

किसान डर गया। अब यह लौकी भी गई। सहमकर बोला ," मालिक, दो तो चली गयीं , इसको आप ले जाओ। "

" क्या मतलब ?" दरोगा ने पूछा, " साफ़ - साफ़ बताओ ?"

किसान पहले घबराया, फिर डरते - डरते सारा वाक़्या बयान कर दिया। दरोगा जी हँसे। वो किसान को लेकर प्रधान के घर पहुंचे। प्रधान जी मूछों पर ताव देते हुए बैठे थे और पास में उनकी पत्नी बैठी लौकी छील रही थी। दरोगा ने पूछा,' लौकी कहाँ से लाये ?"

प्रधान जी चारपाई से उठकर खड़े हो गए , " बाजार से खरीदकर लाया हूँ। "

"कितने की ?"

प्रधान चुप। नज़र किसान की तरफ उठ गयी। दरोगा जी समझ गए। आदेश दिया," चुपचाप किसान को 100 रुपये दो नहीं तो चोरी के इलज़ाम में बंद कर दूंगा। " काफी हील-हुज्जत हुई पर दरोगा जी अपनी बात पर अड़े रहे और किसान को सौ रुपये दिलाकर ही माने।

फिर किसान को लेकर थाने पहुंचे। सभी सिपाहियों और हवलदारों को किसान के सामने खड़ा कर दिया। पूछा," इनमे से कौन है ?" किसान ने मुंशी की तरफ डरते-डरते ऊँगली उठा दी। दरोगा गरजा ," शर्म नहीं आती ? वर्दी की इज़्ज़त नीलाम करते हो। सरकार तुम्हे तनख्वाह देती है , बेचारा किसान कहाँ से लेकर आएगा। चलो, चुपचाप किसान को सौ रुपये निकलकर दो। " मुंशी को भी जेब ढीली करनी पड़ी।

अब तक किसान बहुत डर गया था। सोच रहा था, दरोगा जी अब सारे पैसे उससे छीन लेंगे। वह जाने के लिए खड़ा हुआ। तभी दरोगा ने हुड़का," जाता कहाँ है ? अभी तीसरी लौकी की कीमत कहाँ मिली ? " उन्होंने जेब से पर्स निकाला और सौ रुपये उसमे से पकड़ाते हुए बोले , " अब जा , और आईन्दा से तेरे साथ कोई नाइंसाफी करे तो मेरे पास चले आना। "

किसान दरोगा को लाख दुआएं देता हुआ घर लौट आया, लेकिन सोचता रहा , ये किस ज़माने का दरोगा हैं।गरीब किसान के खेत में बिना बोये लौकी की बेल उग आई बेल बड़ी होने पर उसमे तीन लौकियाँ लगी। उसने सोचा, उन्हें बाजार में बेचकर घर के लिए कुछ सामान ले आएगा. अतः वो तीन लौकियाँ लेकर गाँव के बाजार में गया और बेचने के यत्न से एक किनारे बैठ गया।

गांव के प्रधान आये, पूछा , " लौकी कितने की है?"

" मालिक, दस रुपये की। " उसने दीनता से कहा। लौकी बड़ी थी। प्रधान ने एक लौकी उठा ली और ये कहकर चलता बना," बाद में ले लेना। "

इसी प्रकार थाने का मुंशी आया और दूसरी लौकी लेकर चलता बना। किसान बेचारा पछता कर रह गया। अब एक लौकी बची थी। भगवन से प्रार्थना कर रहा था कि ये तो बिक जाये, ताकि कुछ और नहीं तो बच्चों के लिए पतासे और लइया ही लेता जायेगा।

तभी उधर से दरोगा साहब गुज़रे। नज़र इकलौती लौकी पर पड़ी देखकर कडककर पूछा , " कितने की दी ?"

किसान डर गया। अब यह लौकी भी गई। सहमकर बोला ," मालिक, दो तो चली गयीं , इसको आप ले जाओ। "

" क्या मतलब ?" दरोगा ने पूछा, " साफ़ - साफ़ बताओ ?"

किसान पहले घबराया, फिर डरते - डरते सारा वाक़्या बयान कर दिया। दरोगा जी हँसे। वो किसान को लेकर प्रधान के घर पहुंचे। प्रधान जी मूछों पर ताव देते हुए बैठे थे और पास में उनकी पत्नी बैठी लौकी छील रही थी। दरोगा ने पूछा,' लौकी कहाँ से लाये ?"

प्रधान जी चारपाई से उठकर खड़े हो गए , " बाजार से खरीदकर लाया हूँ। "

"कितने की ?"

प्रधान चुप। नज़र किसान की तरफ उठ गयी। दरोगा जी समझ गए। आदेश दिया," चुपचाप किसान को 100 रुपये दो नहीं तो चोरी के इलज़ाम में बंद कर दूंगा। " काफी हील-हुज्जत हुई पर दरोगा जी अपनी बात पर अड़े रहे और किसान को सौ रुपये दिलाकर ही माने।

फिर किसान को लेकर थाने पहुंचे। सभी सिपाहियों और हवलदारों को किसान के सामने खड़ा कर दिया। पूछा," इनमे से कौन है ?" किसान ने मुंशी की तरफ डरते-डरते ऊँगली उठा दी। दरोगा गरजा ," शर्म नहीं आती ? वर्दी की इज़्ज़त नीलाम करते हो। सरकार तुम्हे तनख्वाह देती है , बेचारा किसान कहाँ से लेकर आएगा। चलो, चुपचाप किसान को सौ रुपये निकलकर दो। " मुंशी को भी जेब ढीली करनी पड़ी।

अब तक किसान बहुत डर गया था। सोच रहा था, दरोगा जी अब सारे पैसे उससे छीन लेंगे। वह जाने के लिए खड़ा हुआ। तभी दरोगा ने हुड़का," जाता कहाँ है ? अभी तीसरी लौकी की कीमत कहाँ मिली ? " उन्होंने जेब से पर्स निकाला और सौ रुपये उसमे से पकड़ाते हुए बोले , " अब जा , और आईन्दा से तेरे साथ कोई नाइंसाफी करे तो मेरे पास चले आना। "

किसान दरोगा को लाख दुआएं देता हुआ घर लौट आया, लेकिन सोचता रहा , ये किस ज़माने का दरोगा हैं।गरीब किसान के खेत में बिना बोये लौकी की बेल उग आई बेल बड़ी होने पर उसमे तीन लौकियाँ लगी। उसने सोचा, उन्हें बाजार में बेचकर घर के लिए कुछ सामान ले आएगा. अतः वो तीन लौकियाँ लेकर गाँव के बाजार में गया और बेचने के यत्न से एक किनारे बैठ गया।

गांव के प्रधान आये, पूछा , " लौकी कितने की है?"

" मालिक, दस रुपये की। " उसने दीनता से कहा। लौकी बड़ी थी। प्रधान ने एक लौकी उठा ली और ये कहकर चलता बना," बाद में ले लेना। "

इसी प्रकार थाने का मुंशी आया और दूसरी लौकी लेकर चलता बना। किसान बेचारा पछता कर रह गया। अब एक लौकी बची थी। भगवन से प्रार्थना कर रहा था कि ये तो बिक जाये, ताकि कुछ और नहीं तो बच्चों के लिए पतासे और लइया ही लेता जायेगा।

तभी उधर से दरोगा साहब गुज़रे। नज़र इकलौती लौकी पर पड़ी देखकर कडककर पूछा , " कितने की दी ?"

किसान डर गया। अब यह लौकी भी गई। सहमकर बोला ," मालिक, दो तो चली गयीं , इसको आप ले जाओ। "

" क्या मतलब ?" दरोगा ने पूछा, " साफ़ - साफ़ बताओ ?"

किसान पहले घबराया, फिर डरते - डरते सारा वाक़्या बयान कर दिया। दरोगा जी हँसे। वो किसान को लेकर प्रधान के घर पहुंचे। प्रधान जी मूछों पर ताव देते हुए बैठे थे और पास में उनकी पत्नी बैठी लौकी छील रही थी। दरोगा ने पूछा,' लौकी कहाँ से लाये ?"

प्रधान जी चारपाई से उठकर खड़े हो गए , " बाजार से खरीदकर लाया हूँ। "

"कितने की ?"

प्रधान चुप। नज़र किसान की तरफ उठ गयी। दरोगा जी समझ गए। आदेश दिया," चुपचाप किसान को 100 रुपये दो नहीं तो चोरी के इलज़ाम में बंद कर दूंगा। " काफी हील-हुज्जत हुई पर दरोगा जी अपनी बात पर अड़े रहे और किसान को सौ रुपये दिलाकर ही माने।

फिर किसान को लेकर थाने पहुंचे। सभी सिपाहियों और हवलदारों को किसान के सामने खड़ा कर दिया। पूछा," इनमे से कौन है ?" किसान ने मुंशी की तरफ डरते-डरते ऊँगली उठा दी। दरोगा गरजा ," शर्म नहीं आती ? वर्दी की इज़्ज़त नीलाम करते हो। सरकार तुम्हे तनख्वाह देती है , बेचारा किसान कहाँ से लेकर आएगा। चलो, चुपचाप किसान को सौ रुपये निकलकर दो। " मुंशी को भी जेब ढीली करनी पड़ी।

अब तक किसान बहुत डर गया था। सोच रहा था, दरोगा जी अब सारे पैसे उससे छीन लेंगे। वह जाने के लिए खड़ा हुआ। तभी दरोगा ने हुड़का," जाता कहाँ है ? अभी तीसरी लौकी की कीमत कहाँ मिली ? " उन्होंने जेब से पर्स निकाला और सौ रुपये उसमे से पकड़ाते हुए बोले , " अब जा , और आईन्दा से तेरे साथ कोई नाइंसाफी करे तो मेरे पास चले आना। "

किसान दरोगा को लाख दुआएं देता हुआ घर लौट आया, लेकिन सोचता रहा , ये किस ज़माने का दरोगा हैं।

 #प्रेम_का_अंतवह पुरुष जो सचमुच तुमसे प्यार करता हैं तुम्हें छोड़कर जानें का फैसला एक पल में नहीं करता, महीनों-सालो वह ख...
30/08/2024

#प्रेम_का_अंत

वह पुरुष जो सचमुच तुमसे प्यार करता हैं
तुम्हें छोड़कर जानें का फैसला एक पल में नहीं करता, महीनों-सालो वह ख़ुद को समझाता हैं..
वह तुम्हारे याद में महिनों-सालों और बरसों तक
चेतना-शुन्य हों जाता हैं..

तुम्हें पाने के लिए वह इंतज़ार करता हैं की तुम कभी-न-कभी आओगी
पर उसका इंतज़ार तो एक कहानी
बनकर रह जाता हैं..
कुछ पुरुष ख़ुद को सम्भलना और समझना सीख जाते है, सीख जाते हैं जीवन जिना..वह जानते है मेरे बुढे मां-बाप का सहारा मै ही हूं..

पर इन सब के बिच कुछ होते हैं ऐसे पुरुष जिन्हें तुम्हें पाना ही उनका आख़िरी मक़सद है
अगर तुम मिल जाओ तो उनके लिए एवरेस्ट फतह होंगी...

तुम्हें उस दिन डरना चाहिए जिस दिन तुम्हारे प्रेम में पड़े
किसी पुरुष को छोड़ कर हमेशा-हमेशा के लिए चली जाती हो..
ये वही पुरुष हैं जो तुमसे मिले प्रेम को अपने दिल में बसा लेते हैं ,और हमेशा-हमेशा के लिए दिल के दरवाज़े तुम्हारे लिए खुला रखतें हैं.. यह उसका अंतिम फैसला होता है , तुम्हें छोड़ कर जाने का, विद्रोही भीं नहीं होते, विद्रोह करने से पहले वह बार-बार तुम्हें एहसास कराते है कि' अब पहले जैसा प्रेम महसूस नहीं हो रहा हैं, प्रेम को कुछ वक्त दिया करो..

पर तुम उसे और उसकी बातों को लापरवाही से टाल देती हों, और एक दिन वह तमाम यादें और प्रेम समेट कर तुमसे दूर चला जाता है हमेशा-हमेशा के लिए..

तुम्हारे जिस प्रेम ने उसे कोमल और संतुलित बनाया था, तुम्हारा वही प्रेम उसे जीवन भर के लिए कठोर और निष्ठुर बना देता है..

हमेशा लापरवाह और अपनी मौज में रहने वाले पुरुष जो हमेशा उल्टी सीधी हरकते करते थे,
वो तुम्हारे प्रेम में आने के बाद बहुत बदल गये..

पर आज वही पुरुष जिसे तुमने छोड़ा है
अपनी चाहतें अपना प्यार ,अपनी ख्वाहिशों की हत्या कर चुका है,जो वादा करता था अपने और तुम्हारे परिवार का हम सहारा बनेंगे
आज बुढे मां बाप ख़ुद उसके सहारे बने हैं...

वह कभी बद्दुआ नहीं देता तुम्हें, पर वो मान लेता है की हमेशा-हमेशा के लिए तुम मर चुकी हो, हो चुका है अंत उसके प्यार का और बिना किसी से कहे, करवा लेता है अपना मुंडन, मिटा देता है दिल से हमेशा-हमेशा के लिए तुम्हारा नाम..

बस साथ रह जाती हैं कुछ यादें, जिसे महसूस करके हंसता या रो लेता है... ख़त्म हो जाती है उसकी दुनिया...जिसे वो दुनिया मान चुका था,
वह वेवफा भी नहीं कह पाता है, क्योंकि तुम्हें अपना जो मान चुका था..❤️🥀

30/08/2024
I've just reached 600 followers! Thank you for continuing support. I could never have made it without each one of you. 🙏...
30/08/2024

I've just reached 600 followers! Thank you for continuing support. I could never have made it without each one of you. 🙏🤗🎉

29/08/2024

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साली आधी घरवाली का पूरा फर्ज निभाया जीजा ने साली को कर दिया टॉप ,तीन साल के लिए कर दिये गये डिबार
28/08/2024

साली आधी घरवाली का पूरा फर्ज निभाया जीजा ने
साली को कर दिया टॉप ,तीन साल के लिए कर दिये गये डिबार

बोलीवुड अभिनेता एक ओर जहां शराब, बीयर, बीड़ी, गुटका, कोडोम बेच रहे हैं वही साउथ अभिनेता समाज सेवा में बढ़ चढ़कर आगे आ रह...
28/08/2024

बोलीवुड अभिनेता एक ओर जहां शराब, बीयर, बीड़ी, गुटका, कोडोम बेच रहे हैं वही साउथ अभिनेता समाज सेवा में बढ़ चढ़कर आगे आ रहे हैं! फिल्मों में इतना पैसा मिलने के बावजूद भी बॉलीवुड के अभिनेता ऐड कर पैसा कमाने में लगे हैं ओर हमारे युवा पीढ़ी को अंधकार की ओर धकेल रहे हैं आपकी इस बारे में क्या राय है
कमेंट बॉक्स मे जरूर बताये

यूँ तो कहने को सोलह श्रृंगार है स्त्रियों के,सत्रहवा श्रृंगार है पसंदीदा पुरुष का कन्धा..❤️
28/08/2024

यूँ तो कहने को सोलह श्रृंगार है स्त्रियों के,
सत्रहवा श्रृंगार है पसंदीदा पुरुष का कन्धा..❤️

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