16/07/2025
#बहनजी
अगर सच्ची घटनाओं पर यूपी की राजनीति को ध्यान में रखकर और जातिवादी सोच से बाहर आकर बहनजी पर एक फिल्म बनाई जाए, तो वो कम से कम 1000 करोड़ का बिजनेस कर सकती है। उस फिल्म में कई सीन ऐसे होगे जो रोंगटे खड़े करने वाले होंगे । फिल्म में कुछ सीन इस प्रकार से हो सकते हैंः
1) एक क्लास - ।V कर्मचारी के घर 1970 वाले दशक मे मायावती नाम की लड़की जो IAS बनकर जातिवाद के कारण दबे कुचले समाज के लिए कुछ करने का सपना संजोए मेहनत कर रही हैं और एक दिन उसके कॉलेज के एक फंक्शन मे मुख्य अतिथि के तौर पर आए 1977 वाली जनता पार्टी सरकार के कैबिनेट मंत्री राज नारायण को अपने भाषण में बार बार हरिजन शब्द इस्तेमाल करने पर एतराज जताना और उनके भाषण के बाद मंच पर अचानक पहुंचकर हाथो मे माइक लेकर उनको हरिजन शब्द का मतलब समझाना कि अगर दलित हरि के जन है तो क्या बाकी शैतान की औलाद है। बहनजी ने उस समय के सबसे दमदार नेताओं में से एक राज नारायण जिन्होंने 1977 मे इलाहाबाद से इंदिरा गांधी तक को हरा दिया था, उनको बगले झांकने के लिए मजबूर कर दिया था, और वहाँ मौजूद जनता को भी बहनजी ने अवगत कराया था कि हरिजन शब्द इस्तेमाल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदी भी लगा दी है।
2) इस घटना के बाद मान्यवर कांशीराम साहेब का उनके बारे में पता लगाकर उनके घर मिलने जाना और उनको उनके सामाजिक व राजनीतिक परिवर्तन वाले मिशन मे साथ आने का निमंत्रण देना जबकि उस समय बहुजन समाज पार्टी की नींव तक नही रखी गई थी, इसके 7 साल बाद 1984 में बसपा को मान्यवर कांशीराम साहेब, बहनजी व अन्य कुछ साथियों के साथ मिलकर पार्टी बनाई गई थी। इन सात सालों का बहनजी का जमीनी संघर्ष भले ही हवा हवाई और पव्वेंबाज दलितों को समझ में नहीं आता हो लेकिन वो संघर्ष आज भी उनकी 20-25 साल की बहन बेटी या पत्नी करने की सोच तक नहीं सकती जबकि उस दौर मे युपी मे जातिवाद ही नही बल्कि अराजकता वाला माहौल भी था, महिलाओं को तो छोड़िये पुरुष तक शाम को अंधेरा होने पर घर से निकलने से कतराते थे। उनके इस अदम्य साहस को आज तक किसी फिल्म वाले नही नहीं जाना होगा, ये हो ही नही सकता जबकि काल्पनिक पात्रों के आधार पर प्रौपगैंडा फिल्म बनाने को वो तैयार हैं।
3) इस फिल्म मे उनका पैसे की कमी के बावजूद लगातार चुनाव लड़ना और बिजनौर से सांसद एक मिसाल थी। 1992 मे सपा से गठबंधन के बाद मान्यवर के आदेशानुसार बसपा के समर्थन से मुलायम सिंह यादव की सरकार का चलना, मुलायम सरकार मे दलितों पर उत्पीड़न होने के मुद्दे पर अपराधियों पर एक्शन ना लेने पर बसपा द्वारा समर्थन वापसी की बार बार धमकी देना और अन्त में 1995 मे मुलायम सिंह यादव की गुंडागर्दी वाली सरकार को गिराने का एतिहासिक फैसला लेने में मान्यवर कांशीराम के साथ वैचारिकी की मजबूती दिखाते हुए चट्टान की तरह अडिग खड़े रहना फिल्म का एक अच्छा हिस्सा हो सकता है।
4) मुलायम सिंह यादव की सरकार गिराने के बाद मुलायम सिंह के गुंडो द्वारा बहनजी को जान से मारने की कोशिश करना, मारपीट की और बेज्जत करने की कोशिश करना । उसके बाद भाजपा के समर्थन से बहनजी का 1995 में पहली बार मुख्यमंत्री बनकर 1,50,000 से ज्यादा गुंडे मवालियों और अन्य असामाजिक तत्वों को जेल में ठूंसकर कानून व्यवस्था को नई दिशा देना ताकि गरीब, मजदूर, दलित, आदिवासी समाज को कोई त्रास न कर सके। आजादी के बाद यूपी में पहली बार कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले और जातिवादी उत्पीड़न करने वालो को ढंग से कुट पीट कर सीधा किया गया था। सत्ता की ताकत क्या होती हैं, पहली बार दलित शोषित समाज को पता चला होगा। भाजपा ने बहनजी के इस रौद्र रूप के दर्शन करके तुरन्त उनके विधायक तोड़कर भाजपा सरकार बना ली। इस सरकार के समय बसपा के सिर्फ 67 विधायक थे और भाजपा के 176 विधायक होते थे।
5) उसके बाद बहनजी का दोबारा फिर 1997 मे मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला और भाजपा को मजबूर करके एक बार फिर भाजपा से छोटी पार्टी होने के बावजूद 6 महीने मुख्यमंत्री पद पाया। इन 6 महीनों मे बहुत से सामाजिक और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए कार्य किए गए, नौकरियाँ निकाली गई लेकिन जैसे ही 6 महीने बाद बहनजी ने समझौते के अनुसार 6 महीनों के लिए भाजपा को मुख्यमंत्री पद सौंपा, सत्ता पाकर बसपा फिर तोड़ ली गई और भाजपा सरकार अगले चुनाव तक सरकार में बनी रही।
6) 2002 के चुनावों मे बसपा को फिर मौका मिला और भाजपा के समर्थन से फिर सरकार बनाकर बहनजी मुख्यमंत्री बनी। लेकिन 2003 मे वाजपेई और आडवानी द्वारा 2004 लोकसभा चुनावों के लिए पूरे भारत मे बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की पेशकश की गई लेकिन ये बात मान्यवर और बहनजी को अपनी विचारधारा के खिलाफ लगी, इसीलिए बहनजी ने इस्तीफा दे दिया, यहीं से बहनजी पर ताज कोरिडोर मामला CBI को देकर मनुवादी मीडिया द्वारा खुब बदनाम करवाया गया लेकिन आज तक CBI, ED, Income tax के 110 से ज्यादा केस झेलकर और वहाँ से निर्दोष साबित होकर ये साबित कर दिया कि बसपा अपने समर्थकों के 10-20 -50 रुपयों की सहयोग राशि से ही राष्ट्रीय पार्टी बनी हुई हैं, पुँजीपतियों के सामने झुककर वहाँ से हजारों करोड़ रुपये कभी नही पाये है।
7) बड़े बड़े गैंगस्टर जैसे ददुआ डाकू गैंग, ठोकिया गैंग आदि को ठिकाने लगाया गया। बाहुबलि अतीक अहमद की हेकड़ी निकाली गई। बाहुबलि राजा भैया का यूपी मे समानान्तर सरकार चलाने का बहम कुचला गया, बाप बेटे को बहनजी ने सत्ता मे आते ही जेल मे भेजा गया । उसका अवैध रूप से कब्जा किया हुआ 600 एकड़ का भद्री का तालाब सरकार के कब्जे में लेकर डॉ अम्बेड़कर पक्षी विहार नाम रखा गया। लेकिन मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार आते ही उनको जेल से बाहर निकाल कर वो 600 एकड़ भद्री के तालाब वाली जमीन उनको सौंप दी जाती। अखिलेश यादव ने तो कमाल ही कर दिया था, 2012 मे सत्ता में आते ही राजा भैया को जेल से निकालकर सीधा जेल मंत्री बना दिया था जबकि वो निर्दलीय विधायक था और अखिलेश यादव सरकार बहुमत से ज्यादा विधायक खुद की पार्टी के लिए हुए थे। गुंडागर्दी कंट्रोल करने की अखिलेश यादव की ये निन्जा टेक्निक अमेरिका और यूरोप की युनिवर्सिटियों में भी पढ़ाई जानी चाहिये।
8) SC-ST अट्रासिटी कानून के सही इस्तेमाल के लिए जातिवाद खत्म करवाने के मकसद से पुलिस अफसरों तक को माइक लगाकर दलितों की बस्तियों मे घुमवा दिया कि डरने की कोई जरूरत नही हैं, जातिवादी घटनाओं व अन्य अपराधों की FIR जरूर करवाएं । पुलिस द्वारा FIR न लिखने की सूचना मिलने पर उस जिले के पुलिस कप्तान यानि SP को बहनजी लाइन हाजिर करती थी। दलित आदिवासियों को जातिवाद की नरक से निकालकर आत्मबल देने की पूरे देश मे ये घटनाएं पहली बार हो रही थी और जो अब तक पहली व आखिरी सभी बार बहनजी के शासन में ही देखने को मिली है। जातिय उत्पीड़न के मामलों में तीव्र न्याय के लिए बहनजी यूपी के 75 जिलों मे 56 जिलों में SC-ST अट्रासिटी एक्ट केसों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनवा चुकी थी।
कुछ नालायक लोग कहते है कि बहनजी को सबकुछ विरासत मे मिल गया, उन्होंने कुछ खास संघर्ष नहीं किया बल्कि सब पका पकाया ही खाया हैं, अपनी 1 - 2 टिकटों के लिए चमचागिरी करने वाले उन नालायक नेताओं को इतना ही कहना चाहता हूँ कि वो 1-2 सीटों के लिए चमचागिरी से बाहर आए और बहनजी से दुगनी तिगुनी चौगुणी मेहनत करके सभी राज्यों मे अपनी सरकार बना ले, केन्द्र में भी अपनी सरकार बना ले लेकिन इस तरह की ओछी हरकत न करे कि वो अपने समाज के महापुरुषों को बौना साबित करने का गुनाह कर बैठे।
पोस्ट लम्बी हो रही हैं, इसीलिए समापन कर रहा हूँ । हालाँकि 3 घंटे की फिल्म के लिए ये कुछ घटनाएं काफी हो सकती हैं। सामाजिक विकास के अन्य कार्यो पर अलग से डाक्यूमेन्ट्री फिल्म बनाई जा सकती हैं, सामाजिक उत्थान के कार्यो की लिस्ट काफी लम्बी हो सकती है। #जयभीम