22/05/2025
अपरा एकादशी व्रत कथा (Apara Ekadashi Vrat (23.05.2025) Katha)
भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से कहा:
हे राजन्! मैं तुम्हें ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे अपरा एकादशी कहा जाता है, की व्रत कथा सुनाता हूँ। यह व्रत अपार पुण्य प्रदान करने वाला है और समस्त पापों का नाश करता है।
पुराणों के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति को गंगा स्नान, काशी में दान, गौदान, तपस्या, यज्ञ और तीर्थ यात्रा जितना पुण्य प्राप्त होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायक है, जिन्होंने अनजाने में पाप किए हों या जो आत्मिक शुद्धि चाहते हों।
🕉️ प्राचीन कथा
प्राचीन काल में महिष्मती नगरी में एक महिष्मान नामक राजा राज्य करता था। वह धर्मात्मा, पराक्रमी और प्रजा का हितकारी था। लेकिन एक युद्ध में राजा की मृत्यु हो गई, और उसकी आत्मा यमलोक पहुंची। वहाँ यमदूतों ने उसे बताया कि उसे अपने पापों के कारण नरक जाना होगा।
परंतु तभी वहाँ एक दिव्य रूपधारी दूत प्रकट हुआ और बोला —
"यह राजा अत्यंत पुण्य आत्मा है। इसने मृत्यु से पूर्व अपरा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया था। अतः इसे नरक नहीं, स्वर्ग की प्राप्ति होगी।"
यमराज ने भी इसकी पुष्टि की और राजा की आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिल गया।
🙏 भगवान श्रीकृष्ण ने कहा:
“हे युधिष्ठिर! जो मनुष्य श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत को करता है, वह पापमुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है। इस व्रत का फल हजारों वर्षों की तपस्या से भी अधिक होता है।”
अपरा एकादशी 2025: तिथि व समय
एकादशी तिथि: शुक्रवार, 23 मई 2025
एकादशी तिथि प्रारंभ: 22 मई 2025, रात 12:07 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 23 मई 2025, रात 10:57 बजे
🌅 व्रत पारण (खोलने) का समय
पारण की तिथि: शनिवार, 24 मई 2025
पारण का समय: सुबह 05:30 बजे से 08:12 बजे तक
(स्थानीय सूर्योदय के अनुसार थोड़ा अंतर संभव है)
📌 पारण नियम: द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद व्रत तोड़ना शुभ होता है। एकादशी के दिन उपवास कर अगले दिन पारण करना चाहिए।
🪔 अपरा एकादशी की पूजा विधि (व्रत विधि)
स्नान और संकल्प:
सूर्योदय से पहले पवित्र स्नान करें और व्रत का संकल्प लें — "मैं आज भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति हेतु अपरा एकादशी व्रत रखता/रखती हूँ।"
पूजा स्थान पर दीप जलाएं और भगवान श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा/तस्वीर स्थापित करें।
तुलसी, पीले पुष्प, चंदन, धूप, दीप और फल अर्पित करें।
अपरा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या श्रवण करें।
भजन, कीर्तन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
मंत्र: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप अत्यंत शुभ माना जाता है।
रात्रि में जागरण करें, भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करें।
अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत पारण करें।
✨ अपरा एकादशी का धार्मिक महत्व
अपरा एकादशी, जिसे 'अचला एकादशी' भी कहते हैं, ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है।
यह व्रत पापों का नाश करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।
श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि इस व्रत से व्यक्ति के जीवन में किए गए सभी अनजाने पापों का प्रायश्चित हो जाता है।
इस व्रत से तीर्थ स्नान, दान, व्रत, हवन आदि जितना पुण्य प्राप्त होता है।
यह व्रत व्यापार में सफलता, कर्ज मुक्ति, न्याय में विजय, और जीवन में सुख-शांति देता है।
समुद्र में हुए अपराध, चोरी, व्यभिचार, परनिंदा जैसे पाप भी इसके प्रभाव से दूर हो जाते हैं।
📖 विशेष बात:
जो लोग विधिपूर्वक यह व्रत रखते हैं, उन्हें वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है और जीवन के संकटों से छुटकारा मिलता है।
_______________________________________________________________________
भगवान की कृपा आप पर सदा बरसे,
धर्म की बातें page को follow करें, और पेज को शेयर करें...🙏🙏🙏