
12/05/2025
गर्मियों की एक सुनहरी सुबह थी। गांव के किनारे एक बड़ा सा तालाब था, जिसके पास घास की हरियाली फैली हुई थी। वहीं कुछ छोटे-छोटे बच्चे – गुड्डू, मीना और छुटकी – खेलते-खेलते तालाब के किनारे आ गए।
तभी उन्होंने देखा कि गांव का बूढ़ा हाथी, "मोती", धीरे-धीरे चलता हुआ तालाब की ओर आ रहा है। उसके बड़े-बड़े कान हिल रहे थे और सूंड से वो तालाब का पानी पी रहा था। बच्चे पहले तो डर गए, लेकिन फिर उन्होंने देखा कि मोती तो बहुत शांत और प्यारा है।
गुड्डू ने हिम्मत की और तालाब के पास बैठ गया। मीना और छुटकी भी उसके पास आकर बैठ गईं। तीनों मोती को निहारते रहे, और मोती भी बच्चों की तरफ देखकर सूंड हिलाने लगा – मानो वो उन्हें नमस्ते कह रहा हो।
धीरे-धीरे बच्चों और मोती के बीच दोस्ती हो गई। रोज सुबह वे तालाब के पास आते, मोती के लिए केले और गुड़ लाते, और उसके साथ खेलते। गांववालों को भी यह दोस्ती देखकर बहुत अच्छा लगा।
इस तरह तालाब के किनारे एक प्यारी सी दोस्ती ने जन्म लिया – जो न उम्र देखती थी, न भाषा, बस प्यार और समझ ही उसका आधार था।
सीख: सच्ची दोस्ती इंसान और जानवर के बीच भी हो सकती है, बस ज़रूरत है प्यार और भरोसे की।