11/10/2024
एक ठंडी रात थी। राजेश अपने पुराने गाँव के घर में अकेला सो रहा था। घर के आसपास की ज़मीन पर बरसों से कोई नहीं आया था। वो घर अब वीरान हो चुका था। अचानक, आधी रात को दरवाजे पर धीमी दस्तक हुई। राजेश की नींद टूट गई। उसने सोचा कि शायद हवा होगी, लेकिन दस्तक फिर से हुई—इस बार ज़्यादा ज़ोर से।
राजेश ने धीमे कदमों से दरवाजा खोला, पर बाहर कोई नहीं था। वह वापस मुड़ा, तो उसकी नज़र दालान के कोने में खड़ी एक छाया पर पड़ी। वह छाया धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगी। राजेश का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वो समझ नहीं पा रहा था कि ये क्या हो रहा है।
छाया पास आई और बुदबुदाई, "तुमने मुझे क्यों बुलाया?" राजेश को याद आया कि कुछ दिन पहले उसने अपने दोस्तों के साथ मस्ती में पुरानी आत्माओं को बुलाने का खेल खेला था। उसे लगा कि यह सब मजाक था, लेकिन अब वो छाया उसके सामने थी, उसकी आँखों में गुस्से की आग जल रही थी।
राजेश ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसके पैर जम गए थे। छाया ने धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाया और फिर... सब कुछ काले अंधेरे में डूब गया। दूसरे दिन सुबह राजेश को उसके दोस्तों ने बेहोश पाया, लेकिन उसकी आँखों में डरावनी खामोशी थी, जैसे उसने कुछ भयानक देख लिया हो।
और वह छाया? वो अब भी उस घर के अंधेरे कोनों में छुपी हुई थी, किसी और को बुलाने का इंतजार कर रही थी।