15/11/2024
🌹🙏🌹🙏देव दीपावली की आप सभी को बहुत-बहुत शुभ कामनाएं 🌹🙏🌹🙏
देव दीपावली का पर्व भारत में एक महत्वपूर्ण और पवित्र उत्सव है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस) में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इसे "देवताओं की दीपावली" भी कहा जाता है। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो दिवाली के पंद्रह दिन बाद आती है।
देव दीपावली मनाने का कारण:
1. देवताओं का धरती पर आगमन: मान्यता है कि इस दिन देवता स्वर्गलोक से धरती पर आते हैं और गंगा नदी के तट पर दीप जलाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसी कारण इसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है।
2. भगवान शिव की विजय का उत्सव: पुराणों के अनुसार, देव दीपावली भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। त्रिपुरासुर को हराने के लिए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की थी, और उनकी विजय के बाद देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया। इसीलिए इसे 'त्रिपुरारी पूर्णिमा' भी कहा जाता है।
3. पवित्र गंगा के तट पर दीपदान: इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाटों को हजारों दीयों से सजाया जाता है। घाटों पर एक अनोखा दृश्य देखने को मिलता है जब सैकड़ों-हजारों दीप गंगा नदी के जल में प्रवाहित किए जाते हैं। इस दिव्य दृश्य को देखने के लिए लाखों श्रद्धालु और पर्यटक वाराणसी आते हैं।
4. पुण्य का महत्व: हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने और दीप जलाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश होता है। कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र माना जाता है, और कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन पवित्र गंगा में स्नान करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
5. सांस्कृतिक महत्व: देव दीपावली केवल धार्मिक पर्व ही नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। इस दिन वाराणसी में सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें संगीत, नृत्य, आरती और अन्य कार्यक्रम शामिल होते हैं।
देव दीपावली कैसे मनाई जाती है:
दीप जलाना: इस दिन विशेष रूप से वाराणसी के सभी घाटों पर शाम के समय दीप जलाए जाते हैं। हर घाट पर दीपों की पंक्तियां सजाई जाती हैं।
गंगा आरती: इस दिन की प्रमुख विशेषता है गंगा आरती, जो एक अत्यंत भव्य और दिव्य आयोजन है। इसमें सैकड़ों दीपों के साथ गंगा मैया की आरती की जाती है।
मंदिरों में विशेष पूजा: इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। भक्त भगवान शिव और विष्णु की पूजा करते हैं।
देव दीपावली का सांस्कृतिक प्रभाव:
देव दीपावली न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, लोककला, और पारंपरिक संगीत और नृत्य का भी हिस्सा है। वाराणसी का यह पर्व विशेष रूप से पर्यटकों और विदेशी मेहमानों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है, जो भारतीय परंपराओं और संस्कृति को करीब से देखने के लिए आते हैं।
इस प्रकार, देव दीपावली भगवान शिव की विजय का उत्सव और देवताओं के धरती पर आगमन की खुशी का प्रतीक है, जो भारतीय समाज में एकता, आध्यात्मिकता और धार्मिकता की भावना को प्रकट करता है।