Shri Hari

Shri Hari Shri Hari Official Page....

🌺🙏हर हर महादेव🙏🌺
18/03/2025

🌺🙏हर हर महादेव🙏🌺

केदारनाथ शिवलिंग का रहस्य | ये रहस्य आपको चौंका देगा! 🔥 -3022 🔴 Kedarnath ke Shivling ka rahasya aakhir kya hai? Yeh mystery sabko hairan kart...

🌹🙏🌹🙏देव दीपावली की आप सभी को बहुत-बहुत शुभ कामनाएं 🌹🙏🌹🙏देव दीपावली का पर्व भारत में एक महत्वपूर्ण और पवित्र उत्सव है, जो...
15/11/2024

🌹🙏🌹🙏देव दीपावली की आप सभी को बहुत-बहुत शुभ कामनाएं 🌹🙏🌹🙏

देव दीपावली का पर्व भारत में एक महत्वपूर्ण और पवित्र उत्सव है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस) में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इसे "देवताओं की दीपावली" भी कहा जाता है। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो दिवाली के पंद्रह दिन बाद आती है।

देव दीपावली मनाने का कारण:

1. देवताओं का धरती पर आगमन: मान्यता है कि इस दिन देवता स्वर्गलोक से धरती पर आते हैं और गंगा नदी के तट पर दीप जलाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसी कारण इसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है।

2. भगवान शिव की विजय का उत्सव: पुराणों के अनुसार, देव दीपावली भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। त्रिपुरासुर को हराने के लिए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की थी, और उनकी विजय के बाद देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया। इसीलिए इसे 'त्रिपुरारी पूर्णिमा' भी कहा जाता है।

3. पवित्र गंगा के तट पर दीपदान: इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाटों को हजारों दीयों से सजाया जाता है। घाटों पर एक अनोखा दृश्य देखने को मिलता है जब सैकड़ों-हजारों दीप गंगा नदी के जल में प्रवाहित किए जाते हैं। इस दिव्य दृश्य को देखने के लिए लाखों श्रद्धालु और पर्यटक वाराणसी आते हैं।

4. पुण्य का महत्व: हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने और दीप जलाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश होता है। कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र माना जाता है, और कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन पवित्र गंगा में स्नान करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

5. सांस्कृतिक महत्व: देव दीपावली केवल धार्मिक पर्व ही नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। इस दिन वाराणसी में सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें संगीत, नृत्य, आरती और अन्य कार्यक्रम शामिल होते हैं।

देव दीपावली कैसे मनाई जाती है:

दीप जलाना: इस दिन विशेष रूप से वाराणसी के सभी घाटों पर शाम के समय दीप जलाए जाते हैं। हर घाट पर दीपों की पंक्तियां सजाई जाती हैं।

गंगा आरती: इस दिन की प्रमुख विशेषता है गंगा आरती, जो एक अत्यंत भव्य और दिव्य आयोजन है। इसमें सैकड़ों दीपों के साथ गंगा मैया की आरती की जाती है।

मंदिरों में विशेष पूजा: इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। भक्त भगवान शिव और विष्णु की पूजा करते हैं।

देव दीपावली का सांस्कृतिक प्रभाव:

देव दीपावली न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, लोककला, और पारंपरिक संगीत और नृत्य का भी हिस्सा है। वाराणसी का यह पर्व विशेष रूप से पर्यटकों और विदेशी मेहमानों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है, जो भारतीय परंपराओं और संस्कृति को करीब से देखने के लिए आते हैं।

इस प्रकार, देव दीपावली भगवान शिव की विजय का उत्सव और देवताओं के धरती पर आगमन की खुशी का प्रतीक है, जो भारतीय समाज में एकता, आध्यात्मिकता और धार्मिकता की भावना को प्रकट करता है।




Today's Best Photo❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
30/11/2023

Today's Best Photo
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️







Best Photo of the Day❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️Radhe Radhe 🙏
25/11/2023

Best Photo of the Day
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

Radhe Radhe 🙏









❤️Best photo of the day❤️🌹🙏Jay Shri Krishna 🙏🌹
18/11/2023

❤️Best photo of the day❤️
🌹🙏Jay Shri Krishna 🙏🌹






Today's Best Photo ❤❤❤❤❤❤❤
11/10/2023

Today's Best Photo
❤❤❤❤❤❤❤

जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को, दिखाया अपना विराट रूप🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध के पहले भगवान श्रीकृष्ण ...
09/10/2023

जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को, दिखाया अपना विराट रूप🙏
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध के पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान दिया। अर्जुन प्रभु से इच्छा प्रकट की कि वह प्रभु का विराट रूप देखना चाहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिव्य दृष्टि दी और उसे अपने विराट रूप के दर्शन कराए।
अर्जुन ने उस विश्वरूप में असंख्य मुख, असंख्य नेत्र तथा असंख्य आश्चर्यमय दृश्य देखे। यह रूप अनेक दैवी आभूषणों से अलंकृत था और अनेक दैवी हथियार उठाए हुए था।
यह दैवी मालाएँ तथा वस्त्र धारण किए थे। उस पर अनेक दिव्य सुगंधियाँ लगी हुई थी। सब कुछ आश्चर्यमय, तेजमय तथा सर्वत्र व्याप्त था।
यदि आकाश में हजारों सूर्य एकसाथ उदय हों, तो उनका प्रकाश शायद परमपुरुष के स विश्वरूप के तेज की समता कर सके।
उस समय अर्जुन भगवान् के विश्वरूप में एक ही स्थान पर स्थित हजारों भागों में विभक्त ब्रम्हाण्डके अनंत अंशो को देख सका।
तब मोहग्रस्त एवं आश्चर्यचकित रोमांचित हुए अर्जुन ने प्रणाम करने के लिए मस्तक झुकाया और वह हाथ जोडकर भगवान से प्रार्थना करने लगा।

Today's Best Photo
❤❤❤❤❤❤

🙏🌺मृत्युदंड पाने के बाद भी हनुमान को राम जी मार न सके🌺🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺नारद जी ने ऋषिगण की आवभगत करने का कार्यभार हनुमान जी क...
07/10/2023

🙏🌺मृत्युदंड पाने के बाद भी हनुमान को राम जी मार न सके🌺🙏

🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
नारद जी ने ऋषिगण की आवभगत करने का कार्यभार हनुमान जी को सौंपा, लेकिन इन सब में से राम के गुरु विश्वामित्र का सत्कार न करने को कहा, हनुमान जी इस रहस्य को समझ नहीं पाए, लेकिन उन्होंने नारदजी की आज्ञा का पूर्णतः पालन किया।

जिस के फल स्वरूप विश्वामित्र क्रोधित हुए और राम को हनुमान को मृत्यु दंड देने को कहा, गुरु की आज्ञा से विवश राम अपने प्रिय हनुमान पर प्रहार करना शुरू करते हैं, लेकिन नारद जी ने कहा था कि, हनुमान आप चिंतामुक्त हो कर राम नाम का जाप करें कुछ नहीं होगा, हनुमान जी ने इस आज्ञा का भी पालन किया, तब राम के ब्रह्मास्त्र समेत सारे अस्त्र विफल हो गए। यह सब देख कर गुरु विश्वामित्र ने राम से इस घटना का विस्तारण जाना, और अंत में हनुमान जी पर से उनका क्रोध समाप्त हो गया। और उन्होंने अपना आदेश वापिस ले लिया।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

Today's Best Photo
❤❤❤❤❤❤❤❤














🙏Om Namah Shivay🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा की प्रभु मैंने पृथ्वी पर देखा है कि जो व्यक्ति पहले स...
06/10/2023

🙏Om Namah Shivay🙏
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा की प्रभु मैंने पृथ्वी पर देखा है कि जो व्यक्ति पहले से ही अपने प्रारब्ध से दुःखी है- आप उसे और ज्यादा दुःख प्रदान करते हैं- और जो सुख में है आप उसे दुःख नहीं देते है। भगवान ने इस बात को समझाने के लिए माता पार्वती को धरती पर चलने के लिए कहा और दोनों ने इंसानी रूप में पति-पत्नी का रूप लिया और एक गावं के पास डेरा जमाया । शाम के समय भगवान ने माता पार्वती से कहा की हम मनुष्य रूप में यहां आए है इसलिए यहां के नियमों का पालन करते हुए हमें यहां भोजन करना होगा। इसलिए मैं भोजन कि सामग्री की व्यवस्था करता हूं, तब तक तुम भोजन बनाने की व्यवस्था बनाओ।

भगवान के जाते ही माता पार्वती रसोई में चूल्हे को बनाने के लिए बाहर से ईंटें लेने गईं-और गांव में कुछ जर्जर हो चुके मकानों से ईंटें लाकर चूल्हा तैयार कर दिया। चूल्हा तैयार होते ही भगवान वहां पर बिना कुछ लाए ही प्रकट हो गए। माता पार्वती ने उनसे कहा आप तो कुछ लेकर नहीं आए, भोजन कैसे बनेगा। भगवान बोले – पार्वती अब तुम्हें इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। भगवान ने माता पार्वती से पूछा की तुम चूल्हा बनाने के लिए इन ईटों को कहा से लेकर आई तो माता पार्वती ने कहा – प्रभु इस गावं में बहुत से ऐसे घर भी हैं जिनका रख रखाव सही ढंग से नहीं हो रहा है। उनकी जर्जर हो चुकी दीवारों से मैं ईंटें निकाल कर ले आई। भगवान ने फिर कहा – जो घर पहले से ख़राब थे तुमने उन्हें और खराब कर दिया। तुम ईंटें उन सही घरों की दीवार से भी तो ला सकती थीं।माता पार्वती बोली – प्रभु उन घरों में रहने वाले लोगों ने उनका रख रखाव बहुत सही तरीके से किया है और वो घर सुंदर भी लग रहे हैं।

ऐसे में उनकी सुंदरता को बिगाड़ना उचित नहीं होता। भगवान बोले – पार्वती यही तुम्हारे द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर है। जिन लोगो ने अपने घर का रख रखाव अच्छी तरह से किया है यानि सही कर्मों से अपने जीवन को सुंदर बना रखा है उन लोगों को दुःख कैसे हो सकता है।मनुष्य के जीवन में जो भी सुखी है वो अपने कर्मों के द्वारा सुखी है, और जो दुखी है वो अपने कर्मों के द्वारा दुखी है । इसलिए हर एक मनुष्य को अपने जीवन में ऐसे ही कर्म करने चाहिए की, जिससे इतनी मजबूत व खूबसूरत इमारत खड़ी हो कि कभी भी कोई भी उसकी एक ईंट भी निकालने न पाए।
केवल सकरात्मक सोच और निः स्वार्थ भावना की आवश्यकता है। इसलिए जीवन में हमेशा सही रास्ते का ही चयन करें और उसी पर चलें।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

Today,s Best Photo
❤❤❤❤❤❤❤





























Address

3/200, Sector-3, Vikas Nagar
Lucknow
226022

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Shri Hari posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Shri Hari:

Share

Category