05/04/2025
चीन के साथ तुलना करते हुए जो बात सोशल मीडिया पर इन दिनों सुनने को मिलती थी अब वो बात केंद्रीय मंत्री कह रहे हैं
चीन के EVs, सेमीकंडक्टर्स और ऑटोमेशन के मुकाबले भारतीय स्टार्टअप्स क्या कर रहे हैं? केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को खरी-खोटी सुनाई.
उन्होंने कहा:
👉🏽भारतीय स्टार्टअप्स को वास्तविकता को परखना होगा, प्रतिस्पर्धा से भाग नहीं सकते.
👉🏽चीनी स्टार्टअप्स EVs, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में आगे बढ़ रहे हैं. भारतीय स्टार्टअप्स सिर्फ फैंसी आइसक्रीम और कुकीज़ बना रहे हैं, क्या ये असली इनोवेशन है?
👉🏽10 मिनट में ग्रोसरी डिलीवरी जैसे मॉडल संसाधनों की बर्बादी हैं। भारतीय स्टार्टअप्स को सोचना होगा कि वे असल में क्या वैल्यू ऐड कर रहे हैं.
लेकिन ये तो वही भारतीय पेरेंट्स वाला रवैया है, "पड़ोसी के बच्चे को देखो, कितना आगे बढ़ गया!"
सवाल ये है कि क्या भारत में स्टार्टअप्स को वो बुनियादी सुविधाएँ मिली हैं जो चीन में दी गईं? क्या सरकार ने वैसा ही इकोसिस्टम बनाया, वही फंडिंग सपोर्ट दिया, वही लॉन्ग-टर्म पॉलिसी बनाई?
फंडिंग से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक, भारतीय स्टार्टअप्स कई समस्याओं से जूझ रहे हैं.
क्या सरकार पहले इन चुनौतियों का हल निकालने को तैयार है, या बस स्टार्टअप्स को डांटने से इनोवेशन हो जाएगा!!
ऐसा नहीं है कि भारतीय युवाओं के पास स्टार्टअप में नए इनोवेशन करने के लिए हुनर और प्रतिभा नहीं है.
भारत से पलायन करके यही भारतीय ,अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों में बहुत ही सफल स्टार्टअप की नींव डाले हैं और इनोवेशन भी कर रहे हैं.
अमेरिका के बहुचर्चित स्टार्टअप इकोसिस्टम का इंजन ही भारतीय मूल के लोग हैं.
और यह बातआकंड़ों से साबित भी होती है
एक स्टडी के अनुसार अमेरिका की 500 यूनिकॉर्न कंपनियों के 1,078 founder और co- founder में से 90 का जन्म भारत में हुआ है.
इसलिए मंत्री जी की बात कुछ हद तक तो सही है लेकिन सवाल घूम कर सरकार की नीतियों की तरफ ही आता है.
हमने चीन का टिक टॉक बैन करवा दिया नतीजा क्या हुआ, अमेरिकी कंपनी Meta और गूगल ने उसकी जगह ले ली.पहले चीन के पास डेटा था अब हमारा डेटा अमेरिका के पास है.
सरकार की नीतियों और सपोर्ट से इस तरह के प्लेटफॉर्म भारतीय स्टार्टअप बना ही सकते हैं.