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 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है                  आधुनिक साहित्य और रामविलास शर्मा - सुधा सिंह ...............................
21/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है

आधुनिक साहित्य और रामविलास शर्मा - सुधा सिंह ...................................

1858 ई. में मार्क्स ने यह निष्कर्ष निकाला कि अंग्रेज़ टैक्सों के जरिए जो रकम वसूल करते हैं, उसका कोई हिस्सा सार्वजनिक उपयोग के कामों पर (सिंचाई व्यवस्था आदि पर) खर्च नहीं किया जाता । रामविलास शर्मा ने मार्क्स के मूल्यांकन की रोशनी में लिखा, ‘अंग्रेज़ भारत के सामाजिक विकास के लिए आवश्यक सार्वजनिक उपयोग के कामों पर यहां की जनता से वसूल किया हुआ धन खर्च न कर रहे थे । अंग्रेज़ों ने भारत की लूट को सुगम बनाने के लिए यहां रेल-तार व्यवस्था क़ायम की । इस उपलब्धि का डंका डलहौज़ी ने पीटा था ।’7

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 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है  #उपन्यास              कुछ दिन और -  मंज़ूर एहतेशाम ...............................मैं ड्र...
21/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है #उपन्यास

कुछ दिन और - मंज़ूर एहतेशाम ...............................

मैं ड्राइंगरूम में बैठी रिज़्वी से कुछ बात कर रही थी। कुछ उसने कहा था, जिस पर मुझे हँसी आ गई थी। तभी बाहर कम्पाउंड में राजू की कार आकर रुकी थी और वह ड्राइंगरूम में आए थे। मेरी नज़रें उनसे केवल पल-भर को मिली थीं, लेकिन वह पल राजू की आँखों में आए भाव को देखने के लिए काफ़ी था। वह वही नज़रें थीं जिनसे राजू ने मुझे हमारी शादी की पहली रात तौला था।
‘हैलो!’ उन्होंने आगे बढ़कर रिज़्वी से हाथ मिलाया था और फिर उन दोनों को बात करता छोड़ मैं अन्दर चली गई थी।

कुछ दिन और निराशा के नहीं, आशा के भँवर में डूबते चले जाने कि कहानी है - एक अंधी आशा, जिसके पास न कोई तर्क है, न कोई तंत्र;...

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है  #पत्रिका  #रवि_कुमार  #याद              बनास जन अंक 33......................................
21/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है #पत्रिका #रवि_कुमार #याद

बनास जन अंक 33...................................

भूख के बारे में शब्दों की जुगाली
साफ़बयानी नहीं हो सकती
भूख पर नहीं लिखी जा सकती
कोई शिष्ट कविता
भूख जो कि कविता नहीं कर सकती
उल्टी पड़ी डेगचियों
या ठण्डे चूल्हों की राख में कहीं
पैदा होती है शायद
फिर खाली डिब्बों को टटोलती हुई
दबे पाँव/पेट में उतर जाती है
भूख के बारे में कुछ खास नहीं कहा जा सकता
वह न्यूयॉर्क की
गगनचुंबी ईमारतों से भी ऊँची हो सकती है

पढ़िए भूख एक बेबाक बयान है

रवि कुमार की याद

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है  #लघु  #उपन्यास          उपकारलेखक  - सैयद कासिम अली 'साहित्यालंकार' ........................
20/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है #लघु #उपन्यास

उपकार
लेखक - सैयद कासिम अली 'साहित्यालंकार' ...................................

उसके शरीर पर बड़ा ओवरकोट, बास्कट, हल्के रंग की पतलून सफेद कॉलर, कफ़ और टोपी जिस पर ब्रुश किया हुआ था, पास पड़ी थी । मुट्ठियाँ बन्द थीं, हाथ बाहर की ओर थे। इस लाश को देखकर भयानक भय और आश्चर्य होता था। इसके पहले मैंने कई लाशें देखी थीं परन्तु उनसे ऐसा डरावना दृश्य कभी नहीं देखा, जैसा इस लाश को देखकर मुझे भय - सा लगा। 'खान' लाश का अवलोकन करने लगा और ख़ून के दाग़ों पर वाद-विवाद करते हुए दोनों भेदी पुरुषों से कहने लगा कि इसे कोई जख्म तो पहुँचा नहीं है। दोनों ने एक स्वर में कहा- "नहीं" तो यह ख़ून कत्ल करने वाले का है। बशर्ते कि कत्ल यहीं पर हुआ हो। मुझे सन् 1834 ई. की वह घटना जो मद्रास में हुई थी का स्मरण हो रहा है। क्या आप लोगों को मालूम है ?

उपन्यास ‘उपकार’ सैयद कासिम अली का लिखा हुआ एक लघुकाय उपन्यास है जो सर्वप्रथम 1941 में प्रकाशित हुआ था । यह वह समय था ज.....

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है  #इंटरनेशनल_अफेयर            रूस - यूक्रेन युद्ध 2022 - डॉ. अवधेश प्रसाद सिंह................
20/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है #इंटरनेशनल_अफेयर

रूस - यूक्रेन युद्ध 2022 - डॉ. अवधेश प्रसाद सिंह...................................

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पश्चिमी यूरोप आर्थिक दृष्टि से काफ़ी कमज़ोर हो गया था। युद्ध में भारी नुक़सान होने के कारण यूरोप सैन्य रूप से भी कमजोर था। इसके विपरीत सोवियत संघ मध्य एवं पूर्वी यूरोप के सभी राज्यों में अपनी सेना का प्रभुत्व जमाने लगा था।

पढ़िए नाटो के प्रति रूस की खीझ

इस पुस्तक में रुस और यूक्रेन के हज़ारों वर्षों की साझी विरासत एवं इतिहास पर ब्योरेवार चर्चा के आलोक में यूक्रेन पर...

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है                    आधी आबादी, अधूरा सफर - जाहिद खान...................................  पश...
19/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है

आधी आबादी, अधूरा सफर - जाहिद खान...................................

पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में जातीय पंचायत के आदेश पर हाल ही में एक आदिवासी लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। राज्य के आदिवासी इलाके में घटी इस हृदयविदारक घटना ने हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ जिले की महिला मुख्तारन बीबी से हुए उस अत्याचार की याद दिला दी, जिनसे इसी तरह साल 2002 में पंचायत के निर्णय पर सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस बर्बरतापूर्ण घटना की जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है। जातीय पंचायत का यह फैसला, हमारे समूचे सत्ता-तंत्र और समाज पर सवालिया निशाना लगाता है। किसी भी सभ्य समाज में इस तरह की घटना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए, तुरंत राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। पीठ ने बीरभूम जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वह घटनास्थल का दौरा करें और एक हफ्ते के भीतर शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट दायर करें। अपराध की जघन्यता को देखते हुए यह जरूरी भी था।

पढ़िए इज्जत के नाम पर !

साथियों, किताब को मैंने सात अलग-अलग हिस्सों में बांटा है। मसलन ‘अन्याय, अपमान और शोषण के अनेक किस्से’, ‘लैंगिक असमा....

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है  #उपन्यास  #बहुचर्चित             आख़िरी छलांग - शिवमूर्ति  .................................
18/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है #उपन्यास #बहुचर्चित

आख़िरी छलांग - शिवमूर्ति ...................................

पहलवान सोचने लगे जाने कितने युग बीत गये किसानों को अपने घर से दलिद्दर भगाने का जतन करते हुये। लेकिन दलिद्दर है कि जाने का नाम नहीं ले रहा। ऐश्वर्य के आने की बात तो दूर रही। हथेली की सूरती को दूसरी हथेली से पीटते हुये उन्होंने सूपों की ढप्प-ढप्प में अपना सुर मिलाया और उदास हो गये। पिछले कई वर्षों में दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए किए गए अपने निष्फल प्रयासों को याद करते हुए उन्होंने सोचा कि किसान और दरिद्रता का जन्म-जन्म का यह साथ क्या कभी छूट सकेगा? यह गठबंधन कभी टूट सकेगा?
सचमुच, क्या है किसान की ज़िन्दगी ? एक कोना ढाँकिए तो दूसरा उघार हो जाता है। बचपन में स्कूल के दिनों में कहाँ पता था कि कितने गाढ़े में ज़िन्दगी कटने वाली है।

ISBN : "978-81-933359-2-5" उपन्यास रचना में भी शिवमूर्ति का हस्तक्षेप उल्लेखनीय है. आत्महत्या करते किसानों की सचाइयां बताता है आख....

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है                    उर्दू के अज़ीम शायर - विजय गुप्त ...................................  ह...
17/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है

उर्दू के अज़ीम शायर - विजय गुप्त ...................................

हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए-बयाँ और
इस अन्दाज़ ने उर्दू शायरी को अप्रतिम ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया। उनकी बिम्ब-योजना, रूपक, काव्य-कौशल और अपूर्व कल्पना-शक्ति साहित्य-संसार के लिए एकदम नयी, रोमांचक और रहस्य भरी थी। काव्य-रसिक जैसे-जैसे मिर्ज़ा के रचना-संसार में डूबते गये, वैसे-वैसे वे सोना- चांदी- माणिक- मुक्ता से मालामाल होते चले गये। अल्लामा इक़बाल उन्हें ‘गेटे’ के समकक्ष मानते थे। उनके शिष्यों और चाहने वालों में महाकवि के प्रति इतना सम्मान और प्यार था कि उनकी नामौजूदगी में भी वे उनके अशआर और क़ब्र पर नतमस्तक होते रहे।

उर्दू शायरों पर केंद्रित

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है            सामाजिक क्रान्ति की योद्धा सावित्रीबाई फुले - डॉ. सिद्धार्थ.......................
17/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है

सामाजिक क्रान्ति की योद्धा सावित्रीबाई फुले - डॉ. सिद्धार्थ...................................

डॉ. आंबेडकर ने अपनी किताब ‘हिन्दू नारी का उत्थान और पतन’ और ‘प्राचीन भारत में क्रान्ति और प्रतिक्रांति’ में विस्तार से इसकी चर्चा की है कि ब्राह्मणवादी-मनुवादी विचारधारा में स्त्रियों के लिए क्या स्थान है। आंबेडकर अपनी किताब ‘हिन्दू नारी का उत्थान और पतन’ में हिन्दू संस्कृति और धर्मग्रंथों को हिन्दू नारी की अधोगति का कारण मानते हैं। साथ ही बौद्ध धर्म की उस परम्परा की चर्चा करते हैं, जिसमें स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त था। हिन्दू जीवन को संचालित करने वाली स्मृतियों में स्त्रियों के लिए दिए गए आदेशों का विस्तार से उल्लेख करते हैं। मनुस्मृति का पुरुषों के लिए आदेश है कि–
अस्वतंत्रताः स्त्रियः कार्याः पुरुषौः स्वैर्दिवानिशं।
विषयेषु च सज्ज्न्त्यः संस्थाप्यात्मनों वशे।।
(अर्थात् पुरुषों को अपने घर की सभी महिलाओं को चौबीस घंटे नियंत्रण में रखना चाहिए और विषयासक्त स्त्रियों को तो विशेष रूप में वश में करके रखना चाहिए।)

सावित्रीबाई फुले के बारे में पढ़ते हुए और उनकी कविताओं, भाषण और पत्रों का अध्ययन करते हुए जो भाव और विचार मनो-मस्ति....

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है            जनसंचार माध्‍यम और सांस्‍कृतिक विमर्श - जवरीमल्‍ल पारख ...........................
17/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है

जनसंचार माध्‍यम और सांस्‍कृतिक विमर्श - जवरीमल्‍ल पारख ...................................

सांस्कृतिक संप्रेषण के तीन पहलुओं का उल्लेख जॉन वी. थांपसन ने किया है :
1. संप्रेषण का तकनीकी माध्यम;
2. संप्रेषण के संस्थागत साधन; और
3. संप्रेषण में शामिल देश-काल अंतराल;

तीकात्मक रूपों के विनिमय में ये तीनों पहलू अलग-अलग ढंग से और अलग-अलग स्तरों पर जरूर शामिल होते हैं। जनसंचार का जैसे-जैसे विकास होता है इन पहलुओं के साथ नए-नए रूप जुड़ते जाते हैं और उनको नया महत्व मिलता जाता है। वे अलग-अलग रूपों में प्रतीकात्मक रूपों के निर्माण, उपभोगीकरण और प्रसार का विस्तार करने में भूमिका निभाते हैं (वही, पृ. 165)। संचार का तकनीकी माध्यम प्रतीकात्मक रूपों का आधार होता है।

पुस्तक में जनसंचार माध्यमों की ताकत उसका संस्थागत रूप राजनीतिक अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ में जनसंचार माध्यम उन प....

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है  #पत्रिका          आकार 71................................... तेजी से मैंने देश भर के साहि...
17/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है #पत्रिका

आकार 71...................................

तेजी से मैंने देश भर के साहित्यकारों को पत्र लिखा। लोगों से बात कर उनके आने की स्वीकृति ली। ‘स्मृति-ग्रंथ’के लिए लोगों से आलेख देने का अनुरोध किया तो सभी का एक ही उत्तर - ‘सामग्री उपलब्ध करायें तब न लिखूँ।’

पढ़िए वीरेन नंदा का आलेख अयोध्या प्रसाद खत्री के आयोजन की स्याह परछाइयाँ

विचारशीलता और बौद्धिक हस्तक्षेप का उपक्रम

 #नॉटनल  #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है  #पत्रिका             वर्धा डायरी अंक 13................................... तीस्ता का स्वच...
15/11/2025

#नॉटनल #पढ़ना_ही_ज़िंदगी_है #पत्रिका

वर्धा डायरी अंक 13...................................

तीस्ता का स्वच्छ अतीत
कुछ दशक पहले तक तीस्ता का पानी क्रिस्टल की तरह साफ़ होता था । स्थानीय लोग कहते हैं तीस्ता के जल में आकाश झलकता था । इसके कि नारों पर जड़ी - बूटियाँ, देवदार के जंगल, और बर्फ की चादरें इसके सौंदर्य को चार गुना कर देती थीं । यह नदी केवल जलस्रोत नहीं, सिक्किम की संस्कृति का हिस्सा थी लोकगीतों, त्योहारों और धार्मिक परंपराओं में तीस्ता की महिमा गाई जाती थी.

पढ़िए अंकिता पटेल का आलेख नदियों के उद्गम स्थल पर संकट: उत्तर सिक्किम की तीस्ता से सबक

लुप्त होती नदियाँ, संकट में सभ्यता

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