आएगा तो योगी ही

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तो ये कारण था 👇जगदीप धनखड़ धोखेबाज निकले ?पीछे से विपक्ष की पिच पर खेलने लगे थे धनखड़ साहब ?केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा के...
24/07/2025

तो ये कारण था 👇
जगदीप धनखड़ धोखेबाज निकले ?
पीछे से विपक्ष की पिच पर खेलने लगे थे धनखड़ साहब ?
केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग लेकर आई. केंद्र सरकार की योजना थी कि लोकसभा स्पीकर की अगुवाई में जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया होगी और ये कार्य केंद्र सरकार करेगी
तभी राज्यसभा में वो हुआ, जिसने भाजपा, केंद्र सरकार को हिला दिया. VP धनखड़ साहब ने अचानक से राज्यसभा में जस्टिस वर्मा के ख़िलाफ़ विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग के नोटिस को स्वीकार कर लिया. इस नोटिस पर 63 सांसदों के साइन थे और ये सभी सांसद विपक्ष के थे. धनखड़ साहब ने ये सब तब किया, जब राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा और वरिष्ठ मंत्री अनुपस्थित थे. सिर्फ क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और जी किशन रेड्डी थे
जैसे ही धनखड़ साहब ने विपक्ष का प्रस्ताव स्वीकार किया, मेघवाल और रेड्डी के चेहरे की हवाइयां उड़ गई. दरअसल VP साहब ने केंद्र को बताए बिना विपक्ष का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था. केंद्र सरकार जहां जहां लोकसभा में प्रस्ताव लाकर जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया का नेतृत्व कर न्यायिक सुधार की बड़ी मिसाल पेश करने जा रही थी, तभी धनखड़ साहब ने राज्यसभा के माध्यम से इसमें विपक्ष की भी एंट्री करा दी. केंद्र के सूत्रों की मानें तो ये सब जस्टिस वर्मा को बचाने की योजना का हिस्सा था क्योंकि विपक्ष के कई नेता जस्टिस वर्मा को हटाने के विरोध में बोल चुके थे
जो धनखड़ साहब मीडिया के सामने न्यायिक गंदगी के खिलाफ हुंकार भर रहे थे, वही धनखड़ साहब राज्यसभा में विपक्ष के एजेंडे को बढ़ाकर जस्टिस वर्मा को बचाने की प्रक्रिया का हिस्सा बन गए थे
इसके साथ ही विपक्ष प्रयागराज हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव को हटाने के लिए महाभियोग लाने जा रहा था, जिन्होंने VHP के कार्यक्रम में कहा था कि यह देश कठमुल्लों से नहीं चलेगा. VP धनखड़ साहब विपक्ष के इस प्रस्ताव को स्वीकार करने को तैयार हो गए थे. मंगलवार को विपक्ष का यह प्रस्ताव आना था. केंद्र की इसकी कोई जानकारी नहीं थी
इसका अर्थ यह हुआ कि जो केंद्र सरकार लोकसभा के माध्यम से जस्टिस वर्मा को हटाने जा रही थी, धनखड़ साहब ने राज्यसभा के माध्यम से उसमें विपक्ष को शामिल कर जस्टिस वर्मा को बचाने की पिच तैयार कर दी थी
वहीं जो केंद्र सरकार जस्टिस शेखर यादव को बचाने में लगी थी, धनखड़ साहब केंद्र को बताए बिना विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार कर जस्टिस यादव को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने वाले थे
अर्थात धनखड़ साहब विपक्ष की उस प्रक्रिया का हिस्सा बन गए थे, जिसके तहत नोटों के बोरे के मामले में फंसे जस्टिस वर्मा को बचाया जाना था और संघ के आनुवांशिक संगठन VHP के मंच से हिंदुत्व की हुंकार भरने वाले जस्टिस शेखर यादव को हटाया जाना था
और ये उस भाजपा की सरकार में किए जाने का षड्यंत्र था, जो भाजपा RSS का ही आनुवंशिक संगठन है
सोचिए कि ये RSS, BJP, VHP और PM मोदी के लिए कितनी शर्म की बात होती कि VHP के मंच से हिंदुत्व की बात करने वाले जज को BJP की सरकार में विपक्ष द्वारा BJP के बनाए उपराष्ट्रपति के सहयोग से हटा दिया जाता ?
यही कारण था कि विपक्ष पिछले दो-तीन महीने से आक्रामक था क्योंकि राज्यसभा के सभापति शायद उनके अपने हो चुके थे. संभवतः विपक्ष की योजना थी कि राज्यसभा में केंद्र सरकार के बिल रोके जाएंगे, सरकार को राष्ट्र के सामने शर्मशार किया जाएगा
सरकार को समय रहते इसकी भनक लग गई. इसके बाद राजनाथ सिंह के कार्यालय में 10-10 के ग्रुप में NDA के सांसद बुलाए गए और कोरे कागज पर साइन कराए. ये साइन उस स्थिति के लिए थे कि अगर धनखड़ साहब नहीं माने तो उन्हें सरकार महाभियोग लाकर हटा देगी
इसके बाद रात 8 बजे के बाद धनखड़ साहब को एल कॉल गया. कॉल पर बहस हुई, धनखड़ साहब को संदेश दिया गया कि सांसदों के साइन हो चुके हैं. अब आपको तय करना है. इसके बाद धनखड़ साहब ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफ़ा दे दिया.
जो विपक्ष धनखड़ साहब को झुकी कमर, संघी जाट, लोकतंत्र का भक्षक बता रहा था, उनके इस्तीफे पर वही विपक्ष उन्हें लोकतंत्र का रक्षक बताते हुए रुदन कर रहा है
और जिन PM मोदी ने हामिद अंसारी जैसे PFI समर्थक उपराष्ट्रपति की विदाई पर उनके सम्मान में भाषण दिया था, ग़ुलाम नबी आज़ाद की विदाई पर भावुक हो गए थे
उन PM मोदी ने धनखड़ साहब की विदाई पर सिर्फ़ ये लिखा कि उन्हें बहुत से बड़े पदों पर काम करने का मौक़ा मिला है, वो जल्दी स्वस्थ हों. PM ने न तो धनखड़ साहब के योगदान की सराहना की और न कुछ ज़्यादा लिखा. PM के अलावा BJP के किसी नेता ने धनखड़ साहब के इस्तीफे पर एक शब्द तक नहीं लिखा है.
इससे आप समझ सकते हैं कि केंद्र सरकार धनखड़ साहब से पीछा छूटने पर राहत महसूस कर रही है क्योंकि केंद्र को लगता है कि
धनखड़ साहब तो शायद धोखा दे रहे थे
अब भाजपा को शायद समझ आ जाए कि जब किसी नेता को निर्णायक जिम्मेदारी दी जाए तो उसका बैकग्राउंड RSS का हो न कि किराए का आयातित नेता
भाजपा ने दूसरे दलों से जितने भी आयातित किए हैं, उसमें 80% से अधिक या तो नकारा हैं या फिर एक समय पर धोखा दे गए हैं
‘बहुत सरल हूं’

23/07/2025
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क्या आप भी कन्हैया लाल पे बनी फिल्म देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं
22/07/2025

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22/07/2025
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खाली बोतल्स से कर दिया कमाल

मैं न तन हूँ, न मन हूँ, न ही अहंकार,ना मोह की डोरी, न बंधन जाल अपार।ना द्वेष, न क्रोध, न माया का भ्रम,मैं तो शुद्ध चैतन्...
21/06/2025

मैं न तन हूँ, न मन हूँ, न ही अहंकार,
ना मोह की डोरी, न बंधन जाल अपार।
ना द्वेष, न क्रोध, न माया का भ्रम,
मैं तो शुद्ध चैतन्य — शिवोऽहम्, शिवोऽहम्॥

ना जन्म की गाथा, न मरण की कहानी,
ना कोई जात, न रूप या निशानी।
ना मैं सुख-दुख का बंधनधारी भ्रम,
मैं तो आत्मा हूँ — शिवोऽहम्, शिवोऽहम्॥

ना मैं पूजा, न माला, न मंदिर का दीप,
ना साधना की सीमा, न कोई संकल्प-तीर्थ।
मैं अनहद नाद में लय होता हरदम,
मैं वही नादब्रह्म — शिवोऽहम्, शिवोऽहम्॥

हिमगिरि के शिखर पर जो ध्यानमग्न है,
जो प्रलय और सृजन में भी सम है।
जो त्रिकाल से परे, जो अद्वैत परम,
वो मैं ही हूँ भीतर — शिवोऽहम्, शिवोऽहम्॥

ना राग, न द्वेष, न पाप, न पुण्य,
ना कर्म बंधन, ना जीवन-अनुक्रम।
जो मुक्त है सबसे, जो निर्गुण ब्रह्म,
मैं वही चेतना — शिवोऽहम्, शिवोऽहम्॥

10/05/2025

जो लोग यहाँ बैठकर भारतीय टीवी चैनल के उन्मादी प्रसारण पर विरोध जता रहे हैं, उन्हें शायद यह नहीं पता है कि पाकिस्तान के चैनल्स के हिसाब से पाकिस्तान दिल्ली तक चढ़ चुकी है और दिल्ली वाले दिल दिल पाकिस्तान गा रहे हैं।

लोगों को इतना भी सेंस नहीं है कि जब युद्ध चल रहा होता है तो दोनों पक्ष के जनबल और अस्त्र शस्त्र का नुक़सान होता है। लेकिन युद्ध के समय केवल और केवल शत्रु पक्ष के कितने लोगों का सफाया हुआ, यह गिना जाता है।

कल्पना करिए कि युद्ध चल रहा हो और खबर आए कि आपके अपने ही पक्ष के इतने जहाज गिरा दिए गए। आपका पायलट शहीद हो गया, तो उस समय देश की जनता में कैसा पैनिक उत्पन्न होगा?

युद्ध केवल सीमा पर सेना नहीं लड़ती। उस लड़ाई के पीछे सरकार होती है और सरकार के पीछे जनता। जनसमर्थन से सरकार सैनिकों के साथ खड़ी रहती है। इसलिए बीच युद्ध के दौरान ही सत्य के पुजारी न बनें। सबको पता है कि ऐसे समय में हमारा भी कुछ न कुछ नुकसान हुआ होगा, पर वह बाद में गिना जाएगा।
आपकी लड़ाई एक ऐसे देश से है जो तीन तीन युद्ध हारने के बावजूद उन युद्धों का मेडल अपने सीने पर लगाये घूमती है। उनके 90% जनता के मुंह से निकलता है कि हमारे अंदर जज्बा है, हमने ही सब जंगे जीती हैं। वह सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कहते हैं कि हमें कुछ नहीं हुआ, एयर स्ट्राइक के बाद कहते हैं कि कौवे मरे हैं। आप उनसे कल्पना करते हैं कि भारत ने उनके सैन्य प्रतिष्ठानों पर जो कल रात हमला किया है उसकी 4K क्वालिटी में रिकॉर्डिंग करके आपको दिखाने आयेंगे?
पाकिस्तान की कब क्या स्थिति है, उसको समझने के लिए अपना दिमाग़ खुला रखिए। जब पाकिस्तान के हिंदुस्तान में रहने वाले एसेट ये कहें कि भारत हमला क्यों नहीं कर रहा? इसका मतलब पाकिस्तान तैयारी करके बैठा है और जैसे ही ये चिल्लाने लगे कि युद्ध ग़लत है, युद्धोन्माद में देश जा रहा है, ऐसा नहीं होना चाहिए, इसका मतलब युद्ध आपके पक्ष में है।
खैर गलती हमारे भारतीय लोगों की भी नहीं है, भारतीय व्यक्ति पाकिस्तान को हराने का तो सामर्थ्य रखता है लेकिन उस स्तर की कमीनगी कर पाना असंभव सा है। इसलिए युद्ध के दौरान केवल एक गुण काम का है और वह है उन्माद।

सूचना युद्ध में, धारणा (Perception) ही युद्ध का मैदान है।

अगर खबर पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाती है - सच हो या झूठ - तो उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करें। उसे पोस्ट करें। उसे शेयर करें। उसे वायरल करें। सीमा पार दहशत फैलने दें।

अगर खबर भारत को नुकसान पहुंचाती है - भले ही सच हो - तो उसे दफना दें। उसे दबा दें। फैलने से पहले उसे निरस्त्र कर दें।

यह पत्रकारिता नहीं है। यह युद्ध है। मनोवैज्ञानिक युद्ध मायने रखता है।

हर पोस्ट एक गोली है।

अपने देश पर कभी गोली मत चलाओ।

25/03/2025

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