Global Bharatvarsh

Global Bharatvarsh यहाँ नही तो कहीं नहीं

इल्ज़ाम लगाने में हमें यकीन नहीं, पर हम किसी को छोड़ते भी नहीं। सिस्टम हो या सियासत सबकी चूलें हिलाते हैं हम। खबरों के बाजार में हमेशा चर्चित रहते हैं हम। बेदम खबरें कभी नहीं और सच से मुंह कभी मोड़ा ही नहीं। आवाम की आवाज हैं हम। नो प्रोपेगंडा, टोटल समाचार इज अवर एजेंडा

15/08/2025

ए पी सेन गर्ल्स इंटर कॉलेज में राज्य सूचना आयुक्त
डॉ दिलीप अग्निहोत्री ने फहराया राष्ट्रीय ध्वज

आज़ादी – केवल एक दिन नहीं, एक सोच हैआज़ादी सिर्फ एक दिन की नहीं होती – यह सोच की होनी चाहिए। हम सब भारत हैं – और मेरा दे...
14/08/2025

आज़ादी – केवल एक दिन नहीं, एक सोच है

आज़ादी सिर्फ एक दिन की नहीं होती – यह सोच की होनी चाहिए। हम सब भारत हैं – और मेरा देश, मेरी ज़िम्मेदारी है, खुश रहने वाला समाज ही सशक्त भारत बनाता है, आज़ादी के 77 साल बाद – मैं अपने देश से क्या अपेक्षा रखता हूँ और क्या योगदान दे सकता हूँ?" ये भाव होना चाहिए। देश सिर्फ नक्शे में खींची हुई सीमाएं नहीं होता, देश वो है जो हमारे भीतर धड़कता है –वो मिट्टी जिसकी महक से हमें सुकून मिलता है, वो संस्कृति जो हमें जोड़ती है, वो भाषाएं जो हमें अभिव्यक्त करना सिखाती हैं और वो लोग – जिनके सपनों से देश की पहचान बनती है। एक राष्ट्र, उसके नागरिकों की सोच, कर्म और संकल्पों से बनता है। यह केवल राजनेताओं या सैनिकों की नहीं, बल्कि हर आम व्यक्ति की ईमानदारी और समझदारी की कहानी है।
जिस तरह बीज से वृक्ष उगता है, उसी तरह सोच से बदलाव आता है। अगर हम अपनी सोच को राष्ट्रहित में मोड़ सकें,तो हमारे निर्णय, आदतें, और व्यवहार – देश को तरक्की की राह पर ले जा सकते हैं। सोच बदलते ही – कर्मचारी ईमानदारी से काम करता है, दुकानदार सही तोल और मूल्य देता है, युवा नए विचारों से राष्ट्र निर्माण करता है और ग्राहक लोकल ब्रांड्स को प्राथमिकता देता है। सोच बदलना ही असली क्रांति है। देश तभी आगे बढ़ेगा जब हर नागरिक अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाएगा। हर छोटे-बड़े काम का महत्व है – सफाईकर्मी से लेकर वैज्ञानिक तक। पेड़ लगाना, पानी बचाना, प्लास्टिक का कम उपयोग – ये सिर्फ पर्यावरण नहीं, देशभक्ति भी है। अपने टैक्स समय पर देना, वोट डालना, जनहित की नीतियों का समर्थन करना – ये सब जिम्मेदार नागरिक की पहचान हैं। ट्रैफिक सिग्नल हो या समय की पाबंदी – ये छोटी आदतें देश को एक व्यवस्थित राष्ट्र बनाती हैं। अगर आप पढ़े-लिखे हैं, तो एक बच्चे को पढ़ाएं। अगर आप स्किल्ड हैं, तो किसी को सिखाएं। देश के विकास में सबसे बड़ा निवेश – ज्ञान का फैलाव है। मेक इन इंडिया’ तभी सफल होगा जब हम लोकल ब्रांड्स, कारीगरों और स्टार्टअप्स को प्राथमिकता देंगे और व्यापारी अपने ग्राहकों को प्राथमिकता देगा। जाति, धर्म, भाषा – इन सबसे ऊपर उठकर जब हम एक-दूसरे को ‘भारतीय’ समझकर साथ चलते हैं, तभी देश मजबूत होता है।
मैं ही देश हूँ, मेरा परिवार, मेरी सोच और मेरा कर्म – सब देश हैं। अपने ऑफिस में सहयोग की भावना, अपने मोहल्ले में समझदारी, अपने परिवार में सम्मान – ये सब देश की ऊर्जा बनाते हैं। अगर आप सोचते हैं कि देश की स्थिति खराब है – तो पहला प्रश्न खुद से करें: क्या मैं देश के लिए ईमानदार हूं?
आज़ादी सिर्फ झंडा फहराने तक नहीं, ईमानदारी निभाने तक है। खुश रहने वाला नागरिक, एक खुशहाल राष्ट्र की नींव है। राष्ट्र निर्माण भाषणों से नहीं, नियमित कर्मों से होता है। सोच बदलो – देश बदलना तय है। 15 अगस्त केवल एक छुट्टी नहीं है। यह स्मरण है – उन अनगिनत बलिदानों का, और एक मौका है – अपने हिस्से का देश गढ़ने का। तो आइए, हम सब मिलकर कहें:
“मैं भारत हूँ – और मैं अपने कर्म से देश को ऊँचा बनाऊँगा।” 🇮🇳 जय हिंद | वंदे मातरम् |

14/08/2025

विभाजन विभीषिका दिवस
डॉ दिलीप अग्निहोत्री

07/08/2025
अर्थतंत्रडॉ दिलीप अग्निहोत्री तुम्हारी वाणी में था धर्म प्रवचनलेकिन मन मस्तिष्कआचरण व्यवहार मेंमात्र अर्थतंत्र।इसी से प्...
07/08/2025

अर्थतंत्र

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

तुम्हारी वाणी में था धर्म प्रवचन
लेकिन मन मस्तिष्क
आचरण व्यवहार में
मात्र अर्थतंत्र।
इसी से प्रेरित कर्म,
शत्रु और मित्र का निर्धारण।
विश्वासघात में नहीं कोई संकोच।
देखा हमने हतप्रभ।
प्रभुता का असर।
अहंकार प्रबल।
नया अनुभव।
तंत्र में सब यंत्रवत।
स्वार्थ सिद्ध संकल्प।।

25/07/2025

जन सूचना प्रति सजगता

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

बचपना ही खुशियों भरे जीवन का सार लेखक धीरज मिश्रादोस्तों,आज हम बात करेंगे उस अनमोल रत्न की, जो हमारे भीतर छुपा होता है, ...
24/07/2025

बचपना ही खुशियों भरे जीवन का सार

लेखक धीरज मिश्रा

दोस्तों,

आज हम बात करेंगे उस अनमोल रत्न की, जो हमारे भीतर छुपा होता है, पर बड़े होते-होते कहीं खो जाता है जिसे बचपना कहते हैं। बचपना जीवन जीने की एक कला है और इस कला को जो समझ गया निभा गया उसका जीवन सफल, बचपना एक व्यवहार है जो मनुष्य के प्रत्येक पहलू को छूता हुआ सफलता के स्वाद चखाता हुआ आपके जीवन को सफल बनाता है,

बचपन एक जीवनकाल की अवस्था है जहां पर बच्चा उम्र के एक पड़ाव में होता है, अनुभव कम होते हैं वही बचपना उम्र के प्रत्येक पड़ाव पर छाप छोड़ता है क्योंकि यह एक व्यवहार है, आमतौर पर हम बचपना को अपरिपक्वता से जोड़ते हैं, लेकिन जब यही बचपना संवेदनशीलता, निश्चलता और करुणा के रूप में व्यक्त हो तो यही मानवता का सबसे सुंदर रूप बन जाता है। कोई बात दिल पर लेना , तुरन्त रूठ जाना, फिर गले लग जाना, किसी के दुख पर रो पड़ना, किसी छोटे से उपहार में भी खुशी ढूंढ लेना, ये सारी बातें अगर किसी बुजुर्ग में हों तो जीवन जटिलता के बजाय सरल हो जाए, अगर यही बचपना हमारे किशोरों में संवेदना बनकर रहे, युवाओं में अहंकार की जगह अपनापन बन जाए, तो ये दुनिया और भी सुंदर हो जाएगी।

बचपना वो पवित्र व्यवहार है जो आत्मा को सुरक्षित रखता है - बचपना माफ करना जानता है, सच्चा होता है, भावना की कद्र करता है, यह मासूमियत, सरलता, उत्साह और जिज्ञासा का भंडार होता है, बचपना वही श्रेष्ठ होता है जो अनुभव से संतुलित हो जाए, पर भोलेपन को न छोड़े, अतः बचपना संतुलन का कला भी है जो जिम्मेदारियों में भी मुस्कुराना जानता है, अनुभव से परिपक्व होते हुए भीतर से मासूम बने रहिए यही मानवता का श्रृंगार है, यही आत्मिक समृद्धि, जहाँ बचपना आत्मा का स्वाद है वहीं परिपक्वता उसका आभूषण, अतः यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि बचपना वो सरलता है जो जीवन के प्रत्येक राग-द्वेष, घृणा, क्रोध और सारी नकारात्मकता से दूर रखता है और खुशी के भंडार में आशियाना बना के रखता है।

हर इंसान के भीतर एक बच्चा छिपा होता है जो हँसना जानता है, माफ करना जानता है, और बिना शर्त प्यार करना जानता है। आज की तेज़ दौड़ती ज़िंदगी में हम बहुत कुछ बन जाते हैं —कोई प्रोफेशनल, कोई माता-पिता, कोई शिक्षक, कोई सलाहकार लेकिन इस दौड़ में जो सबसे पहले खोता है, वह है हमारा बचपना। अगर बचपना को समझदारी, अनुशासन और अनुभव के साथ संभाल लिया जाए, तो वही व्यक्ति जीवन में सबसे सुंदर और प्रभावशाली Personality बन जाता है इसीलिए बचपना सफलता की राह में एक बूस्टर का काम भी करता है, बचपना कोई कमजोरी नहीं, वह वो ईंधन है जो जीवन की ऊँचाइयों तक उड़ान भरने की शक्ति देता है। जब भी हम सफलता की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में अक्सर ऐसे शब्द आते हैं जो बचपन की ऊर्जा होते है—परिश्रम, अनुशासन, समय प्रबंधन, लक्ष्य, और धैर्य, बचपना कोई उम्र नहीं — वह तो सफलता की ओर ले जाने वाली मानसिक अवस्था है। जो बचपन की सरलता, सीखने की चाह, और गिरकर उठने का साहस बनाए रखता है, वही जीवन की सबसे बड़ी ऊँचाइयों को छूता है।

24/07/2025

शिव नाम स्मरण

शिवभोले मंदिर में स्थापना दिवस पर अनुष्ठानउपमुख्यमंत्री की पत्नी,रक्षामंत्री के विशेष कार्याधिकारी राज्य सूचना आयुक्त हु...
24/07/2025

शिवभोले मंदिर में स्थापना दिवस पर अनुष्ठान

उपमुख्यमंत्री की पत्नी,रक्षामंत्री के विशेष कार्याधिकारी राज्य सूचना आयुक्त हुए सहभागी

लखनऊ। इस समय सावन मास चल रहा है। भगवान भोलेनाथ का उद्घोष हो रहा है। इस पवन अवसर पर
विशाल खंड एक गोमतीनगर स्थित शिवभोले मंदिर स्थापना दिवस पर अनुष्ठान का आयोजन किया गया। यहां श्री लक्ष्मी गणेश और भगवान भोलेनाथ का विग्रह स्थापित है। इस मंदिर अपने मूल स्वरूप में कब स्थापित किया गया था,इसकी प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस स्थल पर एक चबूतरे पर शिवलिंग स्थापित थे। तब वहां मंदिर नहीं था। आस पास जंगली घास पौधे लगे थे। करीब चार दशक पहले स्थानीय लोगों ने इस स्थल और आस पास के क्षेत्र की सफाई की। इसके बाद यहां श्री हनुमान चालीसा और श्री राम चरित मानस से सामूहिक पाठ प्रारंभ किए गए। अगले कुछ वर्षों तक ऐसा ही चलता रहा। इसके बाद स्थानीय लोगों ने यह। मंदिर स्थापित किया। अब इसका स्वरूप बदल गया है। यहां धार्मिक पर्व उत्सवों पर अनुष्ठान और भंडारे का आयोजन किया जाता है। आज के अनुष्ठान में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक, रक्षामंत्री ने विशेष कार्याधिकारी डॉ राघवेंद्र शुक्ला,राज्य सूचना आयुक्त डॉ दिलीप अग्निहोत्री सहित बड़ी संख्य में भक्त सहभागी हुए। मंदिर ट्रस्ट की ओर से विनोद तिवारी ने आगंतुकों का स्वागत किया।

21/07/2025

सावन माह में शिव आराधना- डॉ दिलीप अग्निहोत्री

21/07/2025

योगी ने की पुष्प वर्षा

Address

Sector-6 Gomti Nagar Vistar
Lucknow
226010

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Global Bharatvarsh posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share