24/07/2025
बचपना ही खुशियों भरे जीवन का सार
लेखक धीरज मिश्रा
दोस्तों,
आज हम बात करेंगे उस अनमोल रत्न की, जो हमारे भीतर छुपा होता है, पर बड़े होते-होते कहीं खो जाता है जिसे बचपना कहते हैं। बचपना जीवन जीने की एक कला है और इस कला को जो समझ गया निभा गया उसका जीवन सफल, बचपना एक व्यवहार है जो मनुष्य के प्रत्येक पहलू को छूता हुआ सफलता के स्वाद चखाता हुआ आपके जीवन को सफल बनाता है,
बचपन एक जीवनकाल की अवस्था है जहां पर बच्चा उम्र के एक पड़ाव में होता है, अनुभव कम होते हैं वही बचपना उम्र के प्रत्येक पड़ाव पर छाप छोड़ता है क्योंकि यह एक व्यवहार है, आमतौर पर हम बचपना को अपरिपक्वता से जोड़ते हैं, लेकिन जब यही बचपना संवेदनशीलता, निश्चलता और करुणा के रूप में व्यक्त हो तो यही मानवता का सबसे सुंदर रूप बन जाता है। कोई बात दिल पर लेना , तुरन्त रूठ जाना, फिर गले लग जाना, किसी के दुख पर रो पड़ना, किसी छोटे से उपहार में भी खुशी ढूंढ लेना, ये सारी बातें अगर किसी बुजुर्ग में हों तो जीवन जटिलता के बजाय सरल हो जाए, अगर यही बचपना हमारे किशोरों में संवेदना बनकर रहे, युवाओं में अहंकार की जगह अपनापन बन जाए, तो ये दुनिया और भी सुंदर हो जाएगी।
बचपना वो पवित्र व्यवहार है जो आत्मा को सुरक्षित रखता है - बचपना माफ करना जानता है, सच्चा होता है, भावना की कद्र करता है, यह मासूमियत, सरलता, उत्साह और जिज्ञासा का भंडार होता है, बचपना वही श्रेष्ठ होता है जो अनुभव से संतुलित हो जाए, पर भोलेपन को न छोड़े, अतः बचपना संतुलन का कला भी है जो जिम्मेदारियों में भी मुस्कुराना जानता है, अनुभव से परिपक्व होते हुए भीतर से मासूम बने रहिए यही मानवता का श्रृंगार है, यही आत्मिक समृद्धि, जहाँ बचपना आत्मा का स्वाद है वहीं परिपक्वता उसका आभूषण, अतः यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि बचपना वो सरलता है जो जीवन के प्रत्येक राग-द्वेष, घृणा, क्रोध और सारी नकारात्मकता से दूर रखता है और खुशी के भंडार में आशियाना बना के रखता है।
हर इंसान के भीतर एक बच्चा छिपा होता है जो हँसना जानता है, माफ करना जानता है, और बिना शर्त प्यार करना जानता है। आज की तेज़ दौड़ती ज़िंदगी में हम बहुत कुछ बन जाते हैं —कोई प्रोफेशनल, कोई माता-पिता, कोई शिक्षक, कोई सलाहकार लेकिन इस दौड़ में जो सबसे पहले खोता है, वह है हमारा बचपना। अगर बचपना को समझदारी, अनुशासन और अनुभव के साथ संभाल लिया जाए, तो वही व्यक्ति जीवन में सबसे सुंदर और प्रभावशाली Personality बन जाता है इसीलिए बचपना सफलता की राह में एक बूस्टर का काम भी करता है, बचपना कोई कमजोरी नहीं, वह वो ईंधन है जो जीवन की ऊँचाइयों तक उड़ान भरने की शक्ति देता है। जब भी हम सफलता की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में अक्सर ऐसे शब्द आते हैं जो बचपन की ऊर्जा होते है—परिश्रम, अनुशासन, समय प्रबंधन, लक्ष्य, और धैर्य, बचपना कोई उम्र नहीं — वह तो सफलता की ओर ले जाने वाली मानसिक अवस्था है। जो बचपन की सरलता, सीखने की चाह, और गिरकर उठने का साहस बनाए रखता है, वही जीवन की सबसे बड़ी ऊँचाइयों को छूता है।