21/11/2025
Swami Dayanand Saraswati Rachit 'Satyarth Prakash' Mein Nihit Ashram-Vyavastha: Ek Darshanik Adhyayan by Dr Parveen Kumar (Author)
🌟𝐀𝐛𝐨𝐮𝐭 𝐭𝐡𝐞 𝐁𝐨𝐨𝐤:
स्वामी दयानंद सरस्वती रचित 'सत्यार्थ प्रकाश' में निहित आश्रम-व्यवस्था : एक दार्शनिक अध्ययन वर्तमान युग में बढ़ती समस्याओं के कारण, आधुनिकता की चकाचौंध में रहकर मनुष्य अत्यधिक परेशानी, तनाव से ग्रस्त हो गया है तथा शारीरिक व मानसिक रूप से दुर्बल हो गया है। अनेक प्रकार की चिंताओं से वह ग्रसित रहता है। व्यक्ति जीवन जीने की कला से अनभिज्ञ हो गया। इसके कारण 40 वर्ष तक किसी प्रकार वह अपना जीवन घसीटता है तत्पश्चात् तरह-तरह के रोगों से ग्रस्त टूटा-फूटा जीवन जीता है। हमारे देश में पहले आश्रम-व्यवस्था के अन्तर्गत शारीरिक विकास, मानसिक विकास व आत्मिक विकास तीनों प्रकार के विकास पर पूर्ण ध्यान दिया जाता था, लेकिन आजकल मात्र मानसिक विकास पर ही ध्यान दिया जाता है जिसके कारण वैज्ञानिक उन्नति, बौद्धिक उन्नति तो हुई परंतु शारीरिक स्वास्थ्य व चरित्र ये दोनों उपेक्षित पड़े रह गए हैं व विकृत हो रहे हैं। चरित्र की उन्नति न हो पाने से जो विज्ञान समाज के लिए वरदान होना चाहिए था, वह अभिशाप बनकर रह गया है। वह मानवता के विनाश के लिए परमाणु बम जैसे घातक हथियार, प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी विकराल समस्याएं उत्पन्न करता चला जा रहा है। इन सभी समस्याओं का मुख्य कारण है हमारी जीवन-शैली का गलत होना। हम किस प्रकार से जीवन जीते हैं, किन नियमों का पालन करते हैं? इन प्रश्नों का उत्तर ढूँढना अनिवार्य है। अगर हमें अपने जीवन को बेहतर बनाना है तो हमें अपनी जीवन जीने की शैली को भी बेहतर बनाना होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए और मनुष्य के जीवन को बेहतर बनाने व उसकी समस्याओं को थोड़ा-बहुत भी दूर कर सके तो अच्छा रहेगा। वैसे प्रत्येक मनुष्य बेहतर जीवन यापन करना चाहता है। प्राचीन काल से मनुष्य अपने जीवन को बेहतर बनाने में लगा है। मेरा विषय स्वामी दयानंद सरस्वती रचित ‘सत्यार्थ प्रकाश’ में निहित ‘आश्रम-व्यवस्था: एक दार्शनिक अध्ययन’ है, जिसमें स्वामी दयानंद ने जीवन जीने की कला का वर्णन किया है।
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