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अमृत ज्ञान गाथा – बुद्ध की शिक्षाओं से जीवन में शांति और सुख

जातक कथा बौद्ध धर्म साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सुत्त पिटक के अन्तर्गत खुद्धक निकाय नामक संग्रह में संकलित हैं। यह ग्रन्थ मूल रूप से पालि भाषा में लिखा गया है

25/07/2025

क्या आपने कभी सुना है कि तीन मछलियों ने एक ही खतरे को देखकर तीन अलग-अलग फैसले लिए और उसका नतीजा कितना अलग निकला?

यह जातक कथा हमें सिखाती है कि समय पर लिया गया सही फैसला ही सबसे बड़ी बुद्धिमानी होती है।

इस प्रेरणादायक कहानी में, वाराणसी के पास की एक नदी में तीन मछलियाँ रहती थीं ; बहुचिंति, अल्पचिंति और मितचिन्ती। एक दिन वह तीनों मछलियाँ बहकर एक बस्ती की नदी में आ जाती हैं, जहाँ मछुआरों का आना-जाना लगा रहता है। बुद्धिमान मछली ‘मितचिन्ती’ खतरे को पहचान लेती है और समय रहते लौट जाती है। बाकी दो मछलियाँ आलस और मस्ती में लगी रहती हैं but what happens next is a lesson for life.

जब मछुआरे आते हैं और जाल डालते हैं, तब मछलियाँ जाल में फँस जाती हैं और उन मछलियों को अपनी गलती का
अहसास होता है ।

इस कहानी से जानिए:

समय पर निर्णय क्यों ज़रूरी है
आलस और टालने की आदत का अंजाम क्या हो सकता है
बुद्धिमान वही है जो खतरे को पहले समझे
बुद्ध की शिक्षाओं से जुड़ी एक व्यवहारिक सीख

Story Telling By Anjali Soni

#जातककथाएं #बुद्धकथा

21/07/2025

क्या आपने कभी सुना है कि एक भूखे भेड़िए ने एक लालची आदमी को कैसे बेवकूफ़ बनाया? यह जातक कथा हमें सिखाती है कि बिना सोच-समझ के, लालच में लिया गया हर फैसला अंत में पछतावे की वजह बनता है।

इस प्रेरणादायक कहानी में, वाराणसी के एक त्योहार के दौरान एक भूखा भेड़िया शहर में घुस आता है और खूब खाना खाकर वहीं सो जाता है। सुबह जब वह जागता है, तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है क्योंकि चारों ओर पहरेदार होते हैं। तभी वह एक आदमी को सोने के सिक्कों का लालच देकर मदद मांगता है। आदमी लालच में आकर मान जाता है—but what happens next is a classic twist.

यह कहानी संयम, विवेक और जीवन में सही निर्णय लेने की सीख देती है।

#जातककथा #हिंदीकहानियाँ

14/07/2025

राजा, व्यापारी और मूर्ख अर्ध-कारक की अनोखी कहानी

वाराणसी के राजा ब्रह्मदत्त ने एक समझदार अर्ध-कारक की जगह एक मूर्ख और अनुभवहीन व्यक्ति को मूल्य निर्धारण का कार्य सौंप दिया। इस मूर्ख अर्ध-कारक ने 500 घोड़ों की कीमत मात्र एक तण्डुल नलिका — यानी एक मुट्ठी चावल के बराबर — तय कर दी। व्यापारी को भारी नुकसान हुआ, तो उसने पुराने ज्ञानी अर्ध-कारक की सलाह ली। जब व्यापारी ने दरबार में पूछा कि फिर एक तण्डुल नलिका की क्या कीमत है, तो वही अर्ध-कारक उसे पूरे राज्य के बराबर बताने लगा!

दरबार हँसी से गूंज उठा और राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने तुरंत उस मूर्ख को पद से हटाकर पुराने अर्ध-कारक को फिर से मूल्य निर्धारण की जिम्मेदारी सौंप दी।


#जातककथाएं

09/07/2025

क्या आप भी बिना सोचे निर्णय लेते हैं? लक्खण जातक से सीखें! | अमृत ज्ञान गाथा | Inspirational Story

लक्खण जातक एक प्रेरणादायक बौद्ध कथा है जो सिखाती है कि धैर्य, समझदारी और सही समय पर लिया गया निर्णय जीवन बदल सकता है। मगध के राजा के दो पुत्रों—लक्खण और काला—को हिरनों के झुंड का नेतृत्व सौंपा गया। काला ने जल्दबाज़ी में दिन में यात्रा की और कई हिरनों को खो दिया, जबकि लक्खण ने सोच-समझकर रात में यात्रा की और सभी को सुरक्षित पहुँचाया। राजा ने कहा, “बुद्धिमान वही है जो सही समय पर सही निर्णय ले।” यह कहानी बताती है कि जल्दबाज़ी विनाशकारी हो सकती है, जबकि धैर्य सफलता की कुंजी है।

इस कहानी और ऐसी ही अन्य कहानियों को YouTube पर सुनने के लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें।
https://youtu.be/AYBhJVa2yHs?si=ds349HWTGD3v1d1F

#जीवनकीसीख #नैतिककहानियाँ #हिंदीकहानियाँ #बौद्धशिक्षा #जातककथाएं #जातककथाएं

03/07/2025

इस मार्मिक बौद्ध जातक कहानी "समोद्धमान जातक" में छुपा है एक गहरा संदेश — "एकता में शक्ति है"। जानिए कैसे बटेरों का एक झुंड एकजुट होकर शिकारी के जाल से बचता है, लेकिन जैसे ही उनमें अहंकार और मतभेद आते हैं, वे असफल हो जाते हैं।

✨ यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों को भी जीवन में सहयोग, धैर्य और एकता की अहमियत सिखाती है।

📌 इस वीडियो में जानिए:

एकता की असली शक्ति

अहंकार कैसे विनाश लाता है

जीवन में सहयोग और धैर्य का महत्व

कहानी शुरू होती है एक शांत जंगल से, जहाँ बटेरों का एक झुंड रोज़ दाना चुगने खेतों में जाता है। लेकिन एक दिन एक शिकारी आता है और चालाकी से उन्हें जाल में फँसा लेता है। रोज़-रोज़ ऐसा होने लगता है। तभी एक बुद्धिमान बटेर सबको एक साथ मिलकर जाल उठाने की तरकीब बताता है। जब तक वे साथ रहे, बचते रहे। लेकिन जब आपसी मनमुटाव और मतभेद शुरू हुए, तो वे जाल उड़ाने में असफल रहे जिससे शिकारी ने उन्हें जाल में फँसा लिया ।
यह प्रेरणात्मक जातक कथा हमें सिखाती है कि सच्ची शक्ति एकता में है, और अहंकार विनाश की ओर ले जाता है। पूरी कहानी सुनिए और जानिए सहयोग और धैर्य से कैसे जीवन की रक्षा की जा सकती है।

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02/07/2025

क्या हर किसी को जिम्मेदारी सौंपना सही होता है? आरामदूसक जातक यह सिखाती है कि अच्छी नीयत के साथ भी अगर समझ न हो तो नुकसान हो सकता है। कहानी शुरू होती है एक खूबसूरत उपवन से, जिसे राजा ने बड़े प्रेम से सजाया था। उस बाग की देखभाल एक मेहनती माली करता था। एक दिन माली को गाँव जाना पड़ा, तो उसने उपवन की जिम्मेदारी कुछ बंदरों को दे दी।

बंदरों ने पूरी लगन से काम करने का वादा किया, पर उनकी सोच और तरीका बिल्कुल अलग था। क्या आप जानना चाहते हैं कि उनकी “नासमझी” ने उपवन के साथ क्या किया? कैसे उनका एक निर्णय विनाश का कारण बना?

यह जातक कथा हमें सिखाती है कि केवल नेक नीयत ही काफी नहीं, बल्कि विवेक, समझ और सही तरीका भी ज़रूरी है।अज्ञानता से की गई सेवा नुकसान पहुंचा सकती है। पूरी कहानी सुनिए और उससे शिक्षा प्राप्त कीजिए।

Is it always wise to give responsibility to anyone? The Arahmadusaka Jataka teaches that good intentions aren’t enough—understanding and wisdom are crucial.

A king had a beautiful garden, cared for by a diligent gardener. When the gardener had to leave, he left the garden in the monkeys’ hands. Though eager, the monkeys didn’t know how to care for plants. Their ignorance led to the garden’s ruin.This story reminds us: good intentions without the right knowledge can do more harm than good.

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28/06/2025

यह कहानी एक मृग की है जो सुनहरे रंग का था और जिसका नाम निग्रोध मृग था जिसने हमें त्याग, दया और धर्म का असली मतलब सिखाया। वाराणसी के राजा ब्रह्मदत्त को शिकार का बहुत शौक था। राजा हर दिन मृगों का शिकार करता, जिससे लोग परेशान हो गए। तो नगरवासियों ने अपनी सुझबूझ से बहुत सारे मृगों को बगीचे में एकत्र कर बंद कर दिया, जिससे राजा को मृग का मांस आहार में मिल सके। इन्हीं मृगों में एक था निग्रोध मृग, जो बहुत ही दयालु और समझदार था। जब एक दिन एक गर्भवती हिरणी की बारी आई मरने की, तो निग्रोध मृग ने अपने प्राण देकर उसकी जगह लेने का फैसला किया। जब राजा ने यह देखा, तो वह बहुत भावुक हो गया। राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने न सिर्फ उस मृग और हिरणी को, बल्कि सभी जानवरों, पक्षियों और जल में रहने वाले जीवों की भी हिंसा न करने का वचन दिया।

यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची करुणा ही सबसे बड़ी ताकत होती है और इसे अपनाकर कोई भी प्राणी महान बन सकता है।पूरी कहानी ज़रूर सुनें और जानिए, कैसे एक मृग ने एक राजा का दिल बदल दिया।

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28/06/2025

क्या सच्चा प्रेम बिना समझ के निभाया जा सकता है? क्या हर प्राणी, चाहे जितना भी प्यारा लगे, विश्वास के योग्य होता है? वेलुकजातकं एक ऐसी कथा है जो हमें भावनाओं और विवेक के बीच की पतली रेखा दिखाती है। यह कहानी है एक तपस्वी की और एक विषैले सर्प के बच्चे की, जिसे उसने पूरे प्रेम और स्नेह से पुत्र की तरह पाला। उसने उस सर्प को बांस की फोकी में सुलाया और नाम दिया वेलुक। तभी से वह तपस्वी “वेलुक पिता” कहलाने लगा। जब आश्रम के आचार्य ने उसे सावधान किया कि विषैले सर्प में विश्वास नहीं किया जा सकता, तब भी तपस्वी ने भावुक होकर कहा “यह मेरा पुत्र है, मैं इसके बिना नहीं रह सकता।” लेकिन समय बीतने के साथ, उसी वेलुक ने जब उसे दो दिन खाना नहीं मिला, अपने स्वभाव के वशीभूत हो तपस्वी को हाथ में डस लिया।

लेकिन जब प्यार अंधा हो जाए, और चेतावनियाँ अनसुनी रह जाएं तो क्या परिणाम होते हैं? यह कहानी केवल एक सर्प और तपस्वी की नहीं है। यह हम सब की भी है जो कभी-कभी सच्चे स्नेह के नाम पर सही-गलत की पहचान खो देते हैं। पूरी कथा सुनिए, और जानिए कैसे वैलुक पिता की भावना, उनका सबसे बड़ा निर्णय बन गया।

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26/06/2025

यह कथा सेरिव देश के दो व्यापारियों की है : एक लोभी और कपटी सेरिवा, और दूसरा सौम्य, ईमानदार और धर्मात्मा सुबोध। दोनों व्यापारी व्यापार हेतु अंधपुर जाते हैं। एक निर्धन वृद्धा और उसकी पोती के पास एक पुरानी थाली होती है, जो असल में सोने की होती है। सेरिवा उस थाली को तुच्छ बता कर ठुकरा देता है, पर सुबोध उसकी वास्तविक कीमत समझ कर ईमानदारी से उसका मूल्य चुकाता है। अंततः सुबोध पुण्य लाभ पाकर सुगति को प्राप्त होता है, जबकि सेरिवा लोभवश शोक में मृत्यु को प्राप्त होता है। यह कथा सिखाती है कि सच्चाई, धर्म और ईमानदारी का मार्ग ही अंतिम कल्याण का मार्ग है।

Author: Anjali Soni

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