
16/01/2025
संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत
चन्द्रोदय रात्रि 08:50 के वाद अर्घ दान
यह व्रत माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी को किया जाता है। इस वार संकष्टी गणेश चतुर्थी तिथि के दिन शुक्रवार का दिन मघा नक्षत्र दिवा 1:05 तक पश्चात् पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र भोग करेगी। सौभाग्य योग मिल रहा है अतः यह व्रत सर्वमंगलकारी है । इसी दिन बुद्धि- विद्या वारिधि गणेश तथा चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए । दिन भर व्रत रहने के बाद सायं काल चन्द्र दर्शन होने पर दूध का अर्घ देकर चन्द्रमा की बिधिवत पूजा की जाती है ।गौरी -गणेश की स्थापना करके पूजन करके तथा वर्ष भर उन्हें घर में रखा जाता है ।
नैवेद्य सामग्री,तिल,ईख,गंजी,अमरूद,गुड तथा घी से चन्दमा एवं गणेश जी को भोग लगाया जाता है । यह नैवेद्य रात्रि भर डलिया इत्यादि से ढंककर यथावत रख दिया जाता है, जिसे पहार कहते है ।
पुत्रवती मातायें पुत्र तथा पति की सुख समृद्धि के लिए व्रत रहती है। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उस ढंके हुए पहार को पुत्र ही खोलता है तथा भाई-बन्धुओं में वितरित करना चाहिए, जिससे आपस में प्रेम भावना स्थापित होता हैं ॥🌸🕉️🌺🌺🌹