18/09/2025
*हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर नियुक्त कंप्यूटर टीचरों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें नियमित करने के दिए आदेश*
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स के आधार पर नियुक्त कंप्यूटर शिक्षकों को बड़ी राहत प्रदान की है। न्यायाधीश सत्येन वैध ने मनोज कुमार शर्मा व अन्य शिक्षकों की ओर से दायर याचिकाओं को स्वीकारते हुए सरकार को आदेश दिए कि इन शिक्षकों को वर्ष 2016 से नियमित करे, क्योंकि याचिकाएं उसी वर्ष से दायर हुई हैं। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को 12 सप्ताह के भीतर संपूर्ण कार्यवाही पूरी करने के आदेश दिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सभी लाभों का पात्र भी बताया।
प्रदेश के स्कूलों में करीब 1,300 कंप्यूटर शिक्षक आउटसोर्स के आधार पर नियुक्त हैं। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता लंबे समय से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण अदालत को रिट क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल करना आवश्यक है। कोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए याचिका को स्वीकार किया। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता हिमाचल प्रदेश के सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में दो दशकों से अधिक समय से कंप्यूटर शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं। उन्हें स्वतंत्र एजेंसियों की ओर से नियोजित किया गया है, जो राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर स्कूलों में विषय पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए हैं।
25 साल पहले शुरू हो गई थी आउटसोर्स आधार पर भर्ती
प्रदेश में साल 2001-02 से आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से स्कूलों में आईटी शिक्षा शुरू हुई थी। लंबी सेवा के बावजूद ये शिक्षक नियमित नहीं हुए। नियमित किए गए पीटीए, जीवीयू और पीएटी शिक्षकों के साथ समानता का हवाला देते हुए कंप्यूटर शिक्षक नियमितीकरण की मांग करते रहे हैं। साल 2016 में राज्य ने पीजीटी (आईपी) के लिए एक संवर्ग बनाया और भर्ती नियमों में संशोधन कर पांच वर्ष का शिक्षण अनुभव शामिल किया। भर्ती शुरू की गई, लेकिन बाद में रद्द कर दी गई। 2024 में प्रवक्ता (कंप्यूटर विज्ञान) के 769 पदों के लिए नए अधियाचन भेजे गए, जिनमें अधिक आयु के याचिकाकर्ताओं को शामिल नहीं किया गया।