30/04/2025
क्या वाकई Dream11 में 1 करोड़ जीतना गर्व की बात है?
सीतामढ़ी के एक लोकप्रिय सोशल मीडिया पेज ने हाल ही में एक युवक के Dream11 में 1 करोड़ जीतने को संघर्ष, मेहनत और प्रेरणा की मिसाल बताते हुए पोस्ट किया। उस पोस्ट में जिस तरह से उस युवक की जीत को "माता-पिता के सपनों की पूर्ति" बताया गया, उसने एक गहरी चिंता खड़ी कर दी है। सवाल यह नहीं है कि किसी ने पैसे कमाए — सवाल यह है कि उसने किस रास्ते से कमाया और समाज को क्या संदेश दे गया।
Dream11 एक जुए की ही आधुनिक डिजिटल शक्ल है। इसे “मेहनत” या “लगन” का नाम देना सीधे-सीधे उन लाखों युवाओं का अपमान है जो दिन-रात पढ़ाई कर रहे हैं, मजदूरी कर रहे हैं, या अपने हुनर से समाज में कुछ ठोस बनाने की कोशिश कर रहे हैं। Dream11 में टीम बनाना, मैच का अनुमान लगाना, और करोड़ों में एक का जीत जाना — ये मेहनत नहीं, किस्मत और सट्टेबाज़ी का खेल है। इसे मेहनत की चादर ओढ़ाकर पेश करना, एक खतरनाक झूठ है, जो युवाओं को गुमराह करता है।
और सबसे दुखद बात ये है कि जब इस जुए को माता-पिता की कुर्बानी से जोड़ दिया जाता है — जैसे कि बेटे ने उनके संघर्ष का फल इस जीत के रूप में दिया — तो पूरी सामाजिक सोच पर सवाल खड़ा हो जाता है। क्या वाकई हम यही संदेश देना चाहते हैं कि माता-पिता की मेहनत और त्याग का असली फल एक डिजिटल सट्टे की जीत है? क्या संघर्ष का अर्थ अब मेहनत नहीं, बल्कि ‘किस्मत आज़माना’ रह गया है?
युवाओं को ये यकीन दिलाना कि वो भी Dream11 से करोड़पति बन सकते हैं, वैसा ही है जैसे किसी ने लॉटरी जीतकर कह दिया — “देखो मेहनत रंग लाई।” मगर सच्चाई ये है कि जीतने वाला एक होता है, और हारने वाले लाखों। कोई नहीं दिखाता उन युवाओं की कहानियाँ, जिन्होंने पढ़ाई छोड़ी, कर्ज़ लिया, रिश्ते बिगाड़े — बस Dream11 पर भरोसा करके।
ये लत केवल आर्थिक नुकसान नहीं करती, बल्कि मानसिक रूप से भी तोड़ देती है। हर मैच एक जुआ बन जाता है। हर बॉल पर दिल की धड़कनें तेज़ होती हैं, और हर हार के साथ आत्मविश्वास गिरता है। घर का पैसा, समय, और मानसिक शांति — सब कुछ दांव पर लग जाता है। फिर भी, समाज का एक हिस्सा इसे “प्रेरणा” कहकर प्रचारित करता है, जो और भी खतरनाक है।
असल सवाल अब ये है — क्या जुए से नाम रोशन होता है? या सिर्फ सोशल मीडिया पर दो दिन का शोर बनता है? क्या हम ऐसे युवाओं को नायक मानेंगे, जो किस्मत के भरोसे करोड़पति बनने की उम्मीद बेचें? या उन लोगों को जो बिना शोर-शराबे के, लगातार मेहनत करते हुए डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, अफसर बनते हैं और समाज की बुनियाद को मजबूत करते हैं?
Dream11 जैसे ऐप्स हमारे युवाओं के भविष्य को चुपचाप निगल रहे हैं। और जो भी इन्हें बढ़ावा देता है, वह इस आग में घी डाल रहा है। अगर वाकई माता-पिता के सपनों को पूरा करना है, तो खुद को मजबूत बनाना होगा, मेहनत करनी होगी, और अपने कौशल को तराशना होगा।
क्योंकि सच्ची जीत Dream11 में टीम बनाने में नहीं, बल्कि खुद को खोने से बचा लेने में है।
साभार:- Social Media