Sarita Gautam

Sarita Gautam Comedian ll Video creator ll Social Worker ll Storyteller

सावधान हिंदुओं...लव जिहाद के झूठे जाल में न फंसें।सोशल मीडिया के फर्जी प्रोफाइल, मीठी बातें और नकली पहचान इनके हथकंडे है...
25/07/2025

सावधान हिंदुओं...
लव जिहाद के झूठे जाल में न फंसें।
सोशल मीडिया के फर्जी प्रोफाइल, मीठी बातें और नकली पहचान इनके हथकंडे हैं।
परिवार से खुला संवाद और जागरूकता ही सुरक्षा का सबसे मजबूत कवच है।
सतर्क रहें, सुरक्षित रहें! Sarita Gautam

Attention🛑 भारत में, यदि आप ये कुछ साधारण से सर्वाइवल स्किल्स अपनाते हैं, तो आपकी बिना वजह मौत की संभावना आधी हो सकती है...
06/06/2025

Attention🛑 भारत में, यदि आप ये कुछ साधारण से सर्वाइवल स्किल्स अपनाते हैं, तो आपकी बिना वजह मौत की संभावना आधी हो सकती है:

1. भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

2. हमेशा डिफेंसिव ड्राइविंग अपनाएं। सड़क पर किसी से घूरना, गाली देना (भले ही शीशा बंद हो) या बहस करना टालें। डैशकैम लगाना ज़रूरी है।

3. किसी भी जगह पर आवारा या पालतू कुत्तों की मौजूदगी का अनुमान लगाएं। बच्चों को कभी भी आंखों से ओझल न होने दें।

4. बिजली की तारों के नीचे चलने या गाड़ी चलाने से बचें। किसी भी गली में घुसने से पहले ऊपर ज़रूर देखें।

5. सामाजिक-राजनीतिक आलोचना करें, लेकिन किसी नेता, सरकारी अफसर, पुलिसवाले या कट्टर धार्मिक व्यक्ति की व्यक्तिगत भावनाओं को आहत न करें।

6. भाषा को लेकर संवेदनशील राज्यों में रहने का विचार है तो वहाँ की स्थानीय भाषा के 8–10 आम वाक्य ज़रूर सीखें, या एक टोपी साथ रखें।

7. खुले गटर और मैनहोल का अनुमान लगाएं, खासकर उन सड़कों पर जो आपके लिए नई हैं।

8. बड़े-बड़े होर्डिंग्स या फ्लाईओवर के नीचे खड़े न हों, खासकर बारिश के मौसम में।

9. रात को बाहर जाने से बचें। अगर जाना ज़रूरी हो तो अकेले न जाएं। खासकर घर की महिलाएं अकेले न निकलें – कोई कुछ भी कहे, इसे मिसोजिनिस्ट कहना उनकी समस्या है।

10. ऐसे नाइट क्लब्स से दूर रहें जहाँ स्कॉर्पियो/थार वाले "अर्बन देहाती" घुस सकते हैं।

11. बाहर खाना खाने से बचें, खासकर स्ट्रीट फूड से।

12. हेल्थ इंश्योरेंस अक्सर धोखा होता है, सरकारी अस्पतालों की हालत खराब है और प्राइवेट बहुत महंगे हैं। इसलिए खुद को फिट रखें और अस्पतालों के चक्कर न काटें – दौड़ें, एक्सरसाइज़ करें, और हेल्दी खाएं।

Copy 🖊️ The Skin Doctor

08/05/2025

क्या वाकई Dream11 में 1 करोड़ जीतना गर्व की बात है?सीतामढ़ी के एक लोकप्रिय सोशल मीडिया पेज ने हाल ही में एक युवक के Drea...
30/04/2025

क्या वाकई Dream11 में 1 करोड़ जीतना गर्व की बात है?

सीतामढ़ी के एक लोकप्रिय सोशल मीडिया पेज ने हाल ही में एक युवक के Dream11 में 1 करोड़ जीतने को संघर्ष, मेहनत और प्रेरणा की मिसाल बताते हुए पोस्ट किया। उस पोस्ट में जिस तरह से उस युवक की जीत को "माता-पिता के सपनों की पूर्ति" बताया गया, उसने एक गहरी चिंता खड़ी कर दी है। सवाल यह नहीं है कि किसी ने पैसे कमाए — सवाल यह है कि उसने किस रास्ते से कमाया और समाज को क्या संदेश दे गया।

Dream11 एक जुए की ही आधुनिक डिजिटल शक्ल है। इसे “मेहनत” या “लगन” का नाम देना सीधे-सीधे उन लाखों युवाओं का अपमान है जो दिन-रात पढ़ाई कर रहे हैं, मजदूरी कर रहे हैं, या अपने हुनर से समाज में कुछ ठोस बनाने की कोशिश कर रहे हैं। Dream11 में टीम बनाना, मैच का अनुमान लगाना, और करोड़ों में एक का जीत जाना — ये मेहनत नहीं, किस्मत और सट्टेबाज़ी का खेल है। इसे मेहनत की चादर ओढ़ाकर पेश करना, एक खतरनाक झूठ है, जो युवाओं को गुमराह करता है।

और सबसे दुखद बात ये है कि जब इस जुए को माता-पिता की कुर्बानी से जोड़ दिया जाता है — जैसे कि बेटे ने उनके संघर्ष का फल इस जीत के रूप में दिया — तो पूरी सामाजिक सोच पर सवाल खड़ा हो जाता है। क्या वाकई हम यही संदेश देना चाहते हैं कि माता-पिता की मेहनत और त्याग का असली फल एक डिजिटल सट्टे की जीत है? क्या संघर्ष का अर्थ अब मेहनत नहीं, बल्कि ‘किस्मत आज़माना’ रह गया है?

युवाओं को ये यकीन दिलाना कि वो भी Dream11 से करोड़पति बन सकते हैं, वैसा ही है जैसे किसी ने लॉटरी जीतकर कह दिया — “देखो मेहनत रंग लाई।” मगर सच्चाई ये है कि जीतने वाला एक होता है, और हारने वाले लाखों। कोई नहीं दिखाता उन युवाओं की कहानियाँ, जिन्होंने पढ़ाई छोड़ी, कर्ज़ लिया, रिश्ते बिगाड़े — बस Dream11 पर भरोसा करके।

ये लत केवल आर्थिक नुकसान नहीं करती, बल्कि मानसिक रूप से भी तोड़ देती है। हर मैच एक जुआ बन जाता है। हर बॉल पर दिल की धड़कनें तेज़ होती हैं, और हर हार के साथ आत्मविश्वास गिरता है। घर का पैसा, समय, और मानसिक शांति — सब कुछ दांव पर लग जाता है। फिर भी, समाज का एक हिस्सा इसे “प्रेरणा” कहकर प्रचारित करता है, जो और भी खतरनाक है।

असल सवाल अब ये है — क्या जुए से नाम रोशन होता है? या सिर्फ सोशल मीडिया पर दो दिन का शोर बनता है? क्या हम ऐसे युवाओं को नायक मानेंगे, जो किस्मत के भरोसे करोड़पति बनने की उम्मीद बेचें? या उन लोगों को जो बिना शोर-शराबे के, लगातार मेहनत करते हुए डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, अफसर बनते हैं और समाज की बुनियाद को मजबूत करते हैं?

Dream11 जैसे ऐप्स हमारे युवाओं के भविष्य को चुपचाप निगल रहे हैं। और जो भी इन्हें बढ़ावा देता है, वह इस आग में घी डाल रहा है। अगर वाकई माता-पिता के सपनों को पूरा करना है, तो खुद को मजबूत बनाना होगा, मेहनत करनी होगी, और अपने कौशल को तराशना होगा।

क्योंकि सच्ची जीत Dream11 में टीम बनाने में नहीं, बल्कि खुद को खोने से बचा लेने में है।

साभार:- Social Media



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