01/01/2025
2024 ने मुझे बहुत कुछ दिया है साथ ही शेष कुछ महत्वपूर्ण सबक भी जो इस वर्ष में मुझे बहुत काम आएंगे विषम परिस्थितियों से धैर्यपूर्वक सामना करने में...
__अब खुद को और जानने लगा हूँ और लोगों को बखूबी पहचानने लगा हूँ।
जितने गहराई से खुद को जानते जा रहा हूँ खुद से बहुत प्यार सा होने लगा है, सबके लिए सोचते सोचते शायद खुद के लिए ही पर्याप्त समय नहीं निकाल पाया, अपने और परायों का भेद समय ने देर से ही सही पर खूब समझा दिया है, स्वार्थी दुनियां के कवच से बाहर हूँ अब।
सरलता सहजता निस्वार्थता मुझे आकर्षित करता है, दोहरापन मुझे असहज करते हैं, तार्किक संगति भाती है अन्यथा बिल्कुल सहज हूँ खुद में खुद के काम में, दुनियां को एक अलग दृष्टि से समझने में, लिखने में, अपने भावनात्मकता को अपने सीने के एक कोने में समेटकर प्रैक्टिकल यथार्थ दुनियां में चलने की निरंतरता में... भावुक मन अब ठगा हुआ सा महसूस नहीं करना चाहता
क्योंकि थोड़ी देर तो हो गया पर अब समझ पाया हूँ कि दुनियां वैसी है ही नहीं जो बताया गया जो पढ़ाया गया जो समझाया गया, क्योंकि सब अच्छा अच्छा बस समझाया गया दुनियां की असल रूप तो ठोकरें और जिल्लतों ने दिखाया, कोमल हृदय कठोर तो तब भी नहीं हो पाया पर हां बिना कुछ कहे उन सबसे दूर हो गया जहाँ अविश्वास स्वार्थ कपट और मतलब की हवाएं थी जो इंसानियत और रिश्तों से बढ़कर थी। परिवार से बहुत प्यार है समाज से भी पर खुद के प्रति भी अब बहुत समर्पित होने लगा हूँ, पहले खुद के प्रति इतनी समर्पण की भावना कभी नहीं थी यह एक बहुत ही अलग बहुत ही शानदार एहसास है मेरे लिए जिसे शब्दों में मैं नहीं पिरोना चाहता, उसे हर पल जीना चाहता हूँ। __स्वास्थ्य संबंधी विकारों से भी परेशान रहा हूँ पर मम्मी-पापा, भाई और मेरे दोस्त ने जिस तरह मुझे सपोर्ट और प्यार दिया मुझे उन प्रतिकूल स्थिति से भी शिकायत नहीं रहा..✍🏻__
शुक्रिया सम विषम समय को, __ठीक कहा गया है कि निखरने के लिए बिखरना जरुरी होता है।