03/10/2025
मधुबनी में मनाया गया महिषासुर शहादत दिवस
मधुबनी में दिनांक 02 अक्टूबर 2025 को बहुजन चेतना मंच मधुबनी के तत्वाधान में कबीरा डेयरी (रामपट्टी जेल के पश्चिम व मुख्य सड़क से दक्षिण ) महिषासुर का शहादत दिवस उनके तैल चित्र पर दीप प्रज्वलित व पुष्पांजलि अर्पित कर मनाया गया.
अध्यक्षीय संबोधन में देवनाथ देवन ने कहा कि अधिकांश महिलाओं ने असुर राजाओं की हत्या कपटपूर्ण तरीके से की है. अपने शर्म को छिपाने के लिए भगवानों की इन हत्यारी बीवियों के दस हाथों,अद्भुत हथियारों इत्यादि की कहानी गढ़ी गई.
कार्यक्रम संचालन करते हुए पूर्व मुखिया व जिला प्रधान सचिव अजित पासवान ने कहा कि मनुवादियों ने बहुजनों के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को अपने हिसाब से तोड़ा मरोड़ा गया है. हमें इस इतिहास पर पड़े धूल- झक्कर को झाड़ना पड़ेगा, पौराणिक झूठों का पर्दाफाश करना पड़ेगा और अपने लोगों तथा अपने बच्चों को सच्चाई बतानी पड़ेगी. यही एकमात्र रास्ता है,जिस पर चल कर हम अपने सच्चे इतिहास के दावेदार बन सकते है. महिषासुर और अन्य असुरों के प्रति लोगों का बढ़ता आकर्षण बताता है कि वास्तव में यही काम हो रहा है.
आशीष रंजन उर्फ दीपू जी ने कहा कि जेएनयू के छात्रों के महिषासुर उत्सव को मानव संसाधन मंत्री ने इतनी देशव्यापी लोकप्रियता प्रदान कर दी थी कि, मैं उसके विस्तार में नहीं जा रहा हूं. महिषासुर और अन्य असुरों के प्रति लोगों के बढ़ते आकर्षण की मुख्य वज़ह बामसेफ है, जिन्होंने बहुजन नायक/नायिकाओं का पहचान कर स्थापित किया है.
पूर्व प्रधान लिपिक राजेंद्र राम ने कहा कि असुरों के महिषा राज्य में बहुत भारी संख्या में भैंसे थीं. आर्यों की चामुंडी का संबंध उस संस्कृति से था, जिसका मूल धन गाएं थी. जब इन दो संस्कृतियों में संघर्ष हुआ, तो महिषासुर की पराजय हुई और उनके लोगों को इस क्षेत्र से भगा दिया गया.
पंडित घुरन सदा ने कहा कि मैसूर में महिषासुर दिवस पर सेमिनार, जिसमें इतिहासकारों ने उन्हें बौद्ध राजा बताया और उनके अपमान का विरोध किया. आंबेडकर ने भी ब्राह्मणवादी मिथकों के इस चित्रण का पुरजोर खण्डन किया है कि असुर दैत्य थे. आंबेडकर ने अपने एक निबंध में इस बात पर जोर देते है कि "महाभारत और रामायण में असुरों को इस प्रकार चित्रित करना पूरी तरह गलत है कि वे मानव- समाज के सदस्य नहीं थे. असुर मानव समाज के ही सदस्य थे.
पूर्व मुखिया अर्जुन मंडल ने कहा कि डॉ0 बी आर आंबेडकर और ज्योति राव फूले जैसे क्रांतिकारी चिंतक भी महिषासुर को एक महान उदार द्रविड़यन शासक के रूप में देखते हैं,जिसने लुटेरे- हत्यारे आर्यों (सुरों) से अपने लोगों की रक्षा की.
ललिता कुमारी ने कही कि महिषासुर के राज्य में होम या यज्ञ जैसे विध्वंसक धार्मिक अनुष्ठानों के लिए कोई जगह नहीं थी. कोई भी अपने भोजन, आनंद या धार्मिक अनुष्ठान के लिए मनमाने तरीके से अन्धाधुन्ध जानवरों को मार नहीं सकता था. सबसे बड़ी बात यह थी कि उनके राज्य में किसी को भी निकम्मे तरीके से जीवन काटने की इजाजत नहीं थी.
प्रोफेसर डॉ0 राम नरेश पासवान कहते हैं कि बाबा साहब आंबेडकर तिरस्कार के साथ कहते है कि "ऐसा लगता है कि भगवान लोग असुरों के हाथों से अपनी रक्षा खुद नहीं कर सकते थे, तो उन्होंने अपनी पत्नियों को, अपने आप को बचाने के लिए भेज दिया.
बिनोद क्रांति सदा ने कहा कि आखिर क्या कारण था कि सुरों(देवताओं) ने हमेशा अपनी महिलाओं को असुरों राजाओं की हत्या करने के लिए भेजा.
भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष आलोक देव राज ने कहा कि चामुण्डदुश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारी बताते है कि " तमिलनाडु से कुछ लोग साल में दो बार आते हैं और महिषासुर की मूर्ति की आराधना करते हैं ". पिछले कुछ वर्षों से असुर पूरे देश में आक्रोश का मुद्दा बन रहे है.
कार्यक्रम में दर्जनों बहुजन विद्वान जनों ने क्रमबद्ध अपनी बात रखी- रामचन्द्र शर्मा, कविता पासवान, पिंकी कुमारी, वकील यादव, प्रो0 घनश्याम यादव, गणेश मंडल, मुन्शी पासवान, रामाशीष रमन, फणेश्वर पासवान, त्रिवेणी सदा, राम विलास राम, अधिवक्ता मिश्री लाल यादव , रामफल सहनी, बल राम पासवान, मदन यादव, अधिवक्ता संतोष कुमार, कल्पना कुमारी, अवधेश सदा, अजय कुमार अमर, विष्णु देव प्रसाद सिंह यादव, संजय यादव, पूर्व प्रमुख जटाधर पासवान, विजय चंद्र घोष, राजेन्द्र पासवान, अधिवक्ता नरेंद्र कुमार महतो, डॉ विजय शंकर पासवान, सुमन कुमार राम, के डी यादव, मुखिया गुनानंद यादव,संतोष कुमार महतो,संजीव कुमार राजेंद्र प्रसाद महतो, तरुण जी सहित दर्जनों लोगों ने विचार रखे .
विनीत
देव नाथ देवन,अजित पासवान, श्री चंद सदा, महेश यादव, डॉ सुखदेव पासवान, नंद किशोर यादव, सत्य नारायण यादव
9931284867