26/08/2024
Janmashtami 2024: जन्माष्टमी की पूजा विधि, मुहूर्त, व्रत के नियम और कृष्ण मंत्रों के साथ भोग में तैयार करें ये चीजें, प्रसन्न होंगे नंद के लालकृष्ण जन्माष्टमी के दिन कान्हां के भक्त भूख प्यासे रह कर रात के बारह बजने और कृष्ण के जन्म का इंतजार करते हैं. इस दौरान भक्त व्रत करते हैं. तो चलिए सबसे पहले जानते हैं जन्माष्टमी व्रत के नियम क्या हैं. इस व्रत के दौरान आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं.
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Janmashtami 2024: जन्माष्टमी की पूजा विधि, मुहूर्त, व्रत के नियम और कृष्ण मंत्रों के साथ भोग में तैयार करें ये चीजें, प्रसन्न होंगे नंद के लालकृष्ण जन्माष्टमी के दिन कान्हां के भक्त भूख प्यासे रह कर रात के बारह बजने और कृष्ण के जन्म का इंतजार करते हैं. इस दौरान भक्त व्रत करते हैं. तो चलिए सबसे पहले जानते हैं जन्माष्टमी व्रत के नियम क्या हैं. इस व्रत के दौरान आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं.
Written by:
अनिता शर्मा
फूड
अगस्त 26, 2024 07:56 am IST
Published On
अगस्त 26, 2024 07:54 am IST
Last Updated On
अगस्त 26, 2024 07:56 am IST
Read Time:
5 mins
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Janmashtami 2024: जन्माष्टमी की पूजा विधि, मुहूर्त, व्रत के नियम और कृष्ण मंत्रों के साथ भोग में तैयार करें ये चीजें, प्रसन्न होंगे नंद के लाल
जन्माष्टमी पर पूजा विधि | जन्माष्टमी पूजन कैसे करें (Steps to perform puja)
Janmashtami 2024: देशभर में आज जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है. भगवान कृष्ण के भक्त उनके जन्मदिन का जश्न बड़े उत्साह (Janmashtami celebration) के साथ मनाते हैं. भक्त अपने भगवान का जन्मदिन एक नन्हें बालक के जन्मदिन की तरह ही मनाते हैं. इस दौरान मंदिरों को सजाया जाता है. सजावट के लिए लोग गुब्बारे, फूल और कई तरह के क्रिएटिव आइडिया देखने को मिलते हैं. जिन लोगों ने अपने घर में लड्डू गोपाल जी (Laddoo Gopal Ji) को विराजमान किया हुआ है वे उनके लिए सुंदर झूला और पोशाक भी खरीदत हैं. आपको बता दें कि इस साल यानी 2024 की जन्माष्टमी को श्री कृष्ण (Shree Krishna Birthday) का 5251वां जन्मदिन मनाया जा रहा है. इस साल 26 अगस्त, 2024 को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है.
जन्माष्टमी व्रत के नियम | Rules for fasting
कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के दिन कान्हां के भक्त भूख प्यासे रह कर रात के बारह बजने और कृष्ण के जन्म का इंतजार करते हैं. इस दौरान भक्त व्रत करते हैं. तो चलिए सबसे पहले जानते हैं जन्माष्टमी व्रत के नियम क्या हैं. इस व्रत के दौरान आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं.
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व्रत का मतलब होता है कोई संकल्प लेना. तो सबसे पहले संकल्प लें. इस दिन व्रत शुरू करते हुए ही भगवान कृष्ण के प्रति पूरी श्रद्धा से व्रत यानी उपवास का संकल्प लें. इस दौरान तय करें कि आप व्रत निर्जल रखेंगे या फलाहारी.
सूर्योदय के समय अपना व्रत शुरू करें और पारण के समय इसे तोड़ें.
इस बात का ध्यान रखें कि आप पूरे दिन कुछ भी न खाएं.
इस दिन मन को शांत रखना चाहिए और तामसिक गतिविधियों और खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए.
भगवान कृष्ण को तुलसी पत्र चढ़ाना बेहद शुभ और अनिवार्य अनुष्ठानों में से एक है. शाम को अपने व्रत को खोलने के लिए यह सभी तैयारी कर लें.
इस दिन अगर आप गायों को रोटी खिलाएंगे तो यह भी शुभ माना जाता है.
व्रत के दौरान भगवान कृष्ण का नाम जपते रहें.
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जन्माष्टमी 2024 तिथि और समय | Janmashtami 2024 date and time
अष्टमी तिथि: 26 अगस्त 2024 को सुबह 03:39 बजे शुरू होगी.
अष्टमी तिथि समाप्त: 27 अगस्त 2024 - 02:19 बजे.
रोहिणी नक्षत्र: 26 अगस्त 2024 को दोपहर 03:55 बजे शुरू होगा.
रोहिणी नक्षत्र समाप्त : 27 अगस्त 2024 - 03:38 बजे समाप्त होगा.
निशिता पूजा का समय: 27 अगस्त 2024, रात 11:26 बजे से 12:11 बजे तक.
मध्यरात्रि का क्षण, रात 11:48 बजे
चंद्रोदय का समय: 11:07 बजे.
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जन्माष्टमी पर करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप (Powerful mantras For Krishna Janmashtami)
'ॐ कृष्णाय नमः'
यह भगवान कृष्ण का महामंत्र है. माना जाता है कि कृष्ण की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक शांति मिलती है और बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं.
ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
इस मंत्र का मतलब है कृष्ण की शरण में जाना. यहां आप यह संकल्प कर रहे हैं कि सुख हो या दुख आज से मैं आजीवन कृष्ण की शरण में हूं.
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः"
यह एक शक्तिशाली श्रीकृष्ण मंत्र है. इसका अर्थ है, "वासुदेव नन्दन परमात्मा स्वरूपी भगवान श्रीकृष्णको वंदन है, उन गोविंदको पुनः पुनः नमन है, वे हमारे कष्टोंका नाश करें".
जन्माष्टमी पर पूजा विधि | जन्माष्टमी पूजन कैसे करें (Steps to perform puja)
पूजा शुरू करने से पहले, जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें.
मंदिर को साफ करें.
लड्डू गोपाल जी और भगवान कृष्ण को स्नान कराएं.
सुंदर पोशाक, फूल, चूड़ियाँ, मुकुट, मोर पंख, तुलसी की माला पहनाएँ और माथे पर चंदा तिलक लगाएं.
लड्डू गोपाल जी के झूले को साफ कर उस पर नई चादर लगाएं.
लड्डू गोपाल जी को झूले पर विराजमान करें.
इसे बाद लड्डू गोपाल जी को भोग लगाएं. पानी और तुलसी पत्र दें.
भोग प्रसाद तैयार करें. इस लिंक पर क्लिक कर आप भोग के लिए रेसिपी देख सकते हैं.
आप चाहें तो छप्पन भोग भी बना सकते हैं. छप्पन भोग में क्या होता है वह इस लेख में देखें.
शाम को कान्हां को भोग लगाएं पंचामृत, पंजीरी और घर में बनी मिठाइयों से थाली तैयार करें.
भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लेने और वहाँ से प्रसाद लेने के लिए मंदिर जाएं.
व्रत रखने वाले मुहूर्त के अनुसार व्रत खोलें और जल गृहण करें.
Happy Janmashtami!
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