29/07/2025
गुठी, रैतानी मालपोत तथा स्थानीय सरकार के टकराव :
मुरली मनोहर मिश्र
(जनकपुर नागरिक समाज)
जनकपुरधाम,धनुषा नेपाल
परम आदरणीय संस्कृति अनुरागी महानुभाव,
जनकपुरधाम उपमहानगरपालिका (ज.उप.म.) के १३औँ नगरसभाक निर्णय अनुसार गुठी तथा रैतानी नम्बरी जग्गासभ पर मालपोत आ कर संकलन के प्रक्रिया शुरु कैल गेल अछि। ई निर्णय स्थानीय सरकार संचालन ऐन २०७४ के धारा-११ तथा अनुसूची-८ के आड़ में लऽ कऽ लियऽ गेल अछि, मुदा ई निर्णय सऽ उत्पन्न भेल संवैधानिक, कानूनी आ सांस्कृतिक टकराव अब जनचिन्ता आ न्यायिक समीक्षा के केन्द्र बिन्दु बनि गेल अछि।
१. ऐन आ संविधानक मंथन:
नेपालक संविधान गुठी सम्पत्ति के संरक्षण हेतु स्पष्ट प्रावधान करैत अछि। गुठी ऐन २०३३ तथा अन्य प्रचलित कानून सभ अनुसार, गुठी सम्पत्ति पर सरकार विशेष सर्तकता सऽ निगरानी राखैत अछि आ ओकर धार्मिक-सांस्कृतिक चरित्रक रक्षा करऽ पड़ैत अछि।
तेँ ज.उप.म. द्वारा मालपोत आ कर संकलनक निर्णय गुठी संस्थान केर अधिकार, ऐतिहासिक दायित्व तथा गुठी सम्पत्तिक विशिष्टता के उल्लंघन करैत देखल जा रहल अछि।
नेपालक संविधान धारा २६(३), धारा २९, आ धारा ५०-५१ में धार्मिक-सांस्कृतिक सम्पत्तिक रक्षा के मूल अवधारणा समेटल अछि। स्थानीय सरकार संचालन ऐन में देल गेल अधिकार संविधानसँ ऊपर नै भऽ सकैत अछि।
२. उच्च अदालतक हस्तक्षेप:
जनकपुर उच्च अदालतक संयुक्त इजलास सऽ गुठी संस्थान द्वारा दायर मुद्दा पर कार्यान्वयन रोकबाक अन्तरिम आदेश जारी कैल गेल अछि, जे स्पष्ट करैत अछि जे -
“नगरसभा द्वारा पारित निर्णय तथा मालपोत संकलन प्रक्रिया संविधान तथा गुठी ऐन सँग बाँझ अछि।”
ई आदेश स्थानीय सरकार के मनमानी विरुद्ध चेतावनी स्वरूप सेहो देखल जा सकैत अछि।
३. निबेदनकर्ताक पक्ष आ जनसमूहक चिन्ता:
गुठी संस्थान, एक ऐतिहासिक संस्था रूप में, केवल सम्पत्ति संरक्षण नै, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक आ सामाजिक परंपरा के वाहक अछि। रैतानी गुठी सम्पत्ति पर स्थानीय सरकार द्वारा कर लादब गुठीक अपूरणीय क्षति मानल जा रहल अछि, जाहिसँ सामाजिक-धार्मिक क्रियाकलाप, उत्सव, मठ-मन्दिर संचालन बाधित भऽ सकैत अछि।
गुठी सम्पत्ति के व्यावसायिक दृष्टिकोण सऽ हेरबा-फेर करब मिथिला सहित सम्पूर्ण नेपालक धर्म-संस्कृति पर चोट समान होयत।
४. समाधान के बाट:
संघीय रेखांकन स्पष्ट करब: गुठी तथा सार्वजनिक सम्पत्तिक व्याख्या के स्पष्टता हेतु केन्द्र सरकार, गुठी संस्थान तथा स्थानीय निकाय बीच समन्वय आवश्यक अछि।
संविधान सँग मेल: स्थानीय सरकार द्वारा जे निर्णय होए, ओ संविधान आ विद्यमान गुठी ऐन सँग मेल खाए के चाही।
गुठीक पुनर्संरचना आ संरक्षण नीति: ऐतिहासिक गुठी सभ के व्यवस्थित करबाक राष्ट्रीय नीति तय करब जरुरी अछि।
५. निष्कर्ष:
जनकपुरधामक गुठी रैतानी सम्पत्ति केवल कर संग्रहणक वस्तु नै अछि। ओ मिथिलाक अस्तित्व, आस्था आ सांस्कृतिक जीवनरेखा छी। ज.उप.म. द्वारा कर थोपब केवल विधिक उल्लंघन नै, एकर माध्यम सऽ ऐतिहासिक, धार्मिक तथा जनविश्वास पर चोट देबाक प्रयास सेहो मानल जा सकैत अछि। उच्च अदालतक अन्तरिम आदेश स्वागत योग्य अछि, मुदा यैह अन्तिम समाधान नै। जब तक नीति स्तर पर स्पष्टता, समन्वय आ सम्मानजनक समाधान नै अबैत अछि – तब तक एहि तरहक टकराव मिथिला सहित सम्पूर्ण नेपाल में देखल जा सकैत अछि।