18/12/2024
एक छोटे से गांव में रानी और उसकी बहू, सिमा, रहते थे। रानी का बेटा, अजय, एक अच्छा लड़का था, और उसने सिमा से शादी की थी। शुरुआत में सिमा और रानी के बीच कोई खास मेलजोल नहीं था। रानी को लगता था कि सिमा घर के कामकाज में उतनी निपुण नहीं थी जितनी वह उम्मीद करती थी। सिमा भी रानी की सख्त बातें और अनुशासन से कुछ परेशान थी। दोनों के बीच अक्सर हल्की-फुल्की नोकझोक होती रहती थी।
समय बीतने के साथ, सिमा ने रानी के घर के कामकाज को समझने की कोशिश की। वह रानी की मदद करने लगी और धीरे-धीरे घर के सारे काम में दक्ष हो गई। लेकिन एक दिन, रानी अचानक बीमार पड़ गई। उसे तेज बुखार था और वह बिस्तर से उठ नहीं पा रही थी। सिमा ने सब कुछ छोड़कर उसकी देखभाल करना शुरू किया। रातभर जागकर, उसे दवाइयां दीं, और उसके लिए गर्म पानी से सेंक भी किया। रानी को समझ में आया कि सिमा ने उसकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, और उसे एहसास हुआ कि सिमा अब घर का हिस्सा बन चुकी थी।
रानी की बीमारी के दौरान, अजय भी कई बार घर आया, लेकिन सिमा ही वह थी जो हर समय रानी के पास रहती। एक दिन रानी ने सिमा से कहा, "तुमने जो प्यार और देखभाल दी है, वह मैं कभी भूल नहीं सकती। तुम मेरी बहू नहीं, मेरी बेटी हो।" सिमा की आंखों में आंसू थे, उसने रानी के हाथों को थामते हुए कहा, "मैं तो हमेशा आपको मां समझकर आपके पास रही हूं, और हमेशा रहूंगी।"
इस घटना के बाद, रानी और सिमा के रिश्ते में बहुत बदलाव आया। दोनों एक-दूसरे के साथ मिलकर घर के कामों में हाथ बंटातीं, और अब रानी को सिमा पर पूरा भरोसा था। सिमा भी अब रानी को अपनी मां जैसा सम्मान देने लगी थी। उनका रिश्ता और भी मजबूत हो गया था, और दोनों के बीच प्यार और समझदारी बढ़ गई थी। यह कहानी इस बात की मिसाल बन गई कि समय और समझ के साथ रिश्तों में सुधार और बदलाव संभव है, और एक सास-बहू का रिश्ता भी सच्चे प्यार और स्नेह से मजबूत हो सकता है।