03/07/2025
सिवान जिला, बिहार का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षेत्र है, जो अपनी भोजपुरी संस्कृति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए जाना जाता है। यह जिला दो लोकसभा क्षेत्रों (सिवान और महाराजगंज) और आठ विधानसभा क्षेत्रों—सिवान, जीरादेई, दरौली (अजा), रघुनाथपुर, दरौंदा, बड़हरिया, गोरियाकोठी, और महाराजगंज—के अंतर्गत आता है। आगामी विधानसभा चुनाव (2025) के लिए सिवान जिले का विश्लेषण निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:
1. सिवान जिले का राजनीतिक परिदृश्य
सिवान का राजनीतिक इतिहास जटिल और गतिशील रहा है। यह क्षेत्र कभी मो. शहाबुद्दीन जैसे प्रभावशाली नेताओं का गढ़ रहा, जिन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के माध्यम से लंबे समय तक प्रभाव बनाए रखा। हाल के वर्षों में, जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत की है। 2020 के विधानसभा चुनाव में सिवान की सीटों पर NDA (BJP-JDU) और महागठबंधन (RJD-Congress) के बीच कड़ा मुकाबला देखा गया।
• 2020 के चुनाव परिणाम:
◦ सिवान: BJP के व्यास देव प्रसाद ने JDU के बबलू प्रसाद को 3,534 वोटों से हराया।
◦ जीरादेई: RJD के अमरजीत कुशवाहा ने जीत दर्ज की।
◦ दरौली (अजा): CPI(ML) के सत्यदेव राम ने जीत हासिल की।
◦ रघुनाथपुर: RJD के हरिशंकर यादव विजयी रहे।
◦ दरौंदा: BJP के करणजीत सिंह ने जीत दर्ज की।
◦ बड़हरिया: RJD के बच्चा पांडेय ने जीत हासिल की।
◦ गोरियाकोठी: BJP के देवेश कांत सिंह विजयी रहे।
◦ महाराजगंज: JDU के विजय शंकर दुबे ने जीत हासिल की।
पिछले परिणामों से स्पष्ट है कि सिवान में BJP, RJD, और JDU का मजबूत आधार है, जबकि CPI(ML) जैसी छोटी पार्टियों ने भी दरौली जैसी सीटों पर प्रभाव दिखाया है।
2. आगामी 2025 विधानसभा चुनाव के लिए प्रमुख कारक
(i) मतदाता जनसांख्यिकी
• जनसंख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार, सिवान की जनसंख्या लगभग 33.30 लाख है, जिसमें 9.84% अनुसूचित जाति (SC) की आबादी है। साक्षरता दर 69.45% है, जो ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मतदाता जागरूकता को प्रभावित करती है।
• लिंगानुपात: 988 (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाएं), जो महिला मतदाताओं की भागीदारी को महत्वपूर्ण बनाता है।
• मतदाता आधार: 2020 में सिवान विधानसभा क्षेत्र में 3,07,110 मतदाता थे, जिनमें 1,61,444 पुरुष, 1,45,169 महिलाएं, और 6 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल थे।
(ii) मतदाता सर्वेक्षण और गणना प्रपत्र वितरण
• हाल ही में, सिवान में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू हुआ है, जिसमें 25 जून से 26 जुलाई 2025 तक हाउस-टू-हाउस सर्वेक्षण और 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची का प्रकाशन होगा। दावे और आपत्तियों की अवधि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक है। यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अद्यतन करने और नए मतदाताओं, विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं, को शामिल करने में महत्वपूर्ण होगी।
(iii) सामाजिक और आर्थिक मुद्दे
• कृषि और रोजगार: सिवान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। बेरोजगारी, सिंचाई सुविधाओं की कमी, और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं मतदाताओं के लिए प्रमुख मुद्दे हैं।
• शराबबंदी: बिहार में शराबबंदी एक संवेदनशील मुद्दा है। 2022 में सिवान और आसपास के जिलों में जहरीली शराब से हुई मौतों ने इस नीति पर सवाल उठाए, जिसका असर मतदाताओं की राय पर पड़ सकता है।
• सामाजिक ध्रुवीकरण: सिवान में भोजपुरी संस्कृति और जातीय समीकरण (यादव, राजपूत, मुस्लिम, और अनुसूचित जाति) राजनीतिक रणनीतियों को प्रभावित करते हैं। RJD का यादव और मुस्लिम मतदाताओं पर मजबूत प्रभाव है, जबकि BJP और JDU गैर-यादव OBC और सामान्य वर्ग के मतदाताओं को लक्षित करते हैं।
(iv) प्रमुख पार्टियां और गठबंधन
• NDA (BJP-JDU): 2020 में NDA ने सिवान की 8 में से 4 सीटें जीतीं। BJP और JDU के बीच सीट बंटवारे और स्थानीय नेताओं की लोकप्रियता आगामी चुनाव में निर्णायक होगी।
• महागठबंधन (RJD-Congress-CPI(ML)): RJD का सिवान में मजबूत आधार है, और CPI(ML) ने दरौली में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। कांग्रेस का प्रभाव सीमित है, लेकिन गठबंधन में वह सहयोगी भूमिका निभा सकती है।
• अन्य दल: AIMIM और BSP जैसे छोटे दल कुछ सीटों पर प्रभाव डाल सकते हैं, खासकर मुस्लिम और दलित मतदाताओं के बीच।
3. आगामी चुनाव के लिए संभावित रुझान
• प्रमुख मुकाबला: 2025 में भी NDA और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। सिवान और दरौंदा जैसी सीटों पर BJP मजबूत स्थिति में है, जबकि जीरादेई, रघुनाथपुर, और बड़हरिया में RJD का दबदबा है।
• युवा और महिला मतदाता: युवा मतदाताओं (18-25 वर्ष) और महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है। सरकार की योजनाएं जैसे लाड़ली बहना (यदि बिहार में लागू हो) और रोजगार सृजन पर ध्यान देना महत्वपूर्ण होगा।
• स्थानीय मुद्दे: बाढ़ प्रबंधन, सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं, और अपराध नियंत्रण (विशेष रूप से शराब माफिया और संगठित अपराध) मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
• नेतृत्व का प्रभाव: PM मोदी और CM नीतीश कुमार की लोकप्रियता NDA के लिए फायदेमंद हो सकती है, जबकि तेजस्वी यादव की युवा अपील और सामाजिक न्याय की राजनीति RJD को मजबूती देगी।
4. प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों का विश्लेषण
• सिवान: BJP का गढ़, लेकिन RJD और JDU की मौजूदगी इसे प्रतिस्पर्धी बनाती है। व्यास देव प्रसाद की सक्रियता और स्थानीय मुद्दों पर उनकी पकड़ BJP को फायदा दे सकती है।
• जीरादेई: RJD का मजबूत आधार, क्योंकि यह पूर्व CM राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव का गृह क्षेत्र है। RJD के लिए इसे बरकरार रखना आसान हो सकता है।
• दरौली (अजा): CPI(ML) की जीत ने इस सीट को वामपंथी दलों के लिए महत्वपूर्ण बना दिया है। NDA और RJD दोनों इसे हासिल करने की कोशिश करेंगे।
• रघुनाथपुर और बड़हरिया: RJD की मजबूत पकड़, लेकिन BJP और JDU के आक्रामक प्रचार से मुकाबला कड़ा हो सकता है।
• दरौंदा, गोरियाकोठी, महाराजगंज: NDA की सीटें, जहां JDU और BJP के बीच समन्वय और उम्मीदवार चयन महत्वपूर्ण होगा।
5. निष्कर्ष और भविष्यवाणी
सिवान जिले में 2025 का विधानसभा चुनाव अत्यंत प्रतिस्पर्धी होगा। NDA और महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा 2020 की तरह 4-4 या 5-3 के अनुपात में हो सकता है। RJD का सामाजिक आधार (यादव और मुस्लिम) और तेजस्वी यादव की रणनीति महागठबंधन को बढ़त दे सकती है, लेकिन NDA की केंद्रीय योजनाएं और नीतीश कुमार की विश्वसनीयता भी मतदाताओं को आकर्षित करेगी। स्थानीय मुद्दों पर फोकस और उम्मीदवारों की लोकप्रियता निर्णायक होगी।