09/02/2024
घटिया राजनीति के कारण कुछ लोगों को ससमय सम्मान नहीं मिल पाता। चाहे स्वामीनाथन जी हों, नरसिंह राव या (एक तरह से) आडवाणी जी भी।
मैं, वस्तुतः, चौधरी चरण सिंह के योगदान को अधिक नहीं जानता इस कारण टिप्पणी नहीं करूँगा। स्वामीनाथन जी हरित क्रांति के जनक थे, नरसिंह राव उदारीकरण के शिल्पकार। भारतीय अर्थव्यवस्था के खुलने का श्रेय कॉन्ग्रेस वित्त मंत्री मनमोहन को देती है, परंतु अभी यदि उन्हें जीडीपी आदि पर किसी को गाली देना होता है तो वो PM मोदी होते हैं।
कॉन्ग्रेस (में सोनिया) को नरसिंह राव से वैयक्तिक घृणा थी। इस कारण वो मृत्यु में भी उपेक्षित रहे। आज पीएम ने उन्हें यह सम्मान दे कर यह सुनिश्चित किया है कि रेनकोट पहन कर नहाना समझदारी नहीं होती।
मनमोहन का आइकॉनिफिकेशन लगभग गाँधी की एक नियंत्रित छवि गढ़ने जैसा ही है। सारे तंत्रों के प्रयोग से एक व्यक्ति को इतना बढ़ाया गया कि तत्कालीन पीएम ही उसके बोझ तले दब कर चर्चा से लुप्त हो गया।
समय परिवर्तित होता है। हालाँकि, मैं मरणोपरांत भारत रत्न देने की परंपरा के विरोध में हूँ यदि वह एक निश्चित समयसीमा के दायरे में न हो, फिर भी यदि देना ही है तो सावरकर समेत कई पुरोधा हैं जो इस सम्मान की आभा बढ़ा सकते हैं।
किश्तों में यह कार्य करने से अच्छा हो कि एक बार सूची बना कर वैसे हर व्यक्ति को ‘रेट्रोस्पेक्टिवली’ भारत रत्न दे दिया जाए।