Pink City Times

Pink City Times प्रबंधक/संपादक विजय कुमार आजाद
प्रकाशक मोनू कुमार आजाद
व्यवस्थापक राकेश कुमार दिवाकर

*भीम आर्मी भारत एकता मिशन के राष्ट्रीय महासचिव एवं मैनपुरी जिला अध्यक्ष मोनू कुमार आजाद ने अपना जन्मदिन एस.ए.डी.पब्लिक स...
04/03/2024

*भीम आर्मी भारत एकता मिशन के राष्ट्रीय महासचिव एवं मैनपुरी जिला अध्यक्ष मोनू कुमार आजाद ने अपना जन्मदिन एस.ए.डी.पब्लिक स्कूल गनेशपुर में मनाया।*
मैनपुरी जान पद के गणेशपुर स्थित सब पब्लिक स्कूल में आज विद्यालय के प्रबंधक श्रीमती सरोजा देवी अध्यक्ष-श्री अजब सिंह यादव प्रधानाचार्य एड.विजय कुमार आजाद ने विद्यालय के स्टाफ एवं बच्चों के साथ मिलकर मैनपुरी जनपद के समाजसेवी मोनू कुमार आजाद का जन्म दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया उन्होंने कहा हर कोई व्यक्ति अपना जन्मदिन अपने परिवार के साथ मनाता है किंतु मोनू जी ने विद्यालय को अपना परिवार माना इसलिए विद्यालय परिवार ने उनका जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया। वही विद्यालय हर छात्र-छात्र एवं स्टाफ का जन्मदिन इसी तरह सेलिब्रेट करता है और प्रकृति से उनके उज्जवल भविष्य व सुखद जीवन की कामना करता है। वर्तमान समय में मोनू कुमार आजाद जी इसी विद्यालय में अध्यापन कार्य भी कर रहे हैं। उन्होंने अपने जन्म दिवस के अवसर पर बच्चों को शिक्षा, संगति, संस्कार और अनुशासन के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए उपयोगिता एवं महत्व को बताया वहीं उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा रूपी दूध ग्रहण करना चाहिए। इस दौरान विद्यालय के स्टाफ में अर्जुन सक्सेना, रविकांत शर्मा, ध्रुव कुमार आजाद, रेनू राजपूत, निर्दोष गौतम शैलेंद्र सिंह, राधा यादव मौजूद रहे। मोनू कुमार आजाद जी पिछले 7 वर्षों से जनपद में भिन्न-भिन्न स्थानों पर निशुल्क कोचिंग सेंटर चलकर सैकड़ो बच्चों को शिक्षित व जागरूक करने का कार्य भी कर रहे हैं वही शोषित वंचित वर्ग के लोगों कोहन अधिकार दिलाने के लिए भी संवैधानिक तरीके से लड़ाई लड़ रहे हैं रात दिन अपने निजी इच्छाओं व लालच को त्यागते हुए निस्वार्थ भाव से समाज का नाम रोशन करने का काम भी यह बड़ी ईमानदारी से कर रहे हैं राजनीतिक क्षेत्र में इनकी कोई रुचि नहीं है इनका उद्देश्य जनपद में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समता, बंधुता भाईचारे की डोर में बांधकर एकजुट करना है ताकि जनपद प्रदेश में पहला स्थान हासिल कर इतिहास रचने का काम हो सके।

मूर्तियां लगाने व रैलियां करने में पैसा खर्च करने की बजाय यदि पुस्तकालय व विद्यालय खोलने में पैसा खर्च किया जाए, तो इस द...
02/03/2024

मूर्तियां लगाने व रैलियां करने में पैसा खर्च करने की बजाय यदि पुस्तकालय व विद्यालय खोलने में पैसा खर्च किया जाए, तो इस देश में कई क्षेत्रों में हमारा समाज विकसित होगा। इस विचार पर आपकी क्या राय है? मर्यादा पूर्वक अपने विचार रखें।

27/02/2024

😭😭😭भीम आर्मी उत्तर प्रदेश सचिव सह कानपुर नगर जिलाध्यक्ष बुद्ध प्रकाश गौतम जी के छोटे भाई का आज दोपहर मे आकस्मिक निधन हो गया है दाह संस्कार उनके गांव में कल किया जाएगा।

राजस्थान शिक्षा मंत्री को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए महान शिक्षिका हेमलता बैरवा को पदोन्नति कर उनके गृह जनपद में ...
26/02/2024

राजस्थान शिक्षा मंत्री को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए महान शिक्षिका हेमलता बैरवा को पदोन्नति कर उनके गृह जनपद में नियुक्त कर सम्मानित किए जाने की भीम आर्मी संगठन मांग करता है।

अपने हक और अधिकारो को पाने के लिए हमें सामाजिक रूप से संगठित होने की आवश्यकता है और जब हम संगठित होंगे तभी हम समाज को मज...
24/02/2024

अपने हक और अधिकारो को पाने के लिए हमें सामाजिक रूप से संगठित होने की आवश्यकता है और जब हम संगठित होंगे तभी हम समाज को मजबूत व शासक बना पाएंगे।

आज भीम आर्मी भारत एकता मिशन संगठन के बैनर तले तेलंगाना प्रदेश में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह प्रदेश प्रभारी मोहम्मद अब्दुल ख...
24/02/2024

आज भीम आर्मी भारत एकता मिशन संगठन के बैनर तले तेलंगाना प्रदेश में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह प्रदेश प्रभारी मोहम्मद अब्दुल खलील जी ने तेलंगाना में गरीब असहाय कमजोर वर्ग के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया।

संत शिरोमणि कवि रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा को 1376 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में हुआ था। ...
23/02/2024

संत शिरोमणि कवि रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा को 1376 ईस्वी को उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम कर्मा देवी (कलसा) तथा पिता का नाम संतोख दास (रग्घु) था। उनके दादा का नाम श्री कालूराम जी, दादी का नाम श्रीमती लखपती जी, पत्नी का नाम श्रीमती लोनाजी और पुत्र का नाम श्रीविजय दास जी है। रविदासजी चर्मकार कुल से होने के कारण वे जूते बनाते थे। ऐसा करने में उन्हें बहुत खुशी मिलती थी और वे पूरी लगन तथा परिश्रम से अपना कार्य करते थे।


उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में मुगलों का शासन था चारों ओर अत्याचार, गरीबी, भ्रष्टाचार व अशिक्षा का बोलबाला था। उस समय मुस्लिम शासकों द्वारा प्रयास किया जाता था कि अधिकांश हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया जाए। संत रविदास की ख्याति लगातार बढ़ रही थी जिसके चलते उनके लाखों भक्त थे जिनमें हर जाति के लोग शामिल थे। यह सब देखकर एक परिद्ध मुस्लिम 'सदना पीर' उनको मुसलमान बनाने आया था। उसका सोचना था कि यदि रविदास मुसलमान बन जाते हैं तो उनके लाखों भक्त भी मुस्लिम हो जाएंगे। ऐसा सोचकर उनपर हर प्रकार से दबाव बनाया गया था लेकिन संत रविदास तो संत थे उन्हें किसी हिन्दू या मुस्लिम से नहीं मानवता से मतलब था।



संत रविदासजी बहुत ही दयालु और दानवीर थे। संत रविदास ने अपने दोहों व पदों के माध्यम से समाज में जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया और मानवतावादी मूल्यों की नींव रखी। रविदासजी ने सीधे-सीधे लिखा कि 'रैदास जन्म के कारने होत न कोई नीच, नर कूं नीच कर डारि है, ओछे करम की नीच' यानी कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपने कर्म से नीच होता है। जो व्यक्ति गलत काम करता है वो नीच होता है। कोई भी व्यक्ति जन्म के हिसाब से कभी नीच नहीं होता। संत रविदास ने अपनी कविताओं के लिए जनसाधारण की ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। साथ ही इसमें अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और रेख्ता यानी उर्दू-फारसी के शब्दों का भी मिश्रण है। रविदासजी के लगभग चालीस पद सिख धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ 'गुरुग्रंथ साहब' में भी सम्मिलित किए गए है।



कहते हैं कि स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णव भक्तिधारा के महान संत हैं। संत रविदास उनके शिष्य थे। संत रविदास तो संत कबीर के समकालीन व गुरूभाई माने जाते हैं। स्वयं कबीरदास जी ने 'संतन में रविदास' कहकर इन्हें मान्यता दी है। राजस्थान की कृष्णभक्त कवयित्री मीराबाई उनकी शिष्या थीं। यह भी कहा जाता है कि चित्तौड़ के राणा सांगा की पत्नी झाली रानी उनकी शिष्या बनीं थीं। वहीं चित्तौड़ में संत रविदास की छतरी बनी हुई है। मान्यता है कि वे वहीं से स्वर्गारोहण कर गए थे। हालांकि इसका कोई आधिकारिक विवरण नहीं है लेकिन कहते हैं कि वाराणसी में 1540 ईस्वी में उन्होंने देह छोड़ दी थी।

💎 संत गाडगे बाबा:- जीवन और मिशन*जन्म:- 23 फरवरी 1876 निर्वाण:- 20 दिसम्बर, 1956 💎 गाडगे बाबा लोकसेवा और स्वच्छता के प्रत...
23/02/2024

💎 संत गाडगे बाबा:- जीवन और मिशन*
जन्म:- 23 फरवरी 1876
निर्वाण:- 20 दिसम्बर, 1956
💎 गाडगे बाबा लोकसेवा और स्वच्छता के प्रतीक थे, जिन्होंने झाड़ू, श्रमदान और पुरूषार्थ को अपना हथियार बनाया। उनके कार्यों को लोगों ने सराहा और उनका अनुसरण किया*
💎 बीसवीं सदी के प्रारम्भ में बहुजन समाज में जागृति फैलाने में संत गाडगे की उल्लेखनीय भूमिका थी। गाडगे उस परम्परा के संत थे, जो कबीर से लेकर रविदास, दादू, तुकाराम और चोखामेला तक आती है। उन्होंने गांव-मोहल्ले की साफ-सफाई से लेकर धर्मशाला, तालाब, चिकित्सालय, अनाथालय, वृद्धाश्रम, कुष्ठ आश्रम, छात्रावास, विद्यालय आदि का निर्माण, श्रमदान व लोगों से प्राप्त आर्थिक सहयोग से किया। वे श्रमजीवी साधू थे।*
💎 गाडगे बाबा, डॉ. आंबेडकर के समकालीन थे और उम्र में अम्बेडकर से 15 वर्ष बड़े थे। यह वह समय था जब -अछूत- युवक, सामाजिक विषमता के भयावह अंधकार में जीने पर मजबूर थे।**💎 गाडगे बाबा, अपने कार्यों से, उन प्रतिकूल परिस्थितियों में भी, इतिहास का एक चमकदार अध्याय बन गये।*
💎 संत गाडगे बाबा का जन्म 23 फरवरी, 1876 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले की तहसील अंजनगाँव सुरजी के शेंगांव नामकग्राम में एक गरीब अतिशूद्र (धोबी) परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम सखूबाई और पिता का नाम झिंगराजी था। उनके घर का नाम देवीदास डेबूजी झिंगराजी जाणोकर था। डेबूजी हमेशा अपने साथ मिट्टी के मटके जैसा एक पात्र रखते थे। इसी में वे खाना खाते और पानी भी पीते थे। महाराष्ट्र में मटके के टुकडे को गाडगा कहते हैं। इसी कारण लोग उन्हें गाडगे महाराज तो कुछ लोग गाडगे बाबा कहने लगे और बाद में वे संत गाडगे के नाम से प्रसिद्ध हो गये, यद्यपि गाडगे बाबा का कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था तथापि वे डॉ. आंबेडकर के सभी कार्यक्रमों की सराहना करते थे, उन्हें प्रोत्साहित करते थे। गाडगे बाबा के सामाजिक-शैक्षणिक उन्नति के कार्य, बाबासाहब आम्बेडकर से अनुप्राणित थे तो धर्म के क्षेत्र में अज्ञान, अन्धविश्वास और पाखण्ड के खिलाफ उनका आन्दोलन, कबीर और चोखामेला से प्रेरित था।गाडगे बाबा लोकसेवा और स्वच्छता के प्रतीक थे, जिन्होंने झाड़ू, श्रमदान और पुरूषार्थ को अपना हथियार बनाया,उनके कार्यों को लोगों ने सराहा और उनका अनुसरण किया। उन्होंने सामाजिक कार्य और जनसेवा को अपना धर्म बनाया,वे व्यर्थ के कर्मकांडों, मूर्तिपूजा व खोखली परम्पराओं से दूर रहे। उनके अनुसार, कर्म का सिद्धांत मनुवादियों द्वारा रचा गया षडयंत्र था, जो लोगों को अकर्मण्य बनाता है व उन्हें आगे बढऩे से रोकता है। जातिप्रथा और अस्पृश्यता को बाबा सबसे घृणित और अधर्म कहते थे। उन्होंने कहा कि ऐसी धारणाएं, धर्म में ब्राह्मणवादियों ने अपनी स्वार्थसिद्धि के लिये जोड़ीं हैं। ब्राह्मणवादी इन्हीं मिथ्या धारणाओं के बल पर आम जनता का शोषण करके अपना पेट भरते हैं। संत गाडगे, ब्राह्मणवादियों के विरोधी थे, ब्राह्मणों के नहीं। उनके श्रमदान एवं सामाजिक कार्यों में ब्राह्मणों ने भी हिस्सा लिया था। अनेक उदारवादी ब्राह्मण बाबा के कार्यों की प्रशंसा करते थे। उनके अनुयायियों में सभी जातियों के लोग थे। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे अंधभक्ति व धार्मिक कुप्रथाओं से बचें। उनके भजन और उपदेश सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और व्यवहारिक जीवन के विशद और विविध अनुभवों से ओतप्रोत होते थे तथा वे जो भी कहते थे, वह सहज बोधगम्य होता था। एक सामान्य-सी सूचना पर हजारों लोग उन्हें सुनने के लिए उमड़ पड़ते थे, गाडगे बाबा जब डॉ. आंबेडकर के सम्पर्क में आये, तो उनके विचारों में बहुत बड़ा परिवर्तन आया। वे इस बात से सहमत हुए कि शिक्षा के द्वारा ही शूद्र समाज गुलामी से मुक्त हो सकता है और अपना स्वतन्त्र विकास कर सकता है। उन्होंने शिक्षा के महत्व को इस हद तक प्रतिपादित किया कि यदि खाने की थाली भी बेचनी पड़े तो उसे बेचकर भी शिक्षा ग्रहण करो। हाथ पर रोटी लेकर खाना खा सकते हो पर विद्या के बिना जीवन अधूरा है। उन्होंने 31 शिक्षा संस्थाओं तथा एक सौ से अधिक अन्य संस्थाएं स्थापित कीं, जिनके रख-रखाव और बेहतर संचालन के लिये सरकार ने एक ट्रस्ट बनाया,उन्होंनें प्रेम, सद्भाव और गरीब व दुखी लोगों के प्रति कर्तव्य की त्रिमूर्ति के आधार पर 51 वर्षों तक समाज की सेवा की। सनातनियों के जाति-वर्ण की श्रेष्ठता और तुलसीदास के पूजिए विप्र शील गुणहीना, शूद्र न गुण गण ज्ञान प्रवीणा के दम्भ को ध्वस्त किया और पूजहीं चरन चण्डाल के, जउ होवे गुन प्रवीन को चरितार्थ किया। उन्होंने जाति व वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह की मशाल को प्रज्वलित किया। उनका लक्ष्य एक ऐसे समाज की रचना था, जिसमें किसी व्यक्ति के गुण, ना कि उसकी जाति या वर्ण, समाज में उसके स्थान का निर्धारण करे। एक अर्थ में यह कहा जा सकता है कि संत गाडगे का जीवन और मिशन, सनातनी शंकराचार्य से भी महान था,उन्होनें हिंदू धार्मिक ग्रंथों की अमानवीय मान्यताओं और संहिताओं का प्राण-पण से विरोध किया और कबीर के इन शब्दों के सच्चे प्रशंसक बने कि जन जागे की ऐसी नाड, विष सा लगे वेद पुराण। उनका विचारधारात्मक संघर्ष उनके पूरे जीवनकाल में जारी रहा। उन्होंने लोगों के दिमागों में घर कर चुकी मनुवादियों द्वारा स्थापित कुप्रथाओं और अंधविश्वासों से उन्हें मुक्ति दिलाई। वे धोबी समाज में जन्मे थे, जो कपडे धोने का काम करते थे परन्तु उन्होंने लोगों के प्रदूषित मनो-मस्तिष्क को धो कर साफ़ करने का बीड़ा उठाया,उन्हें औपचारिक शिक्षा का अवसर नहीं मिला था। स्वाध्याय के बल पर कुछ पढऩा-लिखना जान गए थे। लेकिन उन्होंने अपने जीवन में त्याग, समर्पण और कर्तव्य से यश के अनेक शिखर जीते। वे शिक्षा, समाज सेवा और साफ़-सफाई पर हमेशा जोर देते रहे, गाडगे बाबा के लाखों अनुयायी थे, जिनमें श्रमिक वर्ग से लेकर मंत्री स्तर तक के लोग शामिल थे। बाबासाहब डाक्टर भीमराव आम्बेडकर भी गाडगे बाबा के प्रशंसकों में से एक थे। बाबासाहब आम्बेडकर कभी भी साधू और सन्यासियों में रूचि नहीं लिया करते थे पर गाडगे बाबा के सामाजिक कार्यों जैसे अछूतोद्धार, धर्मशाला निर्माण, जातिभेद एवं अन्धविश्वासों के विरुद्ध आवाज उठाने के कारण वे उनका आदर करते थे, सम्मान करते थे। उन्होंने गाडगे बाबा को ज्योतिबा फूले के बाद सबसे बड़ा त्यागी जनसेवक कहा था, गाडगे बाबा की परिनिर्वाण 20 दिसम्बर, 1956 को हुई। आकाशवाणी से उनके निधन की घोषणा से पूरे देश में शोक की लहर दौड गयी। उनकी मृत देह को बाडनेर के राठौर गार्डन में अंतिम दर्शनार्थ रखा गया। केंद्र व राज्य के मंत्रियों सहित बड़ी संख्या में आम लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी,सन 1983 में 1 मई को, महाराष्ट्र सरकार ने नागपुर विश्वविद्यालय को विभाजित कर संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय की स्थापना की। उनकी 42वीं पुण्यतिथि के अवसर पर, 20 दिसंबर, 1998 को भारत सरकार ने उनपर डाक टिकट जारी किया। सन 2001 में, महाराष्ट्र सरकार ने उनकी स्मृति में संत गाडगे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान शुरू किया। संत गाडगे सचमुच एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था थे,संत गाडगे बाबा को उनके जयंती दिवस 23 फरवरी पर आपको मंगलमय बधाई।*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*जय गाडगे बाबा, जय भीम*
*जय भारत जय संविधान*

आज मुझे राजस्थान की पावन धरती पर शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने एवं संगठन के राष्ट्रीय प्रभारी प्रभु दयाल वर्मा ...
28/01/2024

आज मुझे राजस्थान की पावन धरती पर शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने एवं संगठन के राष्ट्रीय प्रभारी प्रभु दयाल वर्मा को राजस्थान में सामाजिक कार्य करने पर राजस्थान डीएसपी एवं वरिष्ठ अफसरो के द्वारा SM फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया गया,यह सब महापुरुषों दया एवं संविधान की देन है।
बुद्धरत्न भीमपुत्र एड.विजय कुमार आजाद संस्थापक -भीम आर्मी भारत एकता मिशन

औरैया के बहादुरपुर में दलित परिवार के व्यक्ति की ठाकुर समुदाय व्यक्तियों ने फावड़ा से हत्या कर दी, घटना की जानकारी मिलते...
25/01/2024

औरैया के बहादुरपुर में दलित परिवार के व्यक्ति की ठाकुर समुदाय व्यक्तियों ने फावड़ा से हत्या कर दी, घटना की जानकारी मिलते ही पीड़ित परिवार से मिलने मैं भीम आर्मी संस्थापक एड.विजय कुमार आजाद एवं राष्ट्रीय महासचिव सह मैनपुरी जिला अध्यक्ष मोनू कुमार आजाद आज 25 जनवरी 2024 को दोपहर 2:00 बजे पहुंचा, वहां मैने पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाते हुए परिवार की मांगों को सरकार द्वारा पूरा कराने तथा फरार चल रहे अन्य तीन आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी कराने तथा न्यायिक प्रक्रिया में परिवार का तन मन धन से सहयोग करने का आश्वासन दिया। घटना की जांच कर रहे CO से भी मुलाकात की और पुलिस प्रोटेक्शन का भी जायजा लिया। इस दौरान संगठन के पदाधिकारी व सदस्यगण भी मौजूद रहे।

सामाजिक न्याय के पुरोधा व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’से सम्मानित किए जाने के फैसले...
24/01/2024

सामाजिक न्याय के पुरोधा व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’से सम्मानित किए जाने के फैसले का स्वागत है। कर्पूरी ठाकुर जी ने सदन से लेकर सड़क तक दलितों, पिछड़ों व वंचितों की पीड़ा को मज़बूती से उठाया,आज उनकी जयंती पर उन्हें हम कोटि कोटि नमन करते है।

औरैया के बहादुरपुर में दलित समुदाय के व्यक्ति के हथियारों के पर कठोर कार्रवाई कराने व पीड़ित परिवार से मिलने मै भीम आर्म...
23/01/2024

औरैया के बहादुरपुर में दलित समुदाय के व्यक्ति के हथियारों के पर कठोर कार्रवाई कराने व पीड़ित परिवार से मिलने मै भीम आर्मी संस्थापक एड.विजय कुमार आजाद 25 जनवरी 2024 को दोपहर 2:00 बजे पहुंच रहा हूँ।

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