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https://youtu.be/o5vwHo9WN_k
17/07/2025

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कथा वक्ता आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने शिवमहापुराण के अनुसार काल सर्प दोष की पूजा विधि , जन्म कुंडली में काल सर्प द....

ॐ – ब्रह्मांड की ध्वनि, दिव्यता का प्रतीकनमः – नम्रता व समर्पण का भावशिवाय – जो सृष्टि के संहारक व कल्याणकारी हैं       ...
17/07/2025

ॐ – ब्रह्मांड की ध्वनि, दिव्यता का प्रतीक
नमः – नम्रता व समर्पण का भाव
शिवाय – जो सृष्टि के संहारक व कल्याणकारी हैं

17/07/2025

शयन आरती दर्शन - श्री लाड़ली राधा रानी की जन्म स्थली || रावलधाम, मथुरा

17/07/2025

Live | सुख का सागर | आचार्य पुष्पेंद्र शास्त्री जी | भाग्य ऋषि संस्थान

16/07/2025

1. जन्म कुंडली में काल सर्प दोष क्यों बनता है?https://youtu.be/o5vwHo9WN_k

2. काल सर्प दोष का निवारण क्या है?

3. काल सर्प दोष पितृ दोष के कारण आता है?

4. बुजुर्ग माता-पिता का सम्मान न होना

5. पितृ प्रेत योनि में आने से
6. पितृ दोष के लक्षण

7. विवाह में देरी होना
8. कार्य का सही समय पर न होना

9. संतान का देरी से होना

10. आपके अपने साथ छोड़ने लगते है

11. हाथ पैर में ज्यादातर पसीना आना

12. कुण्डली में ग्रहण योग बनना

13. काल सर्प दोष पितृ दोष के कारण बनता है?
सावन की नाग पंचमी के दिन काल सर्प दोष की पूजा करने से निवारण होता है

15/07/2025

रोजगार , कारोबार ,धन , रोग मुक्ति सावन मास के 5 मनोकामना सिद्धी उपाय पूरा जानने के लिए यहाँ क्लिक करें https://youtu.be/3OWibc8h0Q0 श्रावण मास के खास उपाय / कथा व्यास आचार्य राजेंद्र जी महाराज

इस बार सावन में कितने सोमवार?
14/07/2025

इस बार सावन में कितने सोमवार?

सावन का पावन महीना आते ही भक्तों के दिलों में शिव भक्ति की गंगा बहने लगती है। कहा जाता है कि सावन में भोलेनाथ को प्रसन्न...
12/07/2025

सावन का पावन महीना आते ही भक्तों के दिलों में शिव भक्ति की गंगा बहने लगती है। कहा जाता है कि सावन में भोलेनाथ को प्रसन्न करना सबसे आसान होता है, बस सच्चे मन से शिव जी का नाम लीजिए और नियमों का पालन कीजिए। इस पूरे मास में भगवान शिव कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच रहते हैं।

11/07/2025

DAY-08 | श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ | श्री राधामोहन शरण देवाचार्य जी महाराज | जयपुर

10/07/2025

LIVE || रूहानी सत्संग || परम संत हुजूर कंवर साहिब जी महाराज || राधा स्वामी सत्संग दिनोद, भिवानी

गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म का एक अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से भरपूर पर्व है, जिसे गुरु के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने क...
10/07/2025

गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म का एक अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से भरपूर पर्व है, जिसे गुरु के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को आता है और इसे महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों का संकलन और विभाजन कर मानवता को ज्ञान का मार्ग दिखाया। इस महान कार्य के कारण वह “आदि गुरु” के रूप में पूजे जाते हैं और उनके सम्मान में ही इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाने की परंपरा है। #गुरुपूर्णिमा #गुरु #धार्मिककथा

10/07/2025

गुरु पूर्णिमा पर्व का उदेश्य
गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है और शिष्य के बिना गुरु भी।
महाभारत , अमर कहानियां रची गईं, जहाँ गुरु और शिष्य ने मिलकर इतिहास बदल दिया। जैसे
द्रोणाचार्य और अर्जुन की कथा-
महाभारत में जब गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों को धनुष विद्या सिखाई, तब उन्होंने अर्जुन में कुछ अलग ही प्रतिभा देखी।
अर्जुन की लगन ने द्रोणाचार्य को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अर्जुन को ‘सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर’ बनाने का प्रण लिया।
कहते हैं, एक रात अर्जुन ने अंधेरे में भोजन करते हुए महसूस किया कि अभ्यास में कोई समय नहीं देखना चाहिए।
उसी दिन से अर्जुन ने रात में भी अभ्यास करना शुरू कर दिया।
गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को बड़ा योद्धा बनाया,
हम बात करें एकलव्य की तो कथा के अनुसार -
एकलव्य, जिसने गुरु द्रोणाचार्य को अपना गुरु माना, बिना उनसे कोई शिक्षा पाए।
एकलव्य ने मिट्टी की मूर्ति बनाकर खुद को धनुर्विद्या में निपुण कर लिया।
जब द्रोणाचार्य ने गुरु दक्षिणा में उसका अंगूठा मांग लिया।
एकलव्य ने बिना सवाल किए अपना अंगूठा काटकर चढ़ा दिया।
यह त्याग दिखाता है कि सच्चा शिष्य अपनी श्रद्धा से भी गुरु को समर्पित होता है।

वही कर्ण और परशुराम की कथा-
महाभारत का तीसरा अनमोल गुरु-शिष्य संबंध है।
कर्ण जन्म से क्षत्रिय थे लेकिन उन्होंने ब्राह्मण बनकर परशुराम से शस्त्र विद्या सीखी।
परशुराम ने कर्ण को अपना सर्वश्रेष्ठ शिष्य माना,
लेकिन जब उन्हें कर्ण के असली वंश पता चला, तो उन्होंने कर्ण को श्राप दे दिया कि सबसे जरूरी समय पर वह अपनी विद्या भूल जाएगा।
कर्ण ने यह श्राप भी गुरु की आशीर्वाद मानकर स्वीकार किया
यह कहानी सिखाती है कि गुरु के आशीर्वाद से बड़ा कुछ नहीं होता, परंतु छल से मिली शिक्षा कभी पूर्ण फल नहीं देती।

महाभारत से जुड़े ये गुरु-शिष्य के प्रसंग हमें सिखाते हैं ,
अगर गुरु की कृपा और शिष्य की निष्ठा मिल जाए, तो असंभव को संभव बनाया जा सकता है /
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आइए हम भी अपने गुरुजनों का सम्मान करें, उनके बताए मार्ग पर चलें और ज्ञान की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं।

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