08/10/2023
"कई सालों तक मैं एयर फोर्स में अकेली लेडी ऑफिसर थी। आर्मी और नेवी में भी मिलाकर दर्जन भर से ज़्यादा महिला ऑफिसर्स नहीं थीं। शुरू में पुरुषों के बीच काम करने में थोड़ा असहज महसूस करती थीं, लेकिन फिर बहादुरी से खुद को समझाया कि मैं कुछ भी कर सकती हूँ।" 2018 में एक इंटरव्यू के दौरान विंग कमांडर (रिटायर्ड) विजयलक्ष्मी रामनन ने बताया था।
IAF की पहली महिला ऑफिसर, विंग कमांडर रामनन ने ऐसे काम किए जिनसे एयर फाॅर्स में कई बदलाव आए; उन्होंने महिलाओं के लिए नए रास्ते खोल दिए थे।
पहली महिला अधिकारी होकर यूनिफॉर्म में साड़ी पहनने वालीं वह अकेली तो थीं ही, साथ ही उन्होंने IAF का यूनिफॉर्म भी डिज़ाइन किया था।
वह बताती थीं, "आर्मी और नेवी की महिला ऑफिसर्स पैंट्स पहनती थीं। मैं साड़ी पहनती थी, लेकिन आस्तीन को लेकर थोड़ी प्रॉब्लम आई। हेडक्वाटर से काफ़ी बातचीत के बाद, यह फैसला हुआ कि ब्लाउज़ में 3/4th आस्तीनें होंगी। उसमें मैं बहुत कम्फर्टेबल नहीं थी, तो मैंने उनको बोला कि मैं मर्दों की तरह आस्तीन ऊपर चढ़ाकर काम करुँगी।"।
1962, 1965 and 1971 के युद्ध के समय विजयलक्ष्मी रामनन मेडिकल टीम का भी हिस्सा रहीं और चोटिल जवानों की सेवा करती थीं। 1979 में, विंग कमांडर के पोस्ट से रिटायर होने के दो साल पहले उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था।