28/02/2025
मथुरा में रावण पर हमला: सपा का हाथ?
अखिलेश दलित वोट भी लेंगे, इज्जत भी और जान भी?
मथुरा में कांशीराम की विचारधारा को मानने वाले भीम आर्मी के कार्यकर्ता रावण (चंद्रशेखर आजाद) पर हुए हमले ने सियासी हलचल मचा दी है। इस हमले के पीछे समाजवादी पार्टी (सपा) का हाथ होने की अटकलें तेज हो गई हैं। सवाल यह है कि क्या अखिलेश यादव दलितों का वोट लेने के साथ उनकी इज्जत और जान भी लेंगे?
सपा और दलित राजनीति: एक चालाकी भरी रणनीति?
समाजवादी पार्टी और दलित राजनीति का रिश्ता हमेशा से असहज रहा है। 90 के दशक में जब मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने साथ आकर भाजपा को चुनौती दी थी, तब भी यह गठबंधन लंबा नहीं चला। मायावती पर हुए गेस्ट हाउस कांड ने यादव-दलित समीकरण को पूरी तरह तोड़ दिया। आज अखिलेश यादव फिर से दलितों का भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ वोटों तक सीमित है?
रावण पर हमला: क्या सपा से खतरा?
चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ लगातार सपा और बसपा दोनों के खिलाफ मुखर रहे हैं। उन्होंने कई बार आरोप लगाया है कि सपा केवल दलितों का इस्तेमाल करती है और सत्ता में आने के बाद उन्हें दरकिनार कर देती है। अगर इस हमले में सपा के लोग शामिल पाए जाते हैं, तो यह अखिलेश यादव की राजनीति पर बड़ा सवाल खड़ा करेगा।
दलित वोटबैंक: राजनीतिक दलों की लालच
यूपी की राजनीति में दलित वोट बैंक सबसे महत्वपूर्ण है। बसपा की कमजोरी के बाद अब सपा और कांग्रेस दोनों दलित वोटों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश यादव, जो खुद को भाजपा के खिलाफ सबसे बड़ा विकल्प मानते हैं, क्या दलितों के साथ न्याय कर पाएंगे, या फिर सिर्फ चुनावी इस्तेमाल कर उन्हें हाशिए पर धकेल देंगे?
निष्कर्ष
रावण पर हमले की निष्पक्ष जांच जरूरी है। अगर सपा से जुड़े लोग इसमें दोषी पाए जाते हैं, तो यह दलित राजनीति पर एक बड़ा आघात होगा। दलित समाज को यह तय करना होगा कि वे सिर्फ वोट देने का साधन बने रहेंगे या फिर अपनी सियासी ताकत को पहचानकर खुद की अलग दिशा तय करेंगे।