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Aayodhya railway station 🙏🏻🙏🏻
30/12/2023

Aayodhya railway station 🙏🏻🙏🏻

बड़े हर्ष की बात है कि अलीनगर विधानसभा क्षेत्र के लहटा तुमौल सुहथ पंचायत के तुमौल निवासी सुशांत मिश्रा जी को IPL गुजरात ...
19/12/2023

बड़े हर्ष की बात है कि अलीनगर विधानसभा क्षेत्र के लहटा तुमौल सुहथ पंचायत के तुमौल निवासी सुशांत मिश्रा जी को IPL गुजरात टाइटंस टीम ने 2.20 करोड़ रुपए में खरीदकर अपने टीम में शामिल किया हैं।।
सुशांत मिश्रा जी मुख्यतः बाएं हाथ के गेंदबाज हैं साथ साथ बल्लेबाज़ी भी करते हैं।।

आपके उज्जवल भविष्य की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।।।💐

‼️🙏जय माता रानी 🙏‼️               🌹नवरात्रि महोत्सव विशेष🌹👉 नवरात्रि छः महिने के अंतराल के साथ वर्ष में दो बार मनाई जाती...
15/10/2023

‼️🙏जय माता रानी 🙏‼️

🌹नवरात्रि महोत्सव विशेष🌹

👉 नवरात्रि छः महिने के अंतराल के साथ वर्ष में दो बार मनाई जाती है, जिसे चैत्र नवरात्रि तथा शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि को नवदुर्गा या नौदुर्गा के अन्य नाम दुर्गा पूजा, वसंत नवरात्रि, महानवरात्रि, राम नवरात्रि, राम नवमी, नवरात्रे, नौरात्रे, नाम से भी जाना जाता है।

शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से 23 अक्टूबर 2023 तक हैं।

👉 नवरात्रि– नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाला व्रत, पूजा एवं मेलों का उत्सव है, सभी नौ दिन माँ आदिशक्ति के भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा करते हैं। देवी का प्रत्येक रूप,एक नवग्रह (चंद्रमा, मंगल, शुक्र, सूर्य, बुद्ध, गुरु, शनि, राहू, केतु) की स्वामिनी तथा उनसे जुड़ी बाधाओं को दूर व उन्हें प्रबल करने हेतु भी पूजा होती है।

👉 नवरात्रि के नौ दिन बेहद शुभ होते हैं और पूजा-पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है जानें ज्योतिष एवं वास्तु के अनुसार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, नियम और महत्व।

👉 शारदीय नवरात्र आश्विन माह में मनाया जाता है पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि की शुरूआत तिथि चैत्र /अश्विन शुक्ल प्रतिपद से होती है इस दौरान व्रत,हवन,जागरण,जगराता, माता का भजन कीर्तन इत्यादि किया जाता है। हिंदू धर्म में नवरात्रि त्यौहार का खास महत्व रखता है इस दौरान माता दुर्गा की विधि-विधान से पूजा अर्चना और व्रत करते हैं और दसवें दिन दशहरा पर्व भी मनाया जाता है नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना करने का भी विशेष महत्व, लाभ और कुछ नियम होते हैं शुभ मुहूर्त को देखकर ही कलश स्थापना की करनी चाहिए मान्यता है कि कलश स्थापना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होकर सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं और उन पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं।

👉 इस वर्ष कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को प्रातः 11:38 से दोपहर 12:23 बजे तक है इस समय अभिजीत मुहूर्त है, जो पूजा पाठ के लिए शुभ माना जाता है।

👉 नवरात्रि के शुभारंभ पर कलश स्थापना का विधान है. माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से स्थापित किया गया कलश सुख, संपन्नता और आरोग्य लेकर आता है. कलश मिट्टी, सोना, चांदी या तांबा का होना चाहिए। लोहे या स्टील का कलश प्रयोग नहीं करना चाहिए।

👉 नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना घर की पूर्व या उत्तर दिशा में करनी चाहिए। इसके लिए कलश स्थापना वाली जगह को गंगा जल से शुद्ध करके वहां हल्दी से चौक पूरते हुए अष्टदल बनाना चाहिए।

👉 कलश में शुद्ध जल लेकर हल्दी, अक्षत, लौंग, सिक्का, इलायची, पान और पुष्प डालने के बाद कलश के बाहर रोली से स्वास्तिक बनाया जाना चाहिए. इसके बाद, कलश को पवित्र की गई जगह पर स्थापित करते हुए मां भगवती का आह्वान करना चाहिए।

👉 नवरात्रि पर कलश स्थापना किए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है नवरात्रि की शुरुआत बिना कलश स्थापना के नहीं होती है मां दुर्गा की विधि-विधान से आराधना करने के लिए कलश स्थापना का विशेष महत्व है इसे ही घटस्थापना भी कहा जाता है माना जाता है कि यदि गलत मुहूर्त पर घटस्थापना की जाए तो इससे मां दुर्गा अत्यंत क्रोधित हो सकती हैं रात के समय और अमावस्या पर कभी भी कलश की स्थापना नहीं करनी चाहिए। कलश स्थापना करने से ही पूजा सफल मानी जाती है शुभ फल की प्राप्ति होती है घर में सुख-समृद्धि आती है और इस वर्ष माता भगवती हाथी पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी जो कि शुभ संकेत है।

!! शारदीय नवरात्रि तिथियां एवं महत्व!!

👉 15 अक्टूबर 2023 – प्रतिपदा तिथि, पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी, कलश स्थापना।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

इन्हें हेमावती तथा पार्वती के नाम से भी जाना जाता है।

तिथि – चैत्र /अश्विन शुक्ल प्रतिपदा।
सवारी – वृष, सवारी वृष होने के कारण इनको वृषारूढ़ा भी कहा जाता है।
अस्त्र-शस्त्र – दो हाथ- दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल धारण किए हुए हैं।
मुद्रा – माँ का यह रूप सुखद मुस्कान और आनंदित दिखाई पड़ता है।
ग्रह – चंद्रमा - माँ का यह देवी शैलपुत्री रूप सभी भाग्य का प्रदाता है, चंद्रमा के पड़ने वाले किसी भी बुरे प्रभाव को नियंत्रित करती हैं।
शुभ रंग – चैत्र - स्लेटी / अश्विन - सफ़ेद।

👉 16 अक्टूबर 2023 – द्वितीया तिथि, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

माता ने इस रूप में फल-फूल के आहार से 1000 साल व्यतीत किए, और धरती पर सोते समय पत्तेदार सब्जियों के आहार में अगले 100 साल और बिताए। जब माँ ने भगवान शिव की उपासना की तब उन्होने 3000 वर्षों तक केवल बिल्व के पत्तों का आहार किया। अपनी तपस्या को और कठिन करते हुए, माँ ने बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिया और बिना किसी भोजन और जल के अपनी तपस्या जारी रखी, माता के इस रूप को अपर्णा के नाम से जाना गया।

तिथि– चैत्र /अश्विन शुक्ल द्वितीया
अन्य नाम – देवी अपर्णा
सवारी – नंगे पैर चलते हुए।
अस्त्र-शस्त्र – दो हाथ- माँ दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण किए हुए हैं।
ग्रह – मंगल, सभी भाग्य का प्रदाता मंगल ग्रह।
शुभ रंग – चैत्र - नारंगी /अश्विन - लाल

👉 17 अक्टूबर 2023 – तृतीया तिथि, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का शुभ दिन।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

यह देवी पार्वती का विवाहित रूप है। भगवान शिव से शादी करने के बाद देवी महागौरी ने अर्ध चंद्र से अपने माथे को सजाना प्रारंभ कर दिया और जिसके कारण देवी पार्वती को देवी चंद्रघंटा के रूप में जाना जाता है। वह अपने माथे पर अर्ध गोलाकार चंद्रमा धारण किए हुए हैं। उनके माथे पर यह अर्ध चाँद घंटा के समान प्रतीत होता है अतः माता के इस रूप को माता चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।

तिथि – चैत्र /अश्विन शुक्ल तृतीया
सवारी – बाघिन
अस्त्र-शस्त्र – दस हाथ - चार दाहिने हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल तथा वरण मुद्रा में पाँचवां दाहिना हाथ। चार बाएं हाथों में कमल का फूल, तीर, धनुष और जप माला तथा पांचवें बाएं हाथ अभय मुद्रा में।
मुद्रा – शांतिपूर्ण और अपने भक्तों के कल्याण हेतु।
ग्रह – शुक्र
शुभ रंग – चैत्र - सफेद /अश्विन - गहरा नीला।

👉 18 अक्टूबर 2023 – चतुर्थी तिथि यानी चौथे दिन की जाएगी मां कुष्मांडा की पूजा।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

कु का अर्थ है कुछ, ऊष्मा का अर्थ है ताप, और अंडा का अर्थ यहां ब्रह्मांड अथवा सृष्टि, जिसकी ऊष्मा के अंश से यह सृष्टि उत्पन्न हुई वे देवी कूष्माण्डा हैं। देवी कूष्माण्डा, सूर्य के अंदर रहने की शक्ति और क्षमता रखती हैं। उसके शरीर की चमक सूर्य के समान चमकदार है। माँ के इस रूप को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है।

तिथि– चैत्र /अश्विन शुक्ल चतुर्थी
अन्य नाम – अष्टभुजा देवी
सवारी – शेरनी
अस्त्र-शस्त्र – आठ हाथ - उसके दाहिने हाथों में कमंडल, धनुष, बाड़ा और कमल है और बाएं हाथों में अमृत कलश, जप माला, गदा और चक्र है।
मुद्रा – कम मुस्कुराहट के साथ।
ग्रह – सूर्य - सूर्य को दिशा और ऊर्जा प्रदाता।
शुभ रंग – चैत्र - लाल / अश्विन - पीला।

👉 19 अक्टूबर 2023 – पंचमी तिथि, पांचवें दिन होगी मां स्कंदमाता की पूजा।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

जब देवी पार्वती भगवान स्कंद की माता बनीं, तब माता पार्वती को देवी स्कंदमाता के रूप में जाना गया। वह कमल के फूल पर विराजमान हैं, और इसी वजह से स्कंदमाता को देवी पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है। देवी स्कंदमाता का रंग शुभ्र है, जो उनके श्वेत रंग का वर्णन करता है। जो भक्त देवी के इस रूप की पूजा करते हैं, उन्हें भगवान कार्तिकेय की पूजा करने का लाभ भी मिलता है। भगवान स्कंद को कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है।

तिथि – चैत्र /अश्विन शुक्ल पञ्चमी
अन्य नाम – देवी पद्मासना
सवारी– उग्र शेर
अस्त्र-शस्त्र – चार हाथ - माँ अपने ऊपरी दो हाथों में कमल के फूल रखती हैं है। वह अपने एक दाहिने हाथ में बाल मुरुगन को और अभय मुद्रा में है। भगवान मुरुगन को कार्तिकेय और भगवान गणेश के भाई के रूप में भी जाना जाता है।
मुद्रा – मातृत्व रूप
ग्रह– बुध
शुभ रंग– चैत्र - गहरा नीला / अश्विन – हरा।

👉 20 अक्टूबर 2023 – षष्ठी तिथि पर की जाती है मां कात्यायनी की पूजा-आराधना।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

माँ पार्वती ने राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए देवी कात्यायनी का रूप धारण किया। यह देवी पार्वती का सबसे हिंसक रूप है, इस रूप में देवी पार्वती को योद्धा देवी के रूप में भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवी पार्वती का जन्म ऋषि कात्या के घर पर हुआ था और जिसके कारण देवी पार्वती के इस रूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है।

तिथि – चैत्र /अश्विन शुक्ल षष्ठी
सवारी – शोभायमान शेर
अस्त्र-शस्त्र – चार हाथ - बाएं हाथों में कमल का फूल और तलवार धारण किए हुए है और अपने दाहिने हाथ को अभय और वरद मुद्रा में रखती है।
मुद्रा – सबसे हिंसक रूप
ग्रह – गुरु
शुभ रंग – चैत्र - पीला /अश्विन - स्लेटी।

👉 21 अक्टूबर 2023 – सातवें दिन, सप्तमी तिथि पर होगी मां कालरात्रि की पूजा।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

जब देवी पार्वती ने शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों का वध लिए तब माता ने अपनी बाहरी सुनहरी त्वचा को हटा कर देवी कालरात्रि का रूप धारण किया। कालरात्रि देवी पार्वती का उग्र और अति-उग्र रूप है। देवी कालरात्रि का रंग गहरा काला है। अपने क्रूर रूप में शुभ या मंगलकारी शक्ति के कारण देवी कालरात्रि को देवी शुभंकरी के रूप में भी जाना जाता है।

तिथि –चैत्र /अश्विन शुक्ल सप्तमी
अन्य नाम – देवी शुभंकरी
सवारी – गधा
अस्त्र-शस्त्र – चार हाथ - दाहिने हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं, और बाएं हाथों में तलवार और घातक लोहे का हुक धारण किए हैं।
मुद्रा–देवी पार्वती का सबसे क्रूर रूप
ग्रह– शनि
शुभ रंग– चैत्र - हरा / अश्विन - नारंगी।

👉 22 अक्टूबर 2023 – आठवां दिन, दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी की भक्त करेंगे पूजा-उपासना।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सोलह साल की उम्र में देवी शैलपुत्री अत्यंत सुंदर थीं। अपने अत्यधिक गौर रंग के कारण देवी महागौरी की तुलना शंख, चंद्रमा और कुंद के सफेद फूल से की जाती है। अपने इन गौर आभा के कारण उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है। माँ महागौरी केवल सफेद वस्त्र धारण करतीं है उसी के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा के नाम से भी जाना जाता है।

तिथि – चैत्र /अश्विन शुक्ल अष्टमी
अन्य नाम– श्वेताम्बरधरा
सवारी– वृष
अस्त्र-शस्त्र –चार हाथ - माँ दाहिने हाथ में त्रिशूल और अभय मुद्रा में रखती हैं। वह एक बाएं हाथ में डमरू और वरदा मुद्रा में रखती हैं।
ग्रह– राहू
मंदिर– हरिद्वार के कनखल में माँ महागौरी को समर्पित मंदिर है।
शुभ रंग – चैत्र - मोर हरा /अश्विन - मोर वाला हरा।

👉 23 अक्टूबर 2023 – महा नवमी यानी नौवें दिन शरद नवरात्रि,व्रत पारण, कन्या पूजन, महागौरी पूजन और मां सिद्धिदात्री की पूजा

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

शक्ति की सर्वोच्च देवी आदि-पराशक्ति, भगवान शिव के बाएं आधे भाग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं। माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं। यहां तक कि भगवान शिव ने भी देवी सिद्धिदात्री की सहायता से अपनी सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं। माँ सिद्धिदात्री केवल मनुष्यों द्वारा ही नहीं बल्कि देव, गंधर्व, असुर, यक्ष और सिद्धों द्वारा भी पूजी जाती हैं। जब माँ सिद्धिदात्री शिव के बाएं आधे भाग से प्रकट हुईं, तब भगवान शिव को अर्ध-नारीश्वर का नाम दिया गया। माँ सिद्धिदात्री कमल आसन पर विराजमान हैं।

अष्ट(8) सिद्धियां: अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व।
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल नवमी
आसन– कमल
अस्त्र-शस्त्र – चार हाथ - दाहिने हाथ में गदा तथा चक्र, बाएं हाथ में कमल का फूल व शंख शोभायमान है।
ग्रह– केतु
शुभ रंग– चैत्र - बैंगनी / अश्विन - गुलाबी।

👉 24 अक्टूबर 2023 – दशमी तिथि पर विजयादशमी (दशहरा), मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन।

‼️जय मां जगदम्बे‼️

15/10/2023
15/10/2023

Maithili Thakur ❣️

आज सुबह के दर्शन बाबा मणिमहेश कैलाश🙏🏻🙏🏻
20/09/2023

आज सुबह के दर्शन बाबा मणिमहेश कैलाश🙏🏻🙏🏻

गंगोत्री से रामेश्वरम तक लगभग 3200 किलोमीटर पैदल चइल विश्व कल्याण के लिए मिथिला पुत्र मणिकांत झा एवं हुनकर साथी कांवर या...
26/08/2023

गंगोत्री से रामेश्वरम तक लगभग 3200 किलोमीटर पैदल चइल विश्व कल्याण के लिए मिथिला पुत्र मणिकांत झा एवं हुनकर साथी कांवर यात्रा कs रहल छइथ।

ई यात्रा लगभग ढाई महीना तक चलत।

समस्त मिथिलावासी के शुभकामना अपने संग अछि।

हर-हर महादेव।

सुचना जनहित में जारी ✋🏻
26/08/2023

सुचना जनहित में जारी ✋🏻

शस्त्र और शास्त्र के समन्वय और पराक्रम के प्रतीक भगवान विष्णु के छठे अवतार चिरंजीवी भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव के पाव...
22/04/2023

शस्त्र और शास्त्र के समन्वय और पराक्रम के प्रतीक भगवान विष्णु के छठे अवतार चिरंजीवी भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।🙏

कुशेश्वर स्थान, दरभंगा में चल रही भव्य श्रीमद्भागवत कथा की मनमोहक झलकियां🙏🏻🙏🏻Cr.Mani Mishra
22/04/2023

कुशेश्वर स्थान, दरभंगा में चल रही भव्य श्रीमद्भागवत कथा की मनमोहक झलकियां🙏🏻🙏🏻
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