22/07/2025
आज की कहानी में * का इस्तेमाल किया गया है क्योंकि FB बार बार स्टोरी डिलीट कर रहा है और वार्निंग दे रहा है एडल्ट वर्ड्स होने की वजह से .....
कुछ महीनों बाद जब हमारे खेतों की फसल कटने वाली थी, तो उस समय मैंने भी गांव जाने का तय कर लिया था. तय समय पर मैं गांव में पहुंच गया. दूसरे दिन मैं अकेला ही खेतों की तरफ चल दिया.
लगभग एक बजे दोपहर में मैं जब खेत पहुँचा, तो वहां कोई नहीं था और मुझे गर्मी के कारण प्यास भी लगी थी.
मैंने सोचा कि पड़ोस में सरोज भाभी के खेत में पानी होगा क्योंकि उनके खेत में झोपड़ी भी थी. मैं उसी तरफ चला गया. उस झोपड़ी में कोई नहीं था. मैंने पानी पिया और जैसे ही वापस बाहर आने लगा, मुझे झोपड़ी के पीछे से कुछ आवाज ऐसी आई जैसे कोई फसल में से जा रहा हो. मुझे लगा कि कोई जानवर खेत में घुस गया है.
मैं उसे भगाने के लिए जैसे ही पीछे गया, तो मैंने देखा कि भाभी और उनकी बहन सुनीता, जो उनकी देवरानी भी है, बीच फसल में पेशाब कर रही थीं. उन दोनों के घाघरे (लहंगे) ऊपर तक उठे हुए थे और उनकी गां* मेरी तरफ थी.
सुनीता की फूली गां* देख कर तो मेरी आंखें फटी रह गईं. उसकी गोरी गोरी गां* मस्त दिख रही थी. उसकी दोनों टांगों के बीच से पेशाब की धार गिर रही थी. मेरा तो मन किया कि अभी जाकर उसकी गां* में ही लंड पेल दूँ. पर फिर मैंने खुद पर काबू किया और उनको मूतते हुए देखता रहा. जैसे ही वो मूत कर खड़ी हुई और मेरी तरफ मुड़ी, मुझे देख कर एकदम से चौंक गयी.
वो सकपकाते हुए बोली- त..तुम कब आए?
मैंने कहा- अभी आया … प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था.
तभी सरोज भाभी बोलीं- चलो मैं पानी पिला देती हूं.
मैं भाभी की बात सुन कर वापस झोपड़ी में आ गया, पर वो दोनों वहीं पर खड़ी होकर खुसुर फुसर करके हँसती रहीं.
मैंने उनको आवाज दी, तो सरोज भाभी भी झोपड़ी में आ गईं. वो झुक कर घड़े से पानी का लोटा भरने लगीं, गाँव की भाभी की मांसल और मोटी गां* देख कर मुझसे रहा नहीं गया. मैंने पेंट से लं* बाहर निकाल कर उनकी गां* से भिड़ा दिया.
वो अचानक पीछे हो कर बोलीं- क्या कर रहे हो … सुनीता देख लेगी.
मैंने कहा- वो तो पहले ही देख चुकी है.
ये बोल कर मैं कपड़ों के ऊपर से ही उनकी गां* में धक्के मारने लगा और झुक कर उनके चुचे भी दबाने लगा. मैं भाभी को किस करने लगा … लेकिन वो मुझसे छूट कर वापस पीछे भाग गईं.
जहां सुनीता भी थी. मैं भी अपना लं* हिलाते हुए पीछे चला गया.
वहां जाते ही सुनीता बोली- ये क्या हरकत है … शर्म नहीं आती यूं हाथ में लिए घूमते हुए.
मैंने बेशर्मों की तरह उसके करीब जाकर उसकी चु*यों को जोर से दबा दिया. साथ ही अपना खड़ा लं* उसके हाथ में पकड़ाते हुए कहा- तुझे शर्म नहीं आती दूसरों की चु*ई देख कर … अब मेरे सामने नाटक चो* रही है.
ये कह कर मैं अपने हाथ उसके पीछे ले गया और उसके चू*ड़ पकड़ कर दबाने लगा.
सुनीता ने मुझसे छूटने का कोई प्रयास नहीं किया. बल्कि वो खुद धीरे धीरे मदहोश होने लगी. मैं उसके बालों में हाथ घुमा रहा था और उसके कानों की लौ को चूमने लगा था.
उसके मुँह से वासना के उन्माद की आवाजें निकलने लगीं. धीरे धीरे मैं हाथ ऊपर लाते हुए उसकी कमर को सहलाने लगा. उसका बदन भी नागिन की तरह लहराने लगा.
सुनीता का फिगर को किसी को भी घायल कर देने वाला था. उसकी 32 इंच की चु*यां एकदम नुकीली थीं. चू*यों के नीचे 28 इंच की लचकदार कमर और 36 के भारी चू*ड़ मेरे कब्जे में आ गए थे. सुनीता का गेहुआं रंग था, पर उसके नैन नक्श इतने तीखे थे … जैसे कोई खजुराहो की कामुक देवी हो. एक ऐसी मादक मूरत, जिसके लिए पूरी दुनिया के मर्द मर मिटे थे.
सुनीता की आंखों में गजब की प्यास दिख रही थी … मानो वो लं* के लिए सालों से तड़प रही हो.
फिर धीरे से मैंने उसके घाघरे का नाड़ा खोल कर नीचे गिरा दिया. वो शर्म से सिमट गई और पैंटी में छुपी अपनी चू* को पैरों से छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.
मैंने उसकी शर्म खोलने के लिए सरोज भाभी से भी नंगी होने को कहा, तो पहले तो उन्होंने मना किया, फिर मेरे जोर देने पर उन्होंने भी अपना घाघरा खोल कर नीचे बिछा दिया. इससे वहां एक बिस्तर बन गया. उस पर मैंने सुनीता को पटक दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ गया.
मैं उसे नंगी करने लगा. उसकी कुर्ती कांचली उतार कर एक तरफ फेंक दी और उसके होंठों को चूमने लगा. सुनीता भी धीरे धीरे सिसकारने लगी.
तभी सरोज भाभी भी केवल ब्रा पैंटी में आकर मेरे ऊपर चढ़ गईं और अपने मोटे मोटे चू* से मेरी पीठ रगड़ने लगीं. भाभी मेरे कानों के पास दांतों से काटने लगीं. मैंने भी अपनी गर्दन पीछे करके उन्हें चूमना शुरू कर दिया और अपने हाथों से सुनीता की ब्रा के ऊपर से चु* दबाने लगा.
दोस्तो, क्या बताऊं मुझे कितना मजा आ रहा था. दो देसी भाभियां … एक मेरे नीचे, दूसरी मेरे ऊपर … और वो भी पूरी तरह से कामुक हालात में. ये सब देख कर मेरा तो लं* फटने को हो रहा था.
मैंने तभी सरोज भाभी को ऊपर से हटा दिया और सुनीता को नंगी करने लगा. जैसे ही मैंने सुनीता की चड्डी निकाली, तो देखा कि उसकी चू* पर बड़ी बड़ी झांटें थीं, जो उसके पानी से पूरी गीली हो रही थीं.
ये देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसकी झां* में नाक रगड़ते हुए उसकी चू* चाटने लगा. जैसे ही मैंने उसकी चू* में जीभ लगाई, वो एकदम से चिल्ला पड़ी.
मैंने कारण पूछा, तो उसने बताया कि किसी ने भी उसकी चू* आज तक नहीं चाटी थी.
मैं नहीं रुका और उस गाँव की भाभी की चू* में अन्दर तक जीभ डाल कर चाटता रहा. वो भी जोश में आ कर वासना से चिल्लाती हुई गालियां निकालने लगी- मादर** भो*ड़ी के आह … जोर से चाट हरामी … आह आआआ ओह्ह उम्ममह खा जा मेरे राजा … मेरे भोस* को … औऱ जोर से चाट … आआआह मम्मम्ह!
मैं दोनों हाथों से उसकी चु*यां दबाते हुए उसे अपने मुँह से चो*ता रहा. थोड़ी देर में वो अपनी गां* उठा उठा कर मेरे मुँह पर मारने लगी. मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली थी.
तभी मैंने एक उंगली उसकी गां* में डाल दी. गां* में उंगली अन्दर जाने के साथ ही वो झड़ गयी और शांत हो गयी.
फिर मैंने सरोज भाभी को उसे फिर से तैयार करने को कहा. सरोज भाभी घोड़ी की तरह झुक कर सुनीता की चू* चाटने लगीं.
तभी मुझे शरारत सूझी. मैंने सरोज भाभी के पीछे आकर उनके चू*ड़ों को पकड़ा और उनकी पैंटी को साइड में करके चू* में पीछे से ही लं* पेल दिया.
मैं पीछे से भाभी का भोस* चोद रहा था. वो अपनी बहन की चू* चाटे जा रही थी. मैंने पीछे से भाभी के बाल पकड़ लिए और उन पर घुड़सवारी करने लगा. अपने बाल खिंचने पर शायद उन्हें दर्द हो रहा था और वो जोर जोर से चिल्ला रही थीं.
थोड़ी देर में ही उनकी बु* ने पानी छोड़ दिया और वो नीचे अपनी बहन पर पसर कर गिर गईं.
मैंने फिर उन्हें अलग करके सुनीता की चू* में अपना लौ* डाल दिया और धक्के मारने लगा. मेरा लं* उसकी बच्चेदानी को छू रहा था … और वो जोरों से चीख रही थी.
सुनीता मुझे देसी भाषा में गालियां दे रही थी- सास का गंड** … आह छोड़ दे … माँ चुद गी मेरी … मने घरा भी जानो हैं … गांव का शक करेगा कि कठे मरवा के आयी है.
लेकिन मैं उसे 20 मिनट तक जमके चो** रहा. इसी बीच वो 2 बार पानी छोड़ चुकी थी. मैं भी अब आने वाला था, तो मैं कस कस कर धक्के मारने लगा.
इधर सरोज भाभी मेरे आं** को चूस रही थीं. कोई 8-10 धक्कों के साथ मैंने सुनीता की चू* में पानी छोड़ दिया और उसी पर लेट गया.