Unique Assam Hindi

Unique Assam Hindi VideoCreator

*[ कमल के पुष्प पर ही क्यों विराजमान होती हैं, माता लक्ष्मी ]* ==========================महालक्ष्मी के चित्रों और प्रतिम...
19/10/2025

*[ कमल के पुष्प पर ही क्यों विराजमान होती हैं, माता लक्ष्मी ]*
==========================
महालक्ष्मी के चित्रों और प्रतिमाओं में उन्हें कमल के पुष्प पर विराजित दर्शाया गया है।

इसके पीछे धार्मिक कारण तो है, कमल के फूल पर विराजित लक्ष्मी जीवन प्रबंधन का महत्वपूर्ण संदेश भी देती हैं। महालक्ष्मी धन की देवी हैं।

धन के संबंध में कहा जाता है, कि इसका नशा सबसे अधिक दुष्प्रभाव देने वाला होता है। धन मोह-माया में डालने वाला है और जब धन किसी व्यक्ति पर हावी हो जाता है तो अधिकांश परिस्थितियों में वह व्यक्ति बुराई के रास्ते पर चल देता है। इसके जाल में फंसने वाले व्यक्ति का पतन होना निश्चित है।

वहीं कमल का फूल अपनी सुंदरता, निर्मलता और गुणों के लिए जाना जाता है। कमल कीचड़ में ही खिलता है परंतु वह उस की गंदगी से परे है, उस पर गंदगी हावी नहीं हो पाती।

कमल पर विराजित लक्ष्मी यही संदेश देती हैं, कि वे उसी व्यक्ति पर कृपा बरसाती हैं जो कीचड़ जैसे बुरे समाज में भी कमल की तरह निष्पाप रहे और स्वंय पर बुराइयों को हावी ना होने दें।

जिस व्यक्ति के पास अधिक धन है, उसे कमल के फूल की तरह कीचड़ (अधार्मिक कमों) से दूरी बनाए रखना चाहिए। साथ ही कमल पर स्वयं माता लक्ष्मी के विराजित होने के बाद भी उन्हें घमंड नहीं होता, वह सहज ही रहता है। इसी तरह धनवान व्यक्ति को भी सहज रहना चाहिए, जिससे उस पर लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहें।

जैसे दीपक जलने पर ही दीवार पर छाया बनती है,वैसे ही चेतना के “प्रकाश” से ही जगत की छवि प्रकट होती है।दीपक बुझते ही — छाया...
19/10/2025

जैसे दीपक जलने पर ही दीवार पर छाया बनती है,
वैसे ही चेतना के “प्रकाश” से ही जगत की छवि प्रकट होती है।
दीपक बुझते ही — छाया लुप्त।

*रिश्ता अपनेपन का*मैं बिस्तर पर से उठा ही था कि अचानक छाती में दर्द होने लगा। मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारो...
19/10/2025

*रिश्ता अपनेपन का*

मैं बिस्तर पर से उठा ही था कि अचानक छाती में दर्द होने लगा। मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारों के साथ मैं आगे वाली बैठक के कमरे में गया तो मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाईल में व्यस्त था।

मैंने पत्नी को देखकर कहा- "मेरी छाती में आज रोज से कुछ ज़्यादा दर्द हो रहा है, डाॅक्टर को दिखा कर आता हूँ।"
"हाँ मगर सँभलकर जाना, काम हो तो फोन कर लेना" मोबाइल में देखते हुए पत्नी बोलीं।
मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा, पसीना मुझे बहुत आ रहा था, ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी।
ऐसे वक्त्त हमारे घर का काम करने वाला रामू साईकिल लेकर आया, साईकिल को ताला लगाते ही, उसने मुझे सामने खड़ा देखा।
"क्यों सा'ब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?
मैंने कहा- "नहीं..!!"
आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती सा'ब, इतना पसीना क्यों आ रहा है?
सा'ब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते, मैं किक मार कर चालू कर देता हूँ। रामू ने एक ही किक मारकर ऐक्टिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा-
"साब अकेले जा रहे हो?"
मैंने कहा- "हाँ"
उसने कहा- ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते,
चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये।
मैंने कहा- तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है?
"सा'ब गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता छोड़कर पीछे बैठ जाओ"
पास ही एक अस्पताल में हम पहुँचे। रामू दौड़कर अंदर गया और व्हील चेयर लेकर बाहर आया।
"सा'ब अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ"।
रामू के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रहीं, मैं समझ गया था। फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे कि अब तक क्यों नहीं आया? रामू ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि *आज नहीं आ सकता।*
रामू डाॅक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था, उसे बगैर बताये ही मालूम हो गया था कि सा'ब को हार्ट की तकलीफ है। लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ लेकर गया।
डाॅक्टरों की टीम तो तैयार ही थी, मेरी तकलीफ सुनकर। सब टेस्ट शीघ्र ही किये।
डाॅक्टर ने कहा- "आप समय पर पहुँच गये हो, इसमें भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया, वह आपके लिए बहुत फायदेमन्द रहा।"
अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है। इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे। इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है। डाॅक्टर ने रामू की ओर देखा।
मैंने कहा- "बेटे, दस्तखत करने आते हैं?"
उसने कहा-
"सा'ब इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर न डालो।"
"बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है, फिर भी बगैर कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की। वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी। एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा। मैं नीचे सही करके लिख दूँगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी मेरी है। रामू ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर किये हैं", बस अब... ..
*"और हाँ घर फोन लगा कर खबर कर दो"।*
बस, उसी समय मेरे सामने मेरी पत्नी का फोन रामू के मोबाइल पर आया। वह शांति से फोन सुनने लगा।
थोड़ी देर के बाद रामू बोला- "मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना मगर अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरु होने के पहले पहुँच जाओ। हाँ मैडम, मैं सा'ब को अस्पताल लेकर आया हूँ, डाक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है"।
मैंने कहा- "बेटा घर से फोन था?"
"हाँ सा'ब।"
मैंने मन में पत्नी के बारे में सोचा, तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही हो और किसको निकालने की बात कर रही हो? आँखों में आँसू के साथ रामू के कन्धे पर हाथ रखकर मैं बोला- "बेटा चिंता नहीं करते।"
"मैं एक संस्था में सेवायें देता हूँ, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है।"
"तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है, बेटा पगार मिलेगा।
*इसलिए चिंता बिल्कुल भी मत करना।"*
ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया, मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था। मैं आँखों में आँसू लिये बोला- "रामू कहाँ है?"
पत्नी बोली- "वो अभी ही छुट्टी लेकर गाँव चला गया। कह रहा था कि उसके पिताजी हार्ट अटैक से गुज़र गये है,
15 दिन के बाद फिर आयेगा।"
अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे अन्दर उसका बाप दिख रहा होगा।
हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया?
पूरा परिवार हाथ जोड़कर, मूक, नतमस्तक माफी माँग रहा था।
एक मोबाइल की लत (व्यसन) एक व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाती है, वह परिवार देख रहा था। यही नहीं मोबाइल आज घर-घर कलह का कारण भी बन गया है। बहू छोटी-छोटी बातें तत्काल अपने माँ-बाप को बताती है और माँ की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से व्यवहार करती है, जिसके परिणाम स्वरूप वह बीस-बीस साल में भी ससुराल पक्ष के लोगों से अपनत्व नहीं जोड़ पाती।

डाॅक्टर ने आकर कहा- "सबसे पहले यह बताइये रामू भाई आप के क्या लगते हैं?"
मैंने कहा- "डाॅक्टर साहब, कुछ सम्बन्धों के नाम या गहराई तक न जायें तो ही बेहतर होगा, उससे सम्बन्ध की गरिमा बनी रहेगी, बस मैं इतना ही कहूँगा कि वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था।"
मनोज बोला- "हमको माफ़ कर दो पापा, जो फर्ज़ हमारा था, वह रामू ने पूरा किया, यह हमारे लिए शर्मनाक है। अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी पापा।"
"बेटा, *सलाह लोगों को देने के लिये ही होती है।*
जब मदद की घड़ी आये, तब लोग बग़लें झाँकते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं।
अब रही मोबाइल की बात...बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया है। अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है।
नहीं तो....
*परिवार समाज और राष्ट्र* को उसके गम्भीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने के लिये तैयार रहना पड़ेगा।"
अतः बेटे और बेटियों को बड़ा *अधिकारी या व्यापारी* बनाने की जगह एक *अच्छा इन्सान* बनायें।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
कृपया इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें... धन्यवाद!

जीवन के ५ कटु सत्य 🔥🔥🔥
18/10/2025

जीवन के ५ कटु सत्य 🔥🔥🔥

*ख्वाईश कुछ अलग करने की हो तो दिल और दिमाग के बीच बगावत लाजमी है।*क्षमता से अधिक बोलना, ज्ञान को सिद्ध नहीं करता और न ही...
18/10/2025

*ख्वाईश कुछ अलग करने की हो तो दिल और
दिमाग के बीच बगावत लाजमी है।*

क्षमता से अधिक बोलना, ज्ञान को सिद्ध नहीं करता
और न ही कम बोलना, अज्ञानता को सिद्ध करता है।
🙏🏻🌻🙏🏻🌻🙏🏻🌻🙏🏻🌻

*जीवन में रिश्तों की कोई तयशुदा परिभाषा नहीं, सिर्फ परिस्थिति, समय और व्यवहार इन्हें परिभाषित करते हैं!*
दुनिया का सबसे अमीर आदमी भी परिवा
र के बिना ग़रीब है।

🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻

*1. श्रीकृष्ण जी ने किस कारागार में जन्म लिया था?* कंस का कारागार ❤️मथुरा का मंदिर 🙏गोकुल 🥰वृंदावन 👍*👉 Answers With Emoj...
18/10/2025

*1. श्रीकृष्ण जी ने किस कारागार में जन्म लिया था?*

कंस का कारागार ❤️

मथुरा का मंदिर 🙏

गोकुल 🥰

वृंदावन 👍

*👉 Answers With Emojis 🕉️*

🌳🦚आज की कहानी🦚🌳💐सच्ची तैयारी💐गाँव में सुखीराम के घर शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। बारात आने में अब बस पंद्रह दिन बाकी ...
17/10/2025

🌳🦚आज की कहानी🦚🌳💐सच्ची तैयारी💐

गाँव में सुखीराम के घर शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। बारात आने में अब बस पंद्रह दिन बाकी थे। पूरे घर में हलचल, हँसी-ठिठोली, और मीठे गाने की गूंज थी।
सुखीराम भी उसी माहौल में सुबह की धूप में बैठकर शेव बना रहे थे कि तभी उनके समधी दुखीराम की चिट्ठी आ गई।

> "अरे! फोन का ज़माना है, और ये चिट्ठी?"
> उन्होंने चेहरे का साबुन पोंछा और उलझे मन से चिट्ठी पढ़ने लगे।

चिट्ठी में लिखा था—

> “आदरणीय समधी साहब,
> आप सब सुखी होंगे। इधर हम भी कुशल हैं।
> पर भारी मन से लिख रहा हूँ कि सर्दी के कारण हमें शादी को कुछ दिन *टालना पड़ेगा।*
> कारण गंभीर है — और वह है स्त्रियों का ‘दिल’।
> आपकी समधन और उनकी सहेलियाँ सब कह रही हैं कि इतनी मेहनत से जो साड़ियाँ, ब्लाउज, जेवर खरीदे हैं, वो ठंड में शॉल ओढ़कर कौन देखेगा?
> शादी सिर्फ फेरे नहीं होती समधीजी, *ये तो स्त्रियों का उत्सव होता है!*
> उनका कहना है कि शादी वो दिन है जब वे अपनी सारी मेहनत, सौंदर्य और सपनों को साकार करती हैं। अब शॉल लपेटकर वो क्या दिखाएँगी?”

दुखीराम आगे लिखते हैं—

> “मैंने बहुत समझाया, पर वो बोलीं —
> ‘तुम्हारी तो शक्ल ही ऐसी है, कुछ भी पहन लो फर्क नहीं पड़ता!’
> बाकी औरतें भी उसके साथ हो गईं।
> अब बताइए समधीजी, स्त्रियाँ खुश न रहें तो शादी का रंग ही क्या रहेगा?
> इसलिए विनम्र अनुरोध है — इस सर्दी में नहीं, फरवरी आखिर या मार्च में शादी करें।”

चिट्ठी के अंत में लिखा था —

> “थोड़ा लिखा है, पर सब समझ जाना। क्षमा सहित — आपका समधी, दुखीराम।”

सुखीराम ने चिट्ठी रखी और कुछ देर स्तब्ध बैठे रहे। लेकिन तभी उनकी पत्नी, जो चुपचाप उनके कंधे के पास खड़ी सब सुन रही थीं, हल्के से मुस्कुरा दीं —

> “फरवरी लास्ट रख लो... हमारी साड़ियाँ भी तो अभी आनी बाकी हैं।”

सुखीराम ने गहरी सांस ली और फिर हँस पड़े।
कभी-कभी हम सोचते हैं कि जीवन की खुशी बड़ी चीज़ों में है, लेकिन असली आनंद उन छोटी-छोटी इच्छाओं में छिपा होता है जो हमारे अपनों के चेहरे पर मुस्कान लाती हैं।

स्त्रियाँ सिर्फ घर की ज़िम्मेदारी नहीं निभातीं, बल्कि वे हर उत्सव की रूह होती हैं।
उनकी खुशी ही घर की असली रौनक है।
शादी की तारीख टलने का दुःख कुछ दिन का था,
पर सबके चेहरों पर जो मुस्कान आई — वही असली “शादी की तैयारी” थी।

*सीख:*

> परिवार की खुशी सिर्फ रस्मों से नहीं,
> *आपसी समझ और प्रेम से बनती है।*
> जब हम एक-दूसरे की भावनाओं का मान रखते हैं,
> तभी सच्चे अर्थों में “शादी” या “जीवन” सफल होता है। 💫

*⚜️ ✨ चाणक्य नीति – सफलता का सूत्र ✨ ⚜️*🧠 “जो व्यक्ति परिस्थिति नहीं, स्वयं को बदल लेता है,विजय उसी के चरण चूमती है।” ⚔️...
17/10/2025

*⚜️ ✨ चाणक्य नीति – सफलता का सूत्र ✨ ⚜️*

🧠 “जो व्यक्ति परिस्थिति नहीं, स्वयं को
बदल लेता है,विजय उसी के चरण चूमती है।” ⚔️
*💡 सीख:*
🌿 हालात नहीं, सोच बदलिए —
🔥 क्योंकि जीत हमेशा मन से शुरू होती है। 💫

*रिश्ता अपनेपन का*मैं बिस्तर पर से उठा ही था कि अचानक छाती में दर्द होने लगा। मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारो...
16/10/2025

*रिश्ता अपनेपन का*मैं बिस्तर पर से

उठा ही था कि अचानक छाती में दर्द होने लगा। मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? ऐसे विचारों के साथ मैं आगे वाली बैठक के कमरे में गया तो मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाईल में व्यस्त था।

मैंने पत्नी को देखकर कहा- "मेरी छाती में आज रोज से कुछ ज़्यादा दर्द हो रहा है, डाॅक्टर को दिखा कर आता हूँ।"
"हाँ मगर सँभलकर जाना, काम हो तो फोन कर लेना" मोबाइल में देखते हुए पत्नी बोलीं।
मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा, पसीना मुझे बहुत आ रहा था, ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी।
ऐसे वक्त्त हमारे घर का काम करने वाला रामू साईकिल लेकर आया, साईकिल को ताला लगाते ही, उसने मुझे सामने खड़ा देखा।
"क्यों सा'ब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?
मैंने कहा- "नहीं..!!"
आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती सा'ब, इतना पसीना क्यों आ रहा है?
सा'ब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते, मैं किक मार कर चालू कर देता हूँ। रामू ने एक ही किक मारकर ऐक्टिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा-
"साब अकेले जा रहे हो?"
मैंने कहा- "हाँ"
उसने कहा- ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते,
चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये।
मैंने कहा- तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है?
"सा'ब गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता छोड़कर पीछे बैठ जाओ"
पास ही एक अस्पताल में हम पहुँचे। रामू दौड़कर अंदर गया और व्हील चेयर लेकर बाहर आया।
"सा'ब अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ"।
रामू के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रहीं, मैं समझ गया था। फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे कि अब तक क्यों नहीं आया? रामू ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि *आज नहीं आ सकता।*
रामू डाॅक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था, उसे बगैर बताये ही मालूम हो गया था कि सा'ब को हार्ट की तकलीफ है। लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ लेकर गया।
डाॅक्टरों की टीम तो तैयार ही थी, मेरी तकलीफ सुनकर। सब टेस्ट शीघ्र ही किये।
डाॅक्टर ने कहा- "आप समय पर पहुँच गये हो, इसमें भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया, वह आपके लिए बहुत फायदेमन्द रहा।"
अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है। इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे। इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है। डाॅक्टर ने रामू की ओर देखा।
मैंने कहा- "बेटे, दस्तखत करने आते हैं?"
उसने कहा-
"सा'ब इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर न डालो।"
"बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है, फिर भी बगैर कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की। वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी। एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा। मैं नीचे सही करके लिख दूँगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी मेरी है। रामू ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर किये हैं", बस अब... ..
*"और हाँ घर फोन लगा कर खबर कर दो"।*
बस, उसी समय मेरे सामने मेरी पत्नी का फोन रामू के मोबाइल पर आया। वह शांति से फोन सुनने लगा।
थोड़ी देर के बाद रामू बोला- "मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना मगर अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरु होने के पहले पहुँच जाओ। हाँ मैडम, मैं सा'ब को अस्पताल लेकर आया हूँ, डाक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है"।
मैंने कहा- "बेटा घर से फोन था?"
"हाँ सा'ब।"
मैंने मन में पत्नी के बारे में सोचा, तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही हो और किसको निकालने की बात कर रही हो? आँखों में आँसू के साथ रामू के कन्धे पर हाथ रखकर मैं बोला- "बेटा चिंता नहीं करते।"
"मैं एक संस्था में सेवायें देता हूँ, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है।"
"तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है, बेटा पगार मिलेगा।
*इसलिए चिंता बिल्कुल भी मत करना।"*
ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया, मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था। मैं आँखों में आँसू लिये बोला- "रामू कहाँ है?"
पत्नी बोली- "वो अभी ही छुट्टी लेकर गाँव चला गया। कह रहा था कि उसके पिताजी हार्ट अटैक से गुज़र गये है,
15 दिन के बाद फिर आयेगा।"
अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे अन्दर उसका बाप दिख रहा होगा।
हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया?
पूरा परिवार हाथ जोड़कर, मूक, नतमस्तक माफी माँग रहा था।
एक मोबाइल की लत (व्यसन) एक व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाती है, वह परिवार देख रहा था। यही नहीं मोबाइल आज घर-घर कलह का कारण भी बन गया है। बहू छोटी-छोटी बातें तत्काल अपने माँ-बाप को बताती है और माँ की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से व्यवहार करती है, जिसके परिणाम स्वरूप वह बीस-बीस साल में भी ससुराल पक्ष के लोगों से अपनत्व नहीं जोड़ पाती।

डाॅक्टर ने आकर कहा- "सबसे पहले यह बताइये रामू भाई आप के क्या लगते हैं?"
मैंने कहा- "डाॅक्टर साहब, कुछ सम्बन्धों के नाम या गहराई तक न जायें तो ही बेहतर होगा, उससे सम्बन्ध की गरिमा बनी रहेगी, बस मैं इतना ही कहूँगा कि वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था।"
मनोज बोला- "हमको माफ़ कर दो पापा, जो फर्ज़ हमारा था, वह रामू ने पूरा किया, यह हमारे लिए शर्मनाक है। अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी पापा।"
"बेटा, *सलाह लोगों को देने के लिये ही होती है।*
जब मदद की घड़ी आये, तब लोग बग़लें झाँकते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं।
अब रही मोबाइल की बात...बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया है। अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है।
नहीं तो....
*परिवार समाज और राष्ट्र* को उसके गम्भीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने के लिये तैयार रहना पड़ेगा।"
अतः बेटे और बेटियों को बड़ा *अधिकारी या व्यापारी* बनाने की जगह एक *अच्छा इन्सान* बनायें।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
कृपया इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें... धन्यवाद!

16/10/2025

*🌸💖 गीता प्रेरणा – 🎉*
*अगर कर्म एक बीज है, तो उसका
सबसे सुंदर फल क्या है? 🤔*

*🔹 👍 शांति*
*🔹 ❤️ सच्ची खुशी*
*🔹 👌 दिखावा*
*🔹 😍 अहंकार*
*--------------------------------*
*_💡 इमोजी के द्वारा इस प्रश्न का
उत्तर दीजीए।_*

*✨ चाणक्य नीति – कठोर सत्य ✨*
16/10/2025

*✨ चाणक्य नीति – कठोर सत्य ✨*

*सबसे बड़ा सबक ✓* एक बार एक पिता के मन में ख्याल आया कि वो अपने बेटे को आज दुनिया का सबसे बड़ा सबक सिखाएं, इसके लिए उसने...
16/10/2025

*सबसे बड़ा सबक ✓* एक बार

एक पिता के मन में ख्याल आया कि वो अपने बेटे को आज दुनिया का सबसे बड़ा सबक सिखाएं, इसके लिए उसने एक कौतुक रचा, अपने बेटे को थोड़ा ऊँचाई पर खड़ा कर के कहा कि तुम वहाँ से ज़मीन पर छलांग मारो मैं तुमको पकड़ लूंगा, लेकिन बच्चा कूदने से डर रहा था, उसने बोला नहीं पिताजी यदि मैं कूदूँगा तो मैं गिर सकता हूँ और मुझे चोट लग सकती है, तो पिता ने अपने बच्चे को विश्वास दिलाया कि बेटा तू नहीं गिरेगा मैं तुझे पकड़ लूंगा, ऐसा पिता ने कई बार बोला अपने बच्चे को विश्वास दिलाने के लिए, जब बच्चे को पिता पर पूरा विश्वास हो गया तब वो कूद गया और पिता ने जानबूझकर अपने बच्चे को नहीं पकड़ा।

परिणामस्वरूप बच्चा गिर गया और उसे चोट लग गई, तब बच्चे ने बहुत हैरानी से अपने पिता से पूछा कि आपने तो मुझे इतना विश्वास दिलाया था कि जब मैं कूदूँगा तो आप मुझे पकड़ लोगे, फिर आपने मुझे क्यों नहीं पकड़ा, तब उसके पिता ने बोला की बेटा यही सबक तो मैं तुझे सिखाना चाहता था कि इस दुनिया में अपने बाप पर भी विश्वास नहीं करना और इसको इस दुनिया का सबसे बड़ा सबक समझना।

दरअसल वो पिता बहुत अनुभवी था उसने दुनिया देखी थी और वो ये जानता था कि इस मतलबी दुनिया में किसी पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता, इसीलिए अपने बच्चे की भलाई के लिए उसने ऐसा कौतुक रचा था ताकि उसके बेटे को ये सबक ज़िंदगी भर याद रहे।

`पोस्ट पसंद आये तो 1 Like 👍🏼 दे दीजिये

Address

MB Road , WARD NO-4, MORIGAON
Marigaon
782105

Telephone

+917676487070

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Unique Assam Hindi posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Unique Assam Hindi:

Share