Hanumanganj _ मशरक

Hanumanganj _ मशरक Hanumanganj Village Mashrakh East Part Panchayat Mashrakh is situated in Saran District. People of this village are living in very peaceful manner.

This village having very proud history. Agriculture is the main profession of this village...

गाँव की सुबह का मनोरम दृश्य 😍
09/02/2025

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एक सुखी जीवन के लिए अच्छे घर का होना जरूरी नहीं, घर का अच्छा माहौल होना जरूरी है..❤️😊
09/01/2025

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उत्क्रमित मध्य विद्यालय, हनुमानगंजआपन स्कूल...❤️
14/12/2023

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15/12/2022

*🚨जहरीली शराब पीने से 36 से ज्यादा लोगो की मौत, कई के हालत खराब*

*🟣 मशरक न्यूज (बिहार)*

✍️------मशरक में जहरीली शराब पीने से अब तक 28 लोगों की मौत हो गई है। जबकि रिकार्ड में सिर्फ 17 लोगो का ही नाम दिखाया जा रहा है। घटना मशरक थाना क्षेत्र तथा इसुआपुर थाना क्षेत्र की है। मशरक थाना क्षेत्र से मशरक तख्थ से पांच, यदू मोड़ से तीन, पचखंडा से एक, बहरौली से ग्यारह, बेनछपरा से चार, घोघियां से पांच, गंगौली से एक, मशरक बेनवानी ब्रह्म स्थान टोला से एक, गोपालवाड़ी से एक, हनुमानगंज से एक तथा इसुआपुर थाना क्षेत्र के डोइला से चार लोगो संदिग्ध जहरीली शराब पीने से जान चली गई। इतना ही नहीं, कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई हैं। जो गांव और प्राइवेट अस्पताल में इलाजरत है। सूत्रों से पता चला है कि बीते शाम से ये घटना घट रही है। जिसमें कुछ मृतक के परिजनों ने प्रशासन के डर से मंगलवार के शाम में ही शव को अंतिम संस्कार कर दिया गया।

*प्रशासन और पुलिस बीते रात से ही ले रहे परिजनों से जानकारी*

प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके पर ग्रामीणों और पीड़ितों के परिजनों से जानकारी ले रहे हैं। इसके साथ ही गांव-गांव ये खबर फैलाने को कह रहे है कि घर में किसी की भी तबियत खराब होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम से संपर्क करने को कहा जा रहा है।

*अस्पताल ले जाने के क्रम दो लोगों ने तोड़ा दम*

मंगलवार की रात को जहरीली शराब का सेवन करने के बाद से ही सभी की तबीयत खराब होने लगी। इसके बाद स्थानीय स्तर पर प्राथमिक उपचार के बाद कई लोगों को छपरा सदर अस्पताल रेफर किया गया। छपरा सदर अस्पताल जाने के क्रम में ही मुकेश शर्मा की मौत हो गई। मुकेश शर्मा हनुमानगंज के बच्चा शर्मा का प्रथम पुत्र है। जिसकी बीते रात से अचानक तबीयत खराब हुई और सुबह मशरक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जिसकी रास्ते में ही मौत हो गई थी।*

*अधिकारियों में मचा हड़कंप*

जहरीली शराब से अभी तक छत्तीस लोगों की मौत के बाद प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। सारण जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने मशरक के विभिन्न मृतकों के परिजनों के यहां पहुंचकर पीड़ितों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। पुलिस अधीक्षक सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने पीड़ितों के गांव का मुआयना भी किया।

*थाना से महज 500 मीटर की दूरी से मिली स्प्रीट की खाली रैपर*

घटना की मुख्य वजह जहरीली शराब पीने से ही हुई है। भले ही उच्च अधिकारी इसे लीपा पोती कर कुछ भी कहें। लेकिन घटना निंदनीय है जिसके बारे में कुछ भी कहा जाए कम होगा। जब शराब धंधेबाज के यहां सारण एसपी, डीआईजी, डीएम, एसपी, डीएसपी, पुलिस इंस्पेक्टर और थानाध्यक्ष पहुंचे तो वहां शराब की सैंकड़ो खाली रैपर के फ्रूटी पैक की खाली पैकेट पड़े मिले। वही जहरीली शराब कहां से आयी और किसने बेची, किसने खरीदा सब जानते है पर कोई बताएगा नही।

*इतनी बड़ी घटना के जिम्मेदार कौन?*

प्रशासन आए, बड़े-बड़े नेता आए समाज सेवक आए और इस सब घटना को लेकर सबने सहानुभूति दिखाई, लेकिन इतनी बड़ी घटना का जिम्मेवारी कौन लेगा?

*मशरक में पांच घंटे तक एसएच और एनएच सड़क रहा अवरुद्ध*

मामलों में जब तूल पकड़ने लगा और परिजनों के हंगामा होने के बाद लोगों ने सड़क जाम कर सूबे नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरूद्ध जम कर नारेबाजी हुई। उस दौरान पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह, बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष व पूर्व प्राचार्य सुरेन्द्रनाथ सिंह ने मढौरा एसडीओ योगेन्द्र कुमार, एसडीपीओ इन्द्रजीत बैठा, मशरक पुलिस इंस्पेक्टर राधेश्याम प्रसाद ने सड़क जाम कर रहे उग्र प्रदर्शन कारियों को समझा बुझाकर मामले को शांत कराया। तथा सड़क जाम हटवा आवागमन बहाल कराया।

*मृतक थाना क्षेत्र से मशरक नगर पंचायत के अलावे गंगौली, बहरौली, दुरगौली पंचायत के ही बताए जा रहे है।*

मृतकों में कुणाल सिंह, जयदेव सिंह, अमित रंजन सिंहा, संजय कुमार सिंह, हरेंद्र राम, भरत साह, मो. नासीर, बिजेन्द्र राय, लाल कुमार यादव, मुकेश शर्मा, पथलु राम, जगजीतन साह का पुत्र, उमा साह का भाई, दुमदुमा के सुदामा मांझी के दो लड़के का नाम भी शामिल है। जबकी आधे से ज्यादा लोगो ने बीते रात ही शव को जला दिया है। जैसे ही जिला प्रशासन को इसकी सूचना मिली, मौके पर मढ़ौरा के एसडीओ, सोनपुर के एएसपी, मढ़ौरा डीएसपी सहित आसपास के थानों की पुलिस और ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों की टीम प्रभावित गांव में पहुंच गई। स्वास्थ्य विभाग के आधा दर्जन से भी ज्यादा एम्बुलेंस से पीड़ितों को छपरा सदर अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है।

ये छठ जरूरी है...सूप और दउरा बनाने वाले समाज को ये बतलाने के लिए कि इस समाज में उनका भी महत्व है. उन्हें नीच/छ्होटे समझन...
30/10/2022

ये छठ जरूरी है...

सूप और दउरा बनाने वाले समाज को ये बतलाने के लिए कि इस समाज में उनका भी महत्व है. उन्हें नीच/छ्होटे समझने की भूल करने वाले अहंकारियों का उनका महत्व समझाने के लिए....

~ छठ घाट हनुमानगंज, मशरक की कुछ तस्वीरें।

23/10/2022

खुशखबरी
राममंदिर को मिलेगा राष्ट्रीय मंदिर का दर्जा
जिनको ख़ुशी हुई हो एक जयकारा प्रभु श्रीराम का
॥ जय श्री राम ॥

मैं अखिलेश यादव 🙏🙏🙏

बना कर दिये मिट्टी के, जरा सी आस पाली हैमेरी मेहनत खरीदो यारों, मेरे घर भी दीवाली है।   मैं अखिलेश यादव 🙏🙏🙏
20/10/2022

बना कर दिये मिट्टी के, जरा सी आस पाली है
मेरी मेहनत खरीदो यारों, मेरे घर भी दीवाली है।


मैं अखिलेश यादव 🙏🙏🙏

कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था।कभी खपरैल की छत पे चढ़ी लौकी महीना भर निकाल देती थी;कभी बै...
24/09/2022

कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था।

कभी खपरैल की छत पे चढ़ी लौकी महीना भर निकाल देती थी;कभी बैसाख में दाल और भतुआ से बनाई सूखी कोहड़ौरी,सावन भादो की सब्जी का खर्चा निकाल देती थी‌।

वो दिन थे,जब सब्जी पे
खर्चा पता तक नहीं चलता था।

देशी टमाटर और मूली जाड़े के सीजन में भौकाल के साथ आते थे,लेकिन खिचड़ी आते-आते उनकी इज्जत घर जमाई जैसी हो जाती थी।

तब जीडीपी का अंकगणितीय करिश्मा नहीं था।

ये सब्जियाँ सर्वसुलभ और हर रसोई का हिस्सा थीं।

लोहे की कढ़ाई में,किसी के घर रसेदार सब्जी पके तो,गाँव के डीह बाबा तक गमक जाती थी।
धुंआ एक घर से निकला की नहीं, तो आग के लिए लोग चिपरि लेके दौड़ पड़ते थे।
संझा को रेडियो पे चौपाल और आकाशवाणी के सुलझे हुए
समाचारों से दिन रुखसत लेता था।

रातें बड़ी होती थीं;दुआर पे कोई पुरनिया आल्हा छेड़ देता था तो मानों कोई सिनेमा चल गया हो।

किसान लोगो में कर्ज का फैशन नहीं था;फिर बच्चे बड़े होने लगे,बच्चियाँ भी बड़ी होने लगीं।

बच्चे सरकारी नौकरी पाते ही,अंग्रेजी इत्र लगाने लगे।

बच्चियों के पापा सरकारी दामाद में नारायण का रूप देखने लगे;किसान क्रेडिट कार्ड डिमांड और ईगो का प्रसाद बन गया,इसी बीच मूँछ बेरोजगारी का सबब बनी।

बीच में मूछमुंडे इंजीनियरों का दौर आया।

अब दीवाने किसान,अपनी बेटियों के लिए खेत बेचने के लिए तैयार थे;बेटी गाँव से रुखसत हुई,पापा का कान पेरने वाला रेडियो, साजन की टाटा स्काई वाली एलईडी के सामने फीका पड़ चुका था।

अब आँगन में नेनुँआ का बिया छीटकर,मड़ई पे उसकी लताएँ चढ़ाने वाली बिटिया,पिया के ढाई बीएचके की बालकनी के गमले में क्रोटॉन लगाने लगी और सब्जियाँ मंहँगी हो गईं।

बहुत पुरानी यादें ताज़ा हो गई;सच में उस समय सब्जी पर कुछ भी खर्च नहीं हो पाता था,जिसके पास नहीं होता उसका भी काम चल जाता था।

दही मट्ठा का भरमार था,
सबका काम चलता था।
मटर,गन्ना,गुड़ सबके लिए
इफरात रहता था;
सबसे बड़ी बात तो यह थी कि,
आपसी मनमुटाव रहते हुए भी
अगाध प्रेम रहता था।

आज की छुद्र मानसिकता,
दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती थी,
हाय रे ऊँची शिक्षा,कहाँ तक ले आई!

आज हर आदमी,एक दूसरे को
शंका की निगाह से देख रहा है।

विचारणीय है कि,
क्या सचमुच हम विकसित हुए हैं,या
यह केवल एक छलावा है।

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