03/07/2025
मशरक का एक 'सूरज' अस्त हो गया…
✍️ बीते पच्चीस वर्षों में न जाने कितने लोगों के मुंह से एक बात बार-बार सुनी- भाई हो तो दीनानाथ सिंह जैसा! भाईचारे की परिभाषा क्या होती है।निष्ठा,समर्पण,त्याग और प्रेम- अगर इन सबका कोई सजीव रूप था,तो वह थे दीनानाथ सिंह। वे केवल छोटे भाई नहीं थे,वे रामायण के भरत जैसे अनुज थे। और उनके बड़े भाई, महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह,उनके लिए राम तुल्य ही थे। जो प्रभुनाथ सिंह कह दें,वह दीनानाथ के लिए भगवान का वचन होता। दोनों भाइयों की जोड़ी सारण की धरती पर भाईचारे की एक मिसाल बन चुकी थी- एक ऐसा बंधन जो राजनीति,समाज और परिवार में सबके लिए अटूट था। लेकिन आज…वह जोड़ी टूट गई। दीनानाथ सिंह नहीं रहे। कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और आज उन्होंने अंतिम सांस ली। मशरक की माटी ने अपना एक पुत्र खो दिया।
💐 श्रद्धांजलि! 🙏 सादर नमन!
Miss you chacha ji
🙏🙏🙏😭😭😭