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Shard purima_समुद्र मंथन के समय जब अमृत उत्पन्न हुआ, तब देवताओं और असुरों में उसके लिए संघर्ष होने लगा।तब भगवान विष्णु न...
06/10/2025

Shard purima

_समुद्र मंथन के समय जब अमृत उत्पन्न हुआ, तब देवताओं और असुरों में उसके लिए संघर्ष होने लगा।तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण किया और अपनी माया से सभी देवताओं को अमृत पिला दिया।_

_जब अमृत सभी देवताओं को पिला दिया गया, तब भी अमृत का कुछ भाग शेष रह गया।_

> देवताओं ने विचार किया —
अमृत पूर्ण तत्त्व है, इसे नष्ट नहीं किया जा सकता; इसका स्वभाव ही पूर्णता है।

इसलिए देवताओं ने निर्णय किया कि इस शेष अमृत को चंद्रदेव को सौंप दिया जाए। तभी से चंद्रमा का एक नाम पड़ा — ‘सुधाकर’, अर्थात ‘सुधा (अमृत) को धारण करने वाला’। इसी कारण शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अमृतमयी किरणों से पृथ्वी पर जीवनदायिनी ऊर्जा का वर्षण करता है।

इस रात्रि को ‘अमृत वर्षा रात्रि’ कहा जाता है।
इस दिन लोग अपने आँगन या छत पर दूध-चावल की खीर बनाकर रखते हैं, ताकि चंद्र किरणों से उसमें अमृततुल्य ऊर्जा समा जाए और प्रातः उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।

अमृतं समुद्रजातं तद्‌ विष्णोर्मोहिनी कृतम् ।
देवदत्तं सुधासारं चन्द्रमण्डलमाश्रितम् ॥

> समुद्र मंथन से जो अमृत उत्पन्न हुआ और भगवान विष्णु द्वारा मोहिनी रूप में वितरित किया गया, उस सुधामय अमृत का सार चन्द्रमा ने धारण किया।

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्‌ पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥

> वह (परमात्मा) पूर्ण है, यह (सृष्टि) भी पूर्ण है; पूर्ण से पूर्ण निकालो तो भी जो शेष रहता है वह भी पूर्ण ही रहता है।

नमोऽस्तु ते चन्द्र महान् सुधामये,
जगज्जीवनं त्वं रवितेजसः सखा ।
त्वदीयकिरणैरमृतं प्रसार्यते,
शरद्पूर्णिमायां शुभदं जगत्त्रये ॥

> हे सुधामय चन्द्र! तुम्हें नमस्कार — तुम जगत् के जीवनदाता और सूर्य के सखा हो। शरद पूर्णिमा की रात्रि में तुम्हारी किरणों से अमृत प्रवाहित होता है, जो तीनों लोकों को शुभता प्रदान करता है।

शरद पूर्णिमा केवल चन्द्र दर्शन का पर्व नहीं, बल्कि यह हमें “पूर्णता”, “अमृतत्व” और “आनन्द” के शाश्वत सत्य की स्मृति दिलाती है।
इस रात्रि में किया गया ध्यान, जप, कीर्तन या प्रेमभाव से किया गया चन्द्र दर्शन
मन, शरीर और आत्मा — तीनों को शुद्ध कर देता है।

आपके जीवन में भी यह शरद पूर्णिमा चन्द्रमा की अमृतमयी किरणों के समान शांति, सौंदर्य और समृद्धि का प्रकाश भर दे।

सब नज़र का फेर है, रावण की नज़र हो तो राम भी गलत ही दिखेंगे" का अर्थ है कि किसी के दृष्टिकोण या देखने के तरीके पर निर्भर...
06/10/2025

सब नज़र का फेर है, रावण की नज़र हो तो राम भी गलत ही दिखेंगे" का अर्थ है कि किसी के दृष्टिकोण या देखने के तरीके पर निर्भर करता है कि वह किसी को सही या गलत समझता है। अगर रावण के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो वह भले ही राम को गलत माने, लेकिन यह उसकी अपनी नकारात्मक सोच का ही परिणाम होगा, जो कि आधुनिक और पारंपरिक नैतिकता के अनुसार राम ही सही थे।
इस बात का विश्लेषण:
नजर का फेर: यह एक कहावत है जिसका अर्थ है कि देखने का नजरिया व्यक्ति के अनुसार बदल जाता है।
रावण की नजर: रावण की नजर नकारात्मक और अहंकारी थी, क्योंकि उसने सीता का हरण किया और राम से युद्ध किया।
राम की गलत दिखना: रावण के नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण, उसे अपने सभी गलत कामों को सही ठहराने के लिए राम गलत ही दिखेंगे।
संक्षेप में:
इस कहावत का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति या घटना को किस नज़र से देखा जाता है, यह उसकी व्यक्तिगत सोच और दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। रावण ने अपने कर्मों को सही ठहराने के लिए राम को गलत माना, जो उसकी अपनी नकारात्मक और गलत सोच थी।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा पर रात को चांद की रोशनी में चावल की खीर बनाकर रखने का बड़ा महत्व हो...
06/10/2025

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा पर रात को चांद की रोशनी में चावल की खीर बनाकर रखने का बड़ा महत्व होता है

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